-मशीनों में एसेप्ट नहीं हो रहे हैं खास कार्ड

-परेशानियों को नजर अंदाज कर रहे बैंक, ग्राहक परेशान

Meerut : जेब में पैसा नहीं और जरूरी खरीददारी करनी है। कई बार ऐसा देखा गया है कि प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) स्वैप मशीन के धोखा देने से पब्लिक को परेशान होना पड़ रहा है। कैशलेस बैंकिंग की सरकार की पहल को कारोबारियों ने तो हाथों हाथ लिया किंतु स्वैप मशीनों का टेक्निकल लोचा मंसूबों पर पानी फेरने का काम कर रहा है। असल में तफ्तीश की गई तो निकलकर आया कि ये मुसीबत महज लापरवाही की वजह से है। स्वैप मशीन में आई टेक्निकल खामियों को दूर करने में बैंक नजरअंदाजी से कैश क्रंच से जूझ रहे लोगों को मुसीबत हो रही है तो वहीं कारोबार पर भी असर पड़ रहा है।

बढ़ गया है ई-ट्रांजिक्शन

-नोटबंदी के बाद से करीब 1600 स्वैप मशीनों बैंकों ने इश्यू की हैं। हजारों आवेदन पेंडिंग

-प्लास्टिक मनी से करीब 200 करोड़ का ट्रांजिक्शन रोजाना हो रहा है। जो नोटबंदी से पहले करीब 60 करोड़ था।

-450 करोड़ के आरटीजीएस औसतन प्रतिदिन नोटबंदी के बाद वर्किंग डे पर हो रहे हैं, जबकि नोटबंदी से पहले यह 100 करोड़ रोजाना थे।

-नोटबंदी के बाद मेरठ में औसतन 2000 छोटे-बड़े कारोबारी पेटीएम से जुड़े पहले यह ना के बराबर था।

-करीब 500 करोड़ रुपये तक की चेक क्लिीयरेंस हर रोज, जो नोटबंदी से पहले औसतन 100 करोड़ रुपये थी।

नोट: ये अनुमानित आंकड़े लीड बैंक से प्राप्त हुए हैं।

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ऐसे होता है पेंमेंट

-हर क्रेडिट या डेबिट कार्ड एक फाइनेंसियल नेटवर्क जैसे वीजा, मास्टरकार्ड, माइस्ट्रो और रूपे से जुड़ा होता है।

-स्वैप मशीन कारोबारी या फर्म के करंट एकाउंट से जुड़ी होती है।

-मशीन में जब कार्ड स्वैप किया जाता है तो उस फाइनेंसियल नेटवर्क को मैसेज जाता है।

-नेटवर्क से ओके होने के बाद दुकानदार का खाता जिस बैंक में है उसके सर्वर को इसकी जानकारी देता है।

-इसके बाद दुकानदार के खाते में अमाउंट ट्रांसफर हो जाता है।

-मशीन को चलाने के लिए दुकानदार को इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत पड़ती है।

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नहीं एसेप्ट कर रहा कार्ड

कलक्ट्रेट कर्मचारी दीपक कुमार का कहना है कि उनके पास बैंक का वीजा कार्ड है। ये कार्ड एसेप्ट नहीं हो रहा है, बैंक से संपर्क किया गया तो मालूम चला कि इस सीरीज के कार्ड एसेप्ट नहीं हो रहे हैं। फाइनेंसियल नेटवर्क में लोचे से पब्लिक परेशान है। एक बार माइक्रो एटीएम में स्वैप किया, एकांउट से बैंलेस कट गया किंतु रकम नहीं मिली।

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कार्ड एसेप्ट नहीं कर रही मशीनें

आबूलेन स्थित ज्वैलर्स सर्वेश कुमार सर्राफ का कहना है कि कुछ बैंक के कार्ड स्वैप मशीन एसेप्ट नहीं कर रही है। सरकार के कैशलेस ट्रांजिक्शन स्कीम से प्रभावित होकर दुकानदार स्वैप मशीन लगा रहे हैं किंतु यूज करने में लगातार दिक्कतें आ रही हैं। लगातार कार्ड स्वैप होने में दिक्कत आने से सेल इफेक्ट हेाती है।

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कभी-कभी नेटवर्क की कमजोरी के चलते स्वैप मशीन कार्ड को एसेप्ट नहीं कर पाती है। कुछ खास कार्ड स्वाइप न करने के पीछे फाइनेंसियल नेटवर्क का लोचा रहता है। कैशलेस ट्रांजिक्शन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वैप मशीनों के ज्यादा प्रचार-प्रसार के निर्देश बैंकों को दिए गए हैं।

-अविनाश तांती, प्रबंधक, जिला अग्रणी बैंक, मेरठ