-एसी कोच में दिया जाने वाला बेडरोल और कोच का टेंपरेचर बन सकता है स्वाइन फ्लू की वजह

JAMSHEDPUR: ट्रेन के एसी कोच में सवारी सफर को आरामदेह बना देती है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह एसी कोच आपको स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी का भी शिकार बना सकता है। जी हां, जानकर हैरानी होगी, लेकिन डॉक्टर्स की मानें, तो एसी कोच में पैसेंजर को दिए जाने वाले बेडरोल, कोच का टेंपरेचर और साफ-सफाई की कमी स्वाइन फ्लू की वजह बन सकती है। हेल्थ डिपार्टमेंट भी इस बात को लेकर चिंतित है। आखिर क्या है इसकी वजह और क्या है एसी कोचेज का हाल? यही जानने के लिए हमने टाटानगर स्टेशन पर ट्रेनों का जायजा लिया और पैसेंजर्स से बात कर उनके एक्सपीरिएंस जानने की कोि1शश की।

एसी कोच में स्वाइन फ्लू का सफर

स्वाइन फ्लू से पीडि़त व्यक्ति के छींकने, खांसने या बात करने के दौरान निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से दूसरों में फैलता है। किसी सर्फेस या वस्तु पर फ्लू वायरस हो तो उसे छूने से भी कोई व्यक्ति उसकी चपेट में आ सकता है। एसी कोच में सफर करने वाले पैसेंजर्स को बेडरोल दिया जाता है। ऐसे में अगर स्वाइन फ्लू से पीडि़त कोई व्यक्ति इस बेडरोल का इस्तेमाल करता है और सफर खत्म होने के बाद उसे बिना सही तरीके से क्लीन किए दूसरे पैसेंजर को दे दिया जाता है, तो उस व्यक्ति में स्वाइन फ्लू होने का खतरा हो सकता है।

इस कंबल से जरा बचके

एसी कोचेज में पैसेंजर्स को जो बेडरोल दिया जाता है उसमे कंबल, चादर, तकिया और तौलिया शामिल होते हैं। इनमें से चादर, तकिया के कवर और फेस टॉवेल को तो हर यूज के बाद धोया जाता है, लेकिन कंबल की धुलाई महीने में एक बार होती है। ऐसे में अगर स्वाइन फ्लू पीडि़त व्यक्ति ने इसका इस्तेमाल किया, तो इसका इस्तेमाल करने वाले दूसरे पैसेंजर में भी स्वाइन फ्लू होने की आशंका रहती है।

टेंपरेचर बढ़ा सकती है परेशानी

एसी कोच की ठंडी हवा पैसेंजर्स का सफर आरामदेह बनती है, लेकन यह ठंड पैसेंजर्स को आराम देने के साथ-साथ स्वाइन फ्लू वायरस के पनपने के लिए भी अच्छा माहौल देती है। स्वाइन फ्लू वायरस हाई टेंपरेचर में सर्वाइव नहीं कर पाता। पर एसी कोचेज में टेंपरेचर कम होने की वजह से उसमें वायरस के पनपने की काफी आशंका रहती है। इसके अलावा हवा का सर्कुलेशन कम होना भी स्वाइन फ्लू वायरस के लिए अच्छा माहौल देता है। ऐसे में एसी कोच में पैसेंजर्स को मिलने वाली राहत परेशानी की सबब बन सकती है।

क्या कहते हैं पैसेंजर्स

रेलवे में साफ-सफाई को लेकर अक्सर पैसेंजर्स को शिकायत रहती है। प्लेटफॉर्म से लेकर ट्रेनों तक साफ-सफाई को लेकर सवाल उठाए जाते हैं। टाटानगर स्टेशन पर भी ऐसे कई पैसेंजर मिले। एक पैसेंजर ने बताया कि लोग अपनी सुविधा के लिए ज्यादा पैसे खर्च कर एसी में सफर करते हैं, लेकिन एसी कोच में भी साफ-सफाई की कमी दिखती है। बेडरोल को लेकर भी कई पैसेंजर्स ने सवाल उठाए।

साफ-सफाई में लापरवाही

ट्रेनों में साफ-सफाई की कमी की बात ख्0क्फ् में कैग द्वारा इंडियन रेलवे में क्लीनलीनेस और सैनिटेशन के पर्फामेंस ऑडिट में भी सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेशनों और ट्रेनों में क्लीनलीनेस और सैनिटेशन के लिए रेलवे द्वारा प्रयास किए गए, लेकिन इससे क्लीनलीनेस में इंप्रूवमेंट नही हुआ। धोए गए लीनेन की क्वालिटी की वीक मॉनिटरिंग और ऑटोमेटेड मैकेनाइज्ड लांड्री सेटअप करने के स्लो प्रॉसेस की वजह से लीनेन धोने के लिए आउटसोर्सिग के साथ-साथ पैसेंजर्स की असंतुष्टी भी बढ़ी।