- हेल्थ डिपार्टमेंट ने रैपिड रिस्पांस टीम और कंट्रोल रूम बनाया, 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड किया ओपन

- शहर के निजी मेडिकल कॉलेजों को भी जांच के लिए उपलब्ध कराए गए किट

>BAREILLY :

शहर में एच1 एन1 वायरस (स्वाइन फ्लू) की दस्तक के बाद हेल्थ विभाग अलर्ट हो गया। विभाग ने हॉस्पिटल में सैटरडे को कंट्रोल रूम बनाने के साथ 10 बेड का एक आइसोलेशन वार्ड भी ओपन कर दिया है। इसके साथ ही रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का भी गठन कर दिया गया है। आरआरटी संदिग्ध मरीज की सूचना मिलते ही टीम मौके पर पहुंचकर उसका सैंपल लेकर जांच के लिए भेजेगी। जांच रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव आने के बाद टीम पॉजिटिव मरीज के सभी परिजनों को दवा खिलाएगी।

कंट्रोल रूम से मिलेगी हेल्प

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में स्वाइन फ्लू के लिए इमरजेंसी वार्ड के पास ही कंट्रोल रूम बनाया गया है। कंट्रोल रूम में आने वाले मरीज को पूरी जानकारी दी जाएगी। जरूरत होने पर उन्हें स्वास्थ्य संबंधी हेल्प भी दी जाएगी। कंट्रोल रूम में हर वक्त कोई न कोई हेल्प के लिए मौजूद रहेगा या फिर ऑन कॉल इमरजेंसी से हेल्प ली जा सकती है।

यह है टीम में

हेल्थ विभाग ने आरआरटी में जिला सर्विलांस अधिकारी, फिजिशियन, पीडियाटीशन, पैथोलॉजी, एपिडोमियोलॉजिस्ट, प्रतिनिधि-एसपीएम विभाग मेडिकल कॉलेज, एसएमओ डब्ल्यूएचओ, एपिडेमियोलॉजिस्ट पशु पालन विभाग, जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी और डॉ। एमसी यनिसेफ को लगाया गया है। यह टीम फ्लू के संभावित रोगियों की सबसे पहले स्क्रीनिंग करेगी फिर आगे की कार्यवाही।

मेडिकल कॉलेजों को भेजे गए किट

सीएमओ ने डिस्ट्रिक्ट के सभी निजी मेडिकल कॉलेजेज को भी अलर्ट करते हुए उन्हें संदिग्ध मरीज मिलने पर इसकी सूचना हेल्थ विभाग को देने को कहा गया है। इसके साथ ही सैंपल की जांच के लिए पीपी किट, 3 लेयर सर्जिकल मॉस्क आदि भ्ाी उपलब्ध कराए गए हैं।

जनवरी में लिए 16 सैंपल

हेल्थ विभाग जनवरी में अब तक 16 संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेकर स्वाइन फ्लू की जांच करवा चुका है। इसमें से अधिकांश की रिपोर्ट निगेटिव आई। 16 में से सिर्फ 1 सैंपल ही डॉ। विवेक शर्मा का पॉजिटिव आया, जिनकी निजी मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई।

201-14 तक नहीं दी दस्तक

डिस्ट्रिक्ट के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2009 से वर्ष 2019 तक हेल्थ विभाग ने करीब पौने नौ सौ लोगों के स्वाइन फ्लू के सैंपल लिए। जिसमें से 14 लोगों को मौत हो गई। हालांकि वर्ष 2011 से वर्ष 2014 तक स्वाइन फ्लू का एक भी मरीज नहीं मिला। लेकिन वर्ष 2015 के बाद स्वाइन फ्लू की दस्तक लगातार बढ़ती चली गई, इसे बाद मृतकों की संख्या में भी बढोत्तरी हुई है। वर्ष 2019 में तो जनवरी माह में ही स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी

किसे अधिक संभावना

-कम उम्र के व्यक्तियों, छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को यह तीव्र रूप से प्रभावित करता है

-संक्रमण रोगी व्यक्ति के खांसने, छींकने आदि से निकली हुई द्रव की बूंदों से होता है, रोगी व्यक्ति मुंह या नाक पर हाथ रखने के पश्चात जिस भी वस्तु को छूता है, पुन: उस संक्रमित वस्तु को स्वस्थ व्यक्ति द्वारा छूने से रोग का संक्रमण हो जाता है।

बचाव कैसे करें

- खांसी, जुकाम, बुखार के रोगी दूर रहें

- आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छुएं व हाथों को साबुन से धोकर साफ करें

- हाथ मिलाने से बचे, हाथ मिलाने दूसरे का फोन छूने और टेबल छूने आदि से भी खतरा

- खांसते, छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखें

- सहज एवं तनाव मुक्त रहिए, तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है

- स्टार्च, आलू, चावल तथा शर्करायुक्त पदाथरें का सेवन कम करे इस प्रकार के पदाथरें का अधिक सेवन करने से शरीर में रोगों से लड़ने वाली विशिष्ट कोशिकाओं न्यूट्रोफिल्स की सक्रियता कम होती है

- दही का सेवन नहीं करें, छाछ ले सकते हैं, खूब उबला हुआ पानी पीयें व संतुलित भोजन व फलों ले

- सर्दी-जुकामए बुखार होने पर भीड़भाड़ से बचें एवं घर पर ही रहकर आराम करे 7-9 घंटे नींद लें

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आरआरटी टीम का गठन कर आइसोलेशन वार्ड भी 10 बेड का बना दिया गया है। इसके लिए कंट्रोल रूम भी बना दिया गया है। हॉस्पिटल में सभी सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कोई भी प्रॉब्लम होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉ। विनीत कुमार शुक्ला, सीएमओ बरेली