- आज से शुरू हो रहा है स्वच्छ सर्वेक्षण-2019

- लोगों ने कहा कि नगर निगम की ओर से नहीं की जा रही कोई सफाई

BAREILLY:

बरेली शहर के ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 क्या है? यही नहीं शहर के लोग शहर की सफाई व्यवस्था से भी नाराज दिखे। उनका कहना था कि वर्तमान में शहर में सफाई के जो हालात हैं, उसमें सुधार नहीं हुआ तो शहर में सिर्फ कूड़े के ढेर ही दिखेंगे। लोगों ने अपने मन की यह बात फ्राइडे से शुरू होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 से एक दिन पहले थर्सडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को बताई। इस सर्वेक्षण के माध्यम से यह जानने की कोशिश होगी कि स्वच्छता को लेकर सरकार शुरू की गई योजनाएं लोगों तक पहुंचने में कितनी सफल रही हैं। सर्वेक्षण में बरेली शहर को मा‌र्क्स देकर यह डिसाइड होगा कि सफाई के मामले में शहर फेल हुआ या पास। स्वच्छ वार्ड कॉम्पटीशन में फेल होने के बाद नगर निगम के लिए यह दूसरी परीक्षा है।

थर्सडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शहर के अलग-अलग एरिया के लोगों से वही छह सवाल पूछे जो सर्वेक्षण में लोगों से पूछे जाने वाले थे। इनके जवाब सुनने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार भी नगर निगम बिना तैयारियों के स्वच्छ सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए उतर गया है।

लोगों की राय

1. क्या आप जानते हैं कि आपका शहर स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में भाग ले रहा है?

सुभाष नगर के अभिषेक यादव और मढ़ीनाथ के अतुल कुमार का कहना था कि हां कई जगहों पर पोस्टर और एड लगे देखे थे। तब समझे स्वच्छता को लेकर कुछ चल रहा है। कालीबाड़ी के रवि राणा और हिमांशु सिंह ने सर्वेक्षण के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया।

2. क्या आप अपने शहर की स्वच्छता से स्तर से संतुष्ट है?

संजय नगर के सुनील कुमार का कहना था कि वह नगर निगम की सफाई से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। उनके इलाके में चारों ओर गंदगी पसरी है। मढ़ीनाथ के अंकित यादव का कहना था कि उन्हें यह तक याद नहीं कि उनके इलाके में लास्ट टाइम झाडू कब लगी थी। गलियों में कूड़े के ढेर लगे हैं। कालीबाड़ी के सतीश कुमार ने कहा कि उनके इलाके में तो रोड पर ही गोबर पड़ा रहता है। सफाई से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं।

3. क्या आप आसानी से वाणिज्यिक और सार्वजनिक क्षेत्रों में कूड़ेदान को खोज सकते हैं?

मढ़ीनाथ के निशांत का कहना था कि बिल्कुल आसानी से नही ढूंढ सकते। हमारे इलाके में कूडे़दान ढूंढ़े नहीं मिलते। हालांकि शहर के कुछ हिस्सों में तो आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां कूड़ेदान को ढूंढना मतलब अपना टाइम बर्बाद करना है। वही पुलिस लाइन के आजाद का कहना था कि उनके क्षेत्रमें कुछ जगहों पर कूड़ेदान रखे हैं, लेकिन यह कहना ठीक नहीं होगा कि शहर में इन्हें आसानी से ढूंढ सकते हैं।

4. क्या कूड़ा उठाने वाले आपसे गीला कूड़ा, सूखा कूड़ा अलग-अलग देने को बोलते हैं?

ज्यादातर लोगों का कहना था कि कूड़ा लेने के लिए जो कर्मचारी आते हैं वह सीटी बजाते हैं और एक ही गाड़ी में कूड़ा इकट्ठा कर ले जाते हैं। यह बात तो कभी नहीं बताई कि किसमें सूखा कूड़ा डालना है किसमें गीला। सुभाष नगर के अभिषेक यादव, कालीबाड़ी के हिमांशु का कहना था कि कूड़ा उठाने वालों के पास एक ही गाड़ी होती है, उसी में सभी तरह का कूड़ा डाल दिया जाता है।

5. क्या आप जानते है कि कूड़ा इक्कठा होने के बाद कहां जाता है?

मढ़ीनाथ के निशांत यादव और अंकित यादव का कहना था कि इस बारे में तो कोई जानकारी नहीं है कि कूड़ा कहां जाता है। बस इतना पता है कि सीटे बजने पर कूड़े वाला आता है। वहीं, कुछ लोगों का कहना कि बस इतना पता है कि शमशान भूमि की तरफ कहीं जाता है।

6. क्या सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय अब अधिक साफ और सुलभ हैं?

इस सवाल पर जनता ने पॉजिटिव जबाव दिया। कालीबाड़ी के रवि राणा, हिमांशु सिंह, सतीश सोलंकी, मढ़ीनाथ के निशांत कुमार, अतुल यादव, अंकित यादव, संजय नगर के सुनील वर्मा, पुलिस लाइन के आजाद सभी का यही कहना था कि हां पहले के मुकाबले अब शहर के शौचालय थोड़ा साफ रहने लगे हैं।