RANCHI: इस बार दीपावली के मौके पर आपको मिलावटी मिठाइयां खाने के लिए तैयार रहना होगा। मिठाई के नाम पर परोसे जाने वाले मीठे जहर की जांच का जो सिस्टम है, वह फिलहाल डिफंक्ट है। पिछले एक महीने से राज्य में फूड एनालिस्ट का पद खाली है और दीपावली के पहले तक इस पद पर किसी के ज्वाइन करने की उम्मीद भी कम ही है। इसका खामियाजा सीधे तौर पर आम लोगों को भुगतना पड़ेगा।
सैंपल लेने का काम ठप
सरकार की ओर से मिठाई की दुकानों से सैंपल लेने का काम भी बंद है। जांच की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने के कारण पिछले साल भी जो सैंपल लिए गए थे, उनकी जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। ऐसे में इस बार अगर सैंपल इकट्ठा कर भी लिए जाते हैं, तो दीपावली के गुजर जाने तक रिपोर्ट आनी मुमकिन नहीं है।
क्यों बंद है सैंपल जांच
जांच के लिए जो सैंपल लिए जाते हैं, उन्हें नामकुम स्थित सरकारी फूड लैबोरेट्री में कोडिंग कर रख दिया जाता है। सैंपल लेने का काम फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर करते हैं। रांची की एसीएमओ नीलम चौधरी ने बताया कि शहर में छह फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर हैं। रांची के फूड एनालिस्ट जीतेंद्र कुमार सिंह पिछले क्0 सितंबर को रिटायर हो चुके हैं। उनके बाद दूसरे फूड एनालिस्ट अभी तक नहीं आए हैं। इसी वजह से किसी भी सैंपल की जांच नहीं हो पा रही है।
नहीं मिल पाती मिलावटखोरों को सजा
जांच के नाम पर सैंपल लेने की खानापूर्ति तो होती है, लेकिन रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण किसी मिलावटखोर पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो पाती। यही वजह है कि मिलावट कर मिठाई तैयार करने वालों को कोई भय ही नहीं है।
नामकुम में सिर्फ दो स्टाफ
नामकुम स्थित फूड लैबोरेटरी में सिर्फ दो लोग ही काम कर रहे हैं। एक फूड टेक्नीशियन हैं और एक क्लर्क। इन्हीं दोनों के भरोसे जांच की खानापूर्ति चल रही है। जिला प्रशासन के साथ मिलकर फूड इंस्पेक्टर सैंपल कलेक्ट करते हैं और जांच होती है। टेक्निकल अधिकारी नहीं होने के कारण जांच रिपोर्ट आ ही नहीं रही है।
ना तो लैब है ना अधिकारी
झारखंड में फूड टेस्टिंग लैब की काफी कमी है। राज्य में दो फूड टेस्टिंग लैब है। एक रांची और एक दुमका में। दुमका स्थित लैब की स्थिति और खराब है। वहां न तो जांच के लिए इक्विपमेंट ही है और न ही अन्य संसाधन।
क्या-क्या मिलाया जाता है मिठाई में
आम तौर पर मिलावटखोर ऐसे केमिकल का इस्तेमाल करते हैं, जो बाजार में सस्ते मिल जाते हैं। इनमें मेटानिल येलो कलर, म्यूरिएटिक एसिड, लीड नाइट्रेट, फॉर्मालीन और सुडान-थ्री जैसे बैन केमिकल्स मिलाए जाते हैं। इनको आम तौर पर कैंसर कारक और विषाक्त माना जाता है। इनसे तैयार मिठाइयां कैंसर से लेकर चर्म रोग तक का कारण बन सकती हैं।
आप भी करा सकते हैं जांच
फू ड सेफ्टी एक्ट ख्00म् के तहत कोई भी उपभोक्ता किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ की जांच करा सकता है। अगर किसी उपभोक्ता को मिलावट का शक होता है, तो वह सैंपल लेकर लैब में भेज सकता है। इसके लिए एक हजार रुपए जमा कराना होता है। मिलावट पाए जाने पर राशि लौटाने और संबंधित दुकानदार पर कार्रवाई का प्रावधान है। मिलावट से संबंधित शिकायत सीएस ऑफि स में एसीएमओ से की जा सकती है।
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हां, महीनों से बंद है जांच
रांची के सिविल सर्जन डॉ एसएस हरिजन से बातचीत
सवाल- रांची में मिलावटी खाद्य पदार्थो की जांच क्यों नहीं हो रही है?
जवाब- पिछले कई महीनों से फूड सेफ्टी एनालिस्ट नहीं हैं, जिसके कारण जांच नहीं हो रही है।
सवाल - जब जांच नहीं हो रही है, तो दीपावली से पहले मिठाइयों के सैंपल कैसे लिए जाएंगे?
जवाब - जब अधिकारी ही नहीं हैं तो सैंपल लेकर क्या करेंगे। हालांकि, जल्द ही फूड एनालिस्ट की बहाली हो जाएगी, जिसके बाद जांच की जाएगी।
सावल - कितने दिनों से जांच बंद है।
जवाब - कई महीनों से लैब में जांच नहीं हो रही है। कोई सैंपल भी कलेक्ट नहीं किया जा रहा है।
सवाल- पिछले साल दीपावली में जो सैंपल लिया गया था, उसकी रिपोर्ट आई क्या?
जवाब - जब अधिकारी ही नहीं हैं, तो रिपोर्ट कहां से दें।