RANCHI : रांची यूनिवर्सिटी में कार्यरत डेमोस्ट्रेटर अब 65 साल की उम्र में रिटायर करेंगे। मंगलवार को वीसी डॉ रमेश कुमार पांडेय की अध्यक्षता में सिंडिकेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। सिंडिकेट के फैसले के बाद बाद वैसे डेमोस्ट्रेटर , जिनका 62 साल उम्र पार कर लेने के बाद पेंशन भुगतान रूका हुआ था, उनके वेतन भुगतान का रास्ता भी साफ हो गया है। इनके वेतन भुगतान के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। बैठक में वीसी के अलावा प्रो वीसी डॉ एम रजीउद्दीन, रजिस्ट्रार डॉ अमर कुमार चौधरी, डॉ प्रकाश उरांव, डॉ सरफराज अहमद, प्रॉक्टर डॉ दिवाकर मिंज, डॉ शहनाज राणा सहित अन्य तमाम सदस्य मौजूद थे। गौरतलब है कि हाइकोर्ट के फैसले के आधार पर इन्हें कर्मचारी से शिक्षक का दर्जा मिल चुका है।

कर्मचारी की लागू थी सेवा शर्ते

झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम में डेमोस्ट्रेटर को शिक्षक की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए इनके लिए शिक्षक की सेवा शर्ते लागू होनी चाहिए, लेकिन सरकार ने 2011 में अधिनियम को संशोधित करते हुए डेमोस्ट्रेटर को कर्मचारी की श्रेणी में शामिल कर दिया, इसलिए अधिनियम में संशोधन के बाद डेमोस्ट्रेटर पर कर्मचारियों की सेवा शर्ते लागू हो गई। इस तरह उनकी रिटायरमेंट की उम्र 60 साल कर दी गई।

हाईकोर्ट का खटखटाया दरवाजा

शिक्षक से कर्मचारी की श्रेणी में शामिल किए जाने के सरकार के फैसले के विरोध में डेमोस्ट्रेटर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा यूनिवर्सिटी एक्ट के अनुसार डेमोस्ट्रेटर, शिक्षक संवर्ग में आते हैं। कोर्ट का फैसला लागू करने में देरी होने पर डेमोस्ट्रटर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ अवमानना वाद दायर किया था, जो अभी तक चल रहा है। दूसरी तरफ, हाइकोर्ट के फैसले के बाद आरयू प्रशासन ने यूनिवर्सिटी अधिवक्ता एके सिंह से इस मामले पर राय ली। अधिवक्ता ने इससे संबंधित अपनी रिपोर्ट रांची यूनिवर्सिटी को सौंप दी है।

यूनिवर्सिटी कोष से मिलेगा वेतन

रांची यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रत्येक महीने में पहली तारीख को वेतन देने का डिसीजन लिया था, लेकिन सरकार से समय से वेतन राशि नहीं मिलने पर यूनिवर्सिटी ने अपने व कॉलेजों को कोष में पड़ी राशि से वेतन और पेंशन का भुगतान किया। बाद में सरकार से राशि मिलने पर उपरोक्त राशि को समायोजित कर लिया गया था। यूनिवर्सिटी अधिनियम की धारा 23 ए के तहत मार्च 2015 से फरवरी से 2016 फरवरी तक कोष से दी गई राशि को सिंडिकेट ने स्वीकृति प्रदान कर दी।