RANCHI : दिन: मंगलवार, समय: क्ख्:फ्भ्, स्थान: रिम्स का ऑर्थो ओपीडी, दोनों पैरों पर लगे प्लास्टर को कटवाकर दिलीप मुंडा ऑर्थो ओपीडी से निकले हैं। अभी-अभी प्लास्टर खुला है और पैरों से लाचार हैं। थोड़ी-थोड़ी देर में प्लास्टर कटने के बाद पैरों पर जमी रुई उखाड़ते हैं। उनके साथ उनके भाई अनिल मुंडा और संदीप हैं और साथ में वाइफ पम्मी देवी। पैरों से चलने से लाचार होने की वजह से बड़ी उम्मीदों से ट्रॉली या फिर व्हीलचेयर का इंतजार करते हैं। पर उन्हें कुछ नहीं मिलता। अब एक्स-रे तो कराना है और एक्स-रे डिपार्टमेंट लगभग ख्00 मीटर दूर है। उनके साथ उनके भाई उन्हें गोद में उठा लेते हैं। संदीप पांव पकड़ता है और अनिल कमर। दोनों झुलाते हुए एक्स-रे डिपार्टमेंट ले जाते हैं। वजन अधिक होने और थकान होने से वे बीच- बीच में रुकते हैं। दिलीप कहते हैं: इतना बड़ा अस्पताल है एक व्हील चेयर या फिर ट्रॉली तो होनी चाहिए मरीजों के लिए। उनकी वाइफ कहती है: होगा भी तो गरीबों को थोड़े मिलेगा। बहुत उम्मीद किए पर नहीं मिला तो लेकर जा रहे हैं एक्स-रे कराना है। खैर दस मिनट की मशक्कत में वे एक्स-रे डिपार्टमेंट पहुंच जाते हैं। पम्मी देवी कहती हैं कि अच्छा है कि देवर को लेकर आए थे। नहीं रहते तो कैसे टांग कर ले जाते ये समझ में नहीं आता। जब रिम्स डायरेक्टर डॉ तुलसी महतो से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सुपरिटेंडेंट से बात करें।