- जिले भर में स्वाइन फ्लू की सैंपलिंग का एकमात्र स्थान

- सीएचसी-पीएचसी में नहीं दी गई सुविधाएं, परेशान हो रहे दूर-दराज से आने वाले

<- जिले भर में स्वाइन फ्लू की सैंपलिंग का एकमात्र स्थान

- सीएचसी-पीएचसी में नहीं दी गई सुविधाएं, परेशान हो रहे दूर-दराज से आने वाले

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: स्वाइन फ्लू की दहशत से परेशान पब्लिक को फिलहाल कहीं भी राहत नहीं मिल रही है। शंका का समाधान और जांच कराने के लिए लोगों को सीएमओ आफिस स्थित कंट्रोल रूम आना पड़ रहा है। जिले भर में ये दोनों सुविधाएं किसी और सेंटर पर मुहैया नहीं कराई गई हैं। इसके चलते खासतौर से गांव-देहात से आने वालों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उधर, प्राइवेट हॉस्पिटल्स और डॉक्टर्स भी पैनिक क्रिएट करने में पीछे नहीं हैं। उनकी गलत सलाह का खामियाजा पब्लिक भुगत रही है।

पब्लिक को नहीं दिए विकल्प

जिले में भले ही अब तक स्वाइन फ्लू के दो मरीज ही सामने आए हों लेकिन लोगों के दिलों में दहशत इससे कहीं ज्यादा है। जिसका असर लगातार दिख रहा है। बावजूद इसके शासन और स्वास्थ्य विभाग ने पब्लिक की राहत के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए हैं। हालात यह हैं कि जिले भर में जांच की सुविधा केवल कंट्रोल रूम में दी गई है। जो सीएमओ ऑफिस में स्थापित है। मतलब साफ है कि, जिले की किसी भी तहसील से आने वालों को यहीं पर आकर जांच करानी होगी।

सीएचसी-पीएचसी में नहीं दी किट

इलाहाबाद के ग्रामीण इलाकों में बीस सीएचसी-पीएचसी मौजूद हैं। हैरानी बात यह है कि इनमें किसी भी सेंटर पर स्वाइन फ्लू की जांच सुविधा उपलब्ध नहीं है। अगर शहर से कई किमी दूर किसी मरीज को तत्काल जांच करानी हो तो उसे बीमारी की हालत में शहर तक आना ही होगा। फिर उसे बस या ट्रेन में चाहे कितने भी धक्के खाने पड़ें। लोगों में इस लापरवाही को लेकर नाराजगी भी बनी हुई है। उनका कहना है कि कम से कम ग्रामीण इलाकों में तो जांच किट भेजी जा सकती थी।

मजबूरी में आना पड़ता है यहां

इससे भी खतरनाक स्थिति सरकारी हॉस्पिटल्स और सीएचसी-पीएचसी की है। जहां आने वाले मरीजों को सही जानकारी न देकर गुमराह किया जा रहा है। जो लोग स्वाइन फ्लू की आशंका जाहिर करते हैं उनकी काउंसिलिंग किए बगैर कंट्रोल रूम का पता बता दिया जाता है। ऐसे कई मरीज हैं जिन्होंने बताया कि उन्हें हॉस्पिटल के डॉक्टर ने यहां भेजा है। जबकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों के डॉक्टरों को मरीजों की काउंसिलिंग किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, फिर भी वह उन्हें एंटरटेन नहीं कर रहे हैं।

नहीं मिली किट, किसे-किसे बांटें

उधर, ऐसे लापरवाही भरे इंतजाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग का अपना रोना है। अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अधिक किट नहीं मिली है। शासन ने अब तक महज क्भ् किट ही उपलब्ध कराई है, इसलिए दूसरे सेंटर्स पर इन्हें उपलब्ध कराना पॉसिबल नहीं है। यहां आने वाले मरीजों के लक्षणों और हिस्ट्री का बारीकी से अध्ययन करने के बाद सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जाता है। साधारण सर्दी-जुकाम के मरीजों को काउंसिलिंग के जरिए समझा-बुझाकर उनका डर शांत किया जाता है।

माहौल को क्यों बना रहे पैनिक

एक ओर शासन के आधे-अधूरे इंतजाम तो दूसरी ओर प्राइवेट क्लीनिक और नर्सिग होम्स द्वारा भी पब्लिक को नाहक परेशान किया जा रहा है। यहां आने वाले मरीजों की क्वेरीज को सॉल्व करने के बजाय उनको जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग रिफर किया जा रहा है। मंगलवार को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के तीन छात्रों को एक प्राइवेट क्लीनिक से रिफर कर दिया गया। काउंसिलिंग के दौरान पता चला कि सभी साधारण फ्लू से ग्रसित थे। ये सभी जांच की मांग कर रहे थे। किसी तरह से इनको समझाया जा सका।

- हमारी ओर से सीएचसी-पीएचसी और सरकारी हॉस्पिटल्स में मरीजों की काउंसिलिंग की व्यवस्था की गई है, फिर भी मरीजों को यही भेजा जा रहा है। जिले भर में यहां पर जांच की सुविधा उपलब्ध है। बाकी जगहों पर किट मौजूद नहीं है।

डॉ। एएन मिश्रा, स्वाइन फ्लू कंट्रोल रूम प्रभारी, स्वास्थ्य विभाग