- स्वाइन फ्लू से पीडि़त अधिकांश मरीज पहले से थे अन्य बीमारियों से ग्रसित

- कमजोर इम्यूनिटी वालों को स्वाइन फ्लू से ज्यादा खतरा, एहतियात बरतें

- गुरुवार को एक और स्वाइन फ्लू पीडि़त की हुई मौत, 8 मामले नए आए

- अब तक 12 मरीजों की हो चुकी मौत, 35 लोग हुए इन्फेक्टेड

देहरादून,

स्वाइन फ्लू का वायरस बेकाबू होता जा रहा है। ऐसे पेशेंट्स के लिए यह ज्यादा घातक साबित हो रहा है जो पहले से किसी बीमारी से ग्रसित है। अब तक आये मौत के मामले भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं। इससे प्रदेश भर में स्वाइन फ्लू को लेकर डर का माहौल पैदा हो रहा है। गुरुवार को एक और स्वाइन फ्लू पीडि़त की मौत हो गई। वहीं 8 नए मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।

इम्यून सिस्टम वीक तो ज्यादा रिस्क

स्वाइन फ्लू के अब तक 35 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 12 की मौत हो चुकी है। अब तक आए मामलों में यह देखा गया है कि पहले से बीमारी से जूझ रहे लोगों में स्वाइन फ्लू का ज्यादा अटैक हुआ। अधिकांश मरीज बुखार, खांसी और सांस लेने की समस्या से ग्रसित रहे, बाद में उन्हें स्वाइन फ्लू ने भी जकड़ लिया। दून के सीएमओ डॉ। एसके गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों का इम्यून सिस्टम पहले से कमजोर होता है, उनमें स्वाइन फ्लू का खतरा ज्यादा रहता है।

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41 वर्षीय व्यक्ति की मौत

गुरुवार को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्ती मोथरोवाला, क्लेमेंट टाउन निवासी एक 41 वर्षीय मरीज की मौत स्वाइन फ्लू से हो गई। सीएमओ डॉ। एसके गुप्ता ने बताया कि उसे 21 जनवरी को भर्ती किया गया था। उसे तेज बुखार, कफ व सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

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डीजी हेल्थ ने किया अवेयर

कारगर वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं

गुरुवार को डीजी हेल्थ डॉ। टीसी पंत ने स्वाइन फ्लू को लेकर एक अवेयरनेस सेशन के दौरान बताया कि एच-1 एन-1 वायरस लगातार अपना स्वरूप बदलता है। ऐसे में लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने वाली कोई कारगर वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। बताया कि इसके लिए मास वैक्सीनेशन भी कारगर उपाय नहीं है।

सेकंड्री इन्फेक्शन तो नतीजे सीमित

डीजी हेल्थ ने बताया कि बाजार में उपलब्ध वैक्सीन अधिकतम एक वर्ष तक ही कारगर रहती है, वह भी केवल 70 प्रतिशत मामलों में। बताया कि अगर मरीज को कोई सेकंड्री इन्फेक्शन है तो वैक्सीन का असर और कम हो जाता है। इसके अलावा डायबिटीज, हार्ट, कैंसर, किडनी डिजीज या एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट्स में इस वैक्सीन के सीमित नतीजे ही मिलते हैं। बताया कि प्रत्येक जिला और बेस हॉस्पिटल में स्वाइन फ्लू को देखते हुए आइसोलेशन वार्ड बना दिए गए हैं, जिनमें 176 बेड उपलब्ध हैं।

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डेथ ऑडिट में महंत इंदिरेश को क्लीन चिट

स्वाइन फ्लू से हुई मौतों को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए 'डेथ ऑडिट' में महंत इंदिरेश अस्पताल को क्लीन चिट दे दी गई है। अस्पताल में एक के बाद एक, 6 मौत के बाद विभाग ने 6 सदस्यीय टीम का गठन किया था, जिसने डेथ ऑडिट किया और अपनी रिपोर्ट में पाया कि अस्पताल की लैब में किसी स्तर पर कोई कमी नहीं है। जिन मरीजों की मौत हुई, उनमें कुछ पहले से दूसरी बीमारियों से भी ग्रसित थे। डेथ ऑडिट को लेकर डीजी हेल्थ डॉ। टीसी पंत ने कहा कि स्वाइन फ्लू के कारण एक ही अस्पताल में मौत का बढ़ता आंकड़ा चौंकाने वाला था, इसे देखते हुए डेथ ऑडिट कराया गया। ये प्रक्रिया आगे भी चलती रहेगी।

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स्वाइन फ्लू ऐसे मरीजों में ज्यादा पाया जा रहा है जो पहले किसी दूसरी समस्या जैसे बुखार, खांसी, सांस लेने में समस्या से पीडि़त हैं, ऐसे में इन मरीजों की ज्यादा बचाव की आवश्यकता है, खासकर जिनकी इम्यूनिटी ज्यादा वीक है।

डॉ। एसके गुप्ता, सीएमओ

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स्वाइन फ्लू से दम तोड़ने वाले ज्यादातर मरीजों को इस बीमारी के अलावा अन्य बीमारियां भी थीं। जिसके कारण वे इस रोग का मुकाबला नहीं कर पाए। स्वाइन फ्लू एक 'सीजनल इन्फ्लुएंजा' की तरह ही है। जो साधारण सर्दी-जुकाम की तरह होता है और स्वत: ठीक हो जाता है, लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर यह जानलेवा हो सकता है।

- डॉ। टीसी पंत, डीजी हेल्थ।

इनमें ज्यादा इफेक्ट

- सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी, डायबिटिक पेशेंट्स

- दो वर्ष से कम के बच्चे और 60 वर्ष से ऊपर के लोग

- किडनी, कैंसर पेशेंट्स, गर्भवती महिलाएं

ये सावधानियां बरतें-

-सार्वजनिक जगहों पर निकलने से बचें, ज्यादा भीड़-भाड़ से परहेज करें

- फ्लू मास्क पहनकर ही बाहर निकलें

- खांसी या छींक आने पर चेहरा ढकें

- लगातार हाथ धोते रहें, अपने पास सैनिटाइजर रखें

-फलों और सब्जियों को बिना धोये उपयोग में न लाएं