जाहिर है कि इस शोध से वसीम अकरम और जहीर खान जैसे सैकड़ों दिग्गजों को थोड़ी हैरानी जरूर होगी। ब्रिटेन की शेफील्ड हॉल्म यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑकलैंड के शोधकर्ताओं ने इस सिद्धांत को मानने से इनकार कर दिया है।

स्विंग बॉलिंग सिर्फ बल्लेबाजों को ही नहीं बल्कि शोधकर्ताओं को भी चौंकाती रही हैं। शेफील्ड हाल्म यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी आफ ऑकलैंड के शोधकर्ताओं ने इस गुत्थी की तह तक जाने के लिए 1950 से लेकर 1985 में नासा के वैज्ञानिक रविंदर मेहता की सेमिनल रिव्यू आफ स्पोर्ट्स बॉल डायनामिक जैसे कई शोधों का गहन अध्ययन किया। इन सभी में हवा में मौजूद नमी को गेंद के स्विंग होने का अहम कारण बताया गया था।

नया दावा

शोध में शामिल डॉक्टर डेविड जेम्स ने बीबीसी से कहा कि मैदान पर अधिक गर्मी होती है तो हवा पिच से ऊपर की ओर उठती है। ऐसे में धूप से खिले दिन में हवा में काफी हलचल पैदा होती है जबकि ऊपर बादलों का ठहराव हो तो ठहरी हुई परिस्थितियां मिलती हैं। इससे धूप वाले दिन गेंद को स्विंग देने में मदद मिलती हैं।

ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में मैच की परिस्थितियां तैयार कर थोड़ी पुरानी बॉल पर टेस्ट किया। बॉल पर नमी के असर को जाँचने के लिए बिलकुल मैदान जैसे माहौल वाले चैंबर में 3डी लेजर स्कैनरों का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने पाया कि नमी का बॉल की दिशा पर ऐसा कोई दिखनेवाला असर नहीं पाया गया। इसके बाद उन्होंने एक दूसरे खयाल पर काम किया, कि स्विंग का कारण चमकीली धूप या उसका अभाव हो सकता है।

शोध की रिपोर्ट लिखनेवाले एक वैज्ञानिक डॉक्टर डेविड जेम्स ने बताया,"जब ज़मीन गर्म होती है तो हवा क्रिकेट पिच से ऊपर की तरफ़ उठती है, इससे धूप वाले दिन हवा में हलचल होती है। लेकिन बादल वाले दिन हवा थमी होती है क्योंकि जमीन से हवा ऊपर नहीं आती."

डॉक्टर जेम्स ने कहा कि उनके निष्कर्ष को अब नियंत्रित परिस्थितियों में दोबारा जाँचना चाहिए मगर वे इस बारे में पक्की राय बना चुके हैं कि स्विंग के लिए नमी जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा,"हमने नमी से जुड़ी हर संभावना का परीक्षण किया और इस नतीजे पर पहुँचे कि नमी का सिद्धांत गलत है."

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