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-कसम खाकर भी प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर

-आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन से हुआ खुलासा

GORAKHPUR:

इन्हें 'धरती का भगवान' कहा जाता है। ये कसम खाते हैं कि प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे, लेकिन 'भगवान की कसम' झूठी निकली। आई नेक्स्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कई डॉक्टरों का स्टिंग किया, जिसमें वह बाहरी क्लीनिकों पर प्राइवेट प्रैक्टिस करते दिखे। इनमें से कुछ डॉक्टर्स तो बीआरडी कैंपस स्थित सरकारी आवास में ही धड़ल्ले से मरीज देखते पाए गए। आप भी पढि़ए आई नेक्स्ट का स्टिंग ऑपरेशन 'भगवान' की झूठी कसम

दिया था घोषणापत्र

10 जनवरी को आरटीआई के तहत मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सभी डॉक्टर्स ने जानकारी मांगी थी। इसमें उनसे पूछा गया था कि क्या आप प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं? जवाब में बाल रोग विभाग के प्रवक्ता समेत कई डॉक्टर्स ने सेल्फ डिक्लेरेशन दी थी। इसमें उन्होंने कसम खाते हुए लिखा था कि वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते हैं। साथ ही मरीजों को नियमित देखना, शैक्षणिक कार्यो के साथ, नियमित रूप से विभागीय कार्य करने संबंधी बात भी कही गई थी। लेकिन कसम खाने के बावजूद यह डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस में इंवॉल्व दिखे।

बाल रोग विशेषज्ञ भी नहीं पीछे

डॉक्टर कफील खान मेडिकल कॉलेज में पिडियाट्रिशियन हैं। शनिवार शाम रुस्तमपुर नहर रोड पर मेडिस्प्रिंग हॉस्टिपल एंड रिसर्च सेंटर में मरीज देखते पाए गए। बताया जाता है कि यह उनका खुद का हॉस्पिटल है। दिलचस्प बात यह है कि इन्होंने मेडिस्प्रिंग हॉस्टिपल एंड रिसर्च सेंटर का कैलेंडर भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में टांग रखा है।

सरकारी आवास में दुकानदारी

डॉक्टर माहिम मित्तल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड हैं। कैंपस स्थित अपने सरकारी आवास पर ही मरीजों को देखते हैं। बाकायदा फीस लेकर, हां पर्ची सादा रहती है। रविवार को की सुबह करीब दस बजे डॉक्टर साहब केबिन में बैठे थे। बाहर मरीजों की भीड़ लगी थी। बाहर खड़े हेल्थ कर्मी नये व पुरानी पर्ची पर नंबर लगा रहा था और उनसे फीस ले कर एक-एक मरीज को डॉक्टर के पास भेज रहे थे।

कोई नहीं दूध का धुला

इसी तरह बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सभी सरकारी डॉक्टरों ने प्राइवेट प्रैक्टिस न करने का शपथपत्र दाखिल किया है। लेकिन अधिकतर डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में इंवॉल्व रहते हैं।

बॉक्स

लखनऊ में तैनाती, बीआरडी में प्रैक्टिस

मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डॉ। एके ठक्कर की कहानी तो और अनोखी है। डॉ। ठक्कर की तैनाती लखनऊ में है। लेकिन वे हर रविवार मेडिकल कॉलेज के सरकारी आवास में प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए आते हैं। सुबह से ही मरीजों की भीड़ लग जाती है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी अच्छी तरह से यह बात जानता है। लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

वर्जन

मेडिकल कॉलेज के सभी डिपार्टमेंट के सरकारी डॉक्टर से आरटीआई के तहत जवाब मांगा गया था। सभी से एफिडेविट भी ले लिया गया है। यदि वे फिर भी प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं तो यह गलत है। यह शासन ओर से जांच का विषय है।

-डॉ। राजीव मिश्रा, प्रिंसिपल बीआरडी मेडिकल कॉलेज