न्यूयॉर्क शहर में मैनहटन नगर प्रशासन के अध्यक्ष स्कॉट स्ट्रींगर ने स्वास्तिक बालियों के बेचे जाने की तुलना नस्ली हिंसा से करते हुए अपने वेबसाइट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ''स्वास्तिक कोई फ़ैशन के प्रतीक नहीं हो सकते। ये हमारी संस्कृति में सबसे ज़्यादा नफ़रत की जाने वाली चीज़ है और ये किसी भी सभ्य आदमी के लिए अपमान है.''

स्कॉट स्ट्रींगर ने इसकी बिक्री पर पाबंदी और स्टोर से उसे फ़ौरन हटाने की मांग की। लेकिन स्टोर के मालिक का कहना है कि स्वास्तिक नाज़ी प्रतीक नहीं बल्कि प्राचीन भारत का एक धार्मिक प्रतीक है।

बुधवार को स्थानीय निकाय के एक सदस्य स्टीव लेविन ने उस स्टोर का दौरा किया जहां ये बालियां बेची जाती हैं और स्टोर के मालिक यंग सूक किम से मुलाक़ात की। स्टीव लेविन के अनुसार सूक किम उन बालियों को अपने स्टोर से हटाने के लिए तैयार हो गए हैं।

'यहूदी विरोधी'

इससे एक दिन पहले न्यूयॉर्क के कुछ राजनेताओं और वकीलों ने फ़ॉक्सन्यूज़ डॉट कॉम से बातचीत के दौरान कहा कि स्वास्तिक बालियां न्यूयॉर्क में यहूदी विरोधी भावना की ताज़ा मिसाल है।

लेकिन स्टोर के मालिक सूक किम का कहना है कि स्वास्तिक एक धार्मिक प्रतीक के रूप में भारत और दूसरे देशों में कई सदियों से इस्तेमाल किए जा रहें हैं बाद में नाज़ियों ने दूसरे विश्व युद्ध के पहले उसे अपना प्रतीक बना दिया।

सूक किम ने कहा, ''मैं नहीं जानता कि आख़िर इसमें दिक़्क़त क्या है। मेरी दुकान पर बेचे जाने वाली कान की बालियां बौद्ध धर्म के एक प्रतीक के रूप में भारत से आ रही हैं.''

अभी तक किसी ने भी इस बारे में कोई शिकायत नहीं की है। लेकिन अमरीका में यहूदियों की एक समिति के निदेशक केन स्टर्न के अनुसार कई लोग स्वास्तिक बालियों को अप्रिय मान सकते हैं क्योंकि इस प्रतीक से 60 लाख यहूदियों की मौत जुड़ी है।

केन स्टर्न ने कहा, ''आपको आशा करनी चाहिए कि स्टोर के मालिक को इतना संवेदनशील होना चाहिए कि वे उन बालियों को न बेचें। उन्हें ऐसा करने का अधिकार ज़रूर है लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा करना सही होगा। अगर मैं स्टोर का मालिक होता तो मैं उन्हें नहीं बेचता.''

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