ALLAHABAD: किसी भी व्यक्ति में ज्ञान और व्यक्तित्व का निर्माण उसके पालन पोषण एवं पर्यावरण पर निर्भर करता है। जन्म के बाद व्यक्ति को दिए गए वातावरण से उसके आनुवांशिक गुणों को भी परिवर्तित किया जा सकता है। यह बात नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय के शोध केन्द्र में सैटरडे को थॉट स्पेक्ट्रम के तहत नेचर वर्सेस नर्चर विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो। डीएन द्विवेदी ने कही।

माइंड है डिजिटल कम्प्यूटर

उन्होंने कहा कि व्यक्ति का मस्तिष्क जीव वैज्ञानिक डिजिटल कम्प्यूटर है। जिसे वातावरण रूपी जैसा चलाने वाला मिलेगा वह वैसा ही व्यवहार करेगा। उनका कहना था नेचर और नर्चर किसी भी व्यक्ति के निर्माण में बराबर के भागीदार होते हैं। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। प्रौद्यौगिकी विभाग के संकायाध्यक्ष प्रो। आरसी त्रिपाठी ने कहा कि प्रकृति द्वारा बनाई गई वस्तुओं का कोई स्थान नहीं ले सकता। प्रयोगशाला में बनायी गई वस्तुओं में कुछ न कुछ कमी रह जाती है। परीक्षा नियंत्रक डॉ। राजेश तिवारी एवं इलेक्ट्रिकल इन्जिनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष तुहिनान्शु मिश्रा ने भी बात रखी।