क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: रिम्स डायरेक्टर हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने का दावा कर रहे हैं. वहीं मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. इसके बावजूद हॉस्पिटल में सिस्टम फेल है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इमरजेंसी से लेकर रेडियोलॉजी तक मशीनों की कमी है या फिर मशीनें बंद पड़ी हैं. ऐसे में रिम्स में आने वाले गंभीर मरीजों का इलाज कैसे हो सकेगा. इसे लेकर जूनियर डॉक्टरों ने भी कंप्लेन की है. इसके बावजूद व्यवस्था में सुधार को लेकर पहल नहीं की जा रही है.

इक्विपमेंट्स स्टरलाइज का इंतजार

इमरजेंसी में हर दिन 400 से अधिक मरीज आते हैं. इसमें से अधिकतर मरीजों की स्थिति गंभीर होती है. जिन्हें तत्काल आपरेशन की जरूरत होती है. उनका आपरेशन इमरजेंसी के माइनर ओटी में किया जाता है. लेकिन वहां पर इक्विपमेंट्स को स्टरलाइज करने वाली मशीन की गिनती की है. इस बीच कई मरीज एक साथ इलाज के लिए पहुंच जाएं तो डॉक्टरों के सामने असमंजस वाली स्थिति हो जाती है कि वे किसका इलाज पहले करें और किसे छोड़ें. चूंकि मशीन नहीं होने के कारण इक्विपमेंट्स स्टरलाइज करने तक इंतजार करना पड़ता है.

20 दिनों से बायोकेमिस्ट्री मशीन खराब

ओपीडी में आने वाले मरीजों को डॉक्टर कई टेस्ट कराने की सलाह देते हैं. इसमें बायोकेमिस्ट्री की जांच भी कराने की सलाह दी जाती है. इसके अंतर्गत आने वाले कई टेस्ट रिम्स में फ्री में किए जाते हैं. वहीं सरकारी दर पर भी मरीजों की जांच हो जाती है. लेकिन 20 दिनों से बायोकेमिस्ट्री की मशीन खराब पड़ी है. जिसे बनाने को लेकर कंप्लेन भी की गई. लेकिन संबंधित अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगता. इसका खामियाजा इलाज के लिए आने वाले मरीज भुगत रहे हैं.

सीटी स्कैन बंद, चालू नहीं एक्सरे मशीन

सरकारी दर पर रिम्स में मरीजों का सीटी स्कैन होता है. इस सेंटर में हर दिन दो दर्जन मरीज आते हैं. लेकिन मशीन दो महीने से अधिक समय से खराब है. इसे बनाने को लेकर अब प्रबंधन गंभीर नहीं दिख रहा. इससे मरीजों की जेब हल्की हो रही है. उनके पास प्राइवेट सेंटरों में जाने के अलावा कोई चारा नहीं है. इस चक्कर में लोगों को तीन गुना अधिक पैसे भी चुकाने पड़ रहे हैं. वहीं एक एक्सरे मशीन भी पिछले दो साल से चालू नहीं हो सकी है. वोल्टेज की कमी बताकर मशीन को कमरे में ही बंद कर छोड़ दिया गया है.

वेंटिलेटर और मॉनिटर बने शोपीस

गंभीर मरीजों का बीपी पल्स चेक करने के लिए मशीनें लगी है. लेकिन इमरजेंसी के अधिकतर मॉनिटर काम ही नहीं करते. इमरजेंसी में दो लाइफ सेवर वेंटिलेटर मशीन हैं. लेकिन उसमें से भी एक मशीन कई दिनों से खराब पड़ी है. नतीजन, इमरजेंसी में मरीजों को लाने से पहले परिजन भी पूछते है कि वेंटिलेटर खाली है या नहीं. वहीं डॉक्टर और असिस्टेंट के लिए रखे गए ओटी के गाउन भी फट चुके हैं.

जूनियर डॉक्टरों के रेस्ट रूम में न पानी, न बिजली

अव्यवस्था से तंग आ चुके जूनियर डॉक्टर भी अब परेशान है. पीजी रेस्ट रूम में पीने का पानी, बिजली की व्यवस्था से लेकर आराम करने तक के लिए जूनियर डॉक्टरों को सोचना पड़ता है. आईसीयू वार्ड में ड्यूटी पर तैनात पीजी डॉक्टरों के रेस्ट रूम की व्यवस्था सही नहीं है. जहां न तो पानी आता है और न ही खिड़की में शीशा लगा है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी महिला पीजी को होती है.

वर्जन

जूनियर डॉक्टर जागरूक है तो अच्छी बात है. इमरजेंसी में कुछ अव्यवस्था है, जिसकी कंप्लेन हमें मिली है. उसे दुरुस्त कराने को कहा गया है. लेकिन इसमें हमें जूनियर डॉक्टरों का सपोर्ट चाहिए. हम हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने के लिए हर संभव काम करेंगे. जहां तक मशीनों की बात है तो उसे भी दुरुस्त कराने की प्रक्रिया चल रही है. जो मशीनें बिना वजह के ही खरीद ली गई है उसका भी इस्तेमाल हो सके इसका प्रयास हम कर रहे है.

डॉ डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स