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PRAYAGRAJ: मिलेनियल्स स्पीक जेनरल इलेक्शन-2019 के पहले दिन हम पहुंचे बैंक रोड स्थित राजर्षि टंडन सेवा केन्द्र। यहां टी-प्वॉइंट डिस्कशन के दौरान सैकड़ों की संख्या में जुटे प्रतियोगी छात्रों ने अपनी बात सिलसिलेवार ढंग से रखी। इस दौरान मुद्दों के हिसाब से स्टूडेंट्स के तेवर और अंदाज बदलते रहे। लेकिन फंडा सबका साफ था कि अगले चुनाव में साथ उसी का जो करेगा मुद्दे की बात.मिलेनियल्स स्पीक जेनरल इलेक्शन-2019 के पहले दिन हम पहुंचे बैंक रोड स्थित राजर्षि टंडन सेवा केन्द्र। यहां टी-प्वॉइंट डिस्कशन के दौरान सैकड़ों की संख्या में जुटे प्रतियोगी छात्रों ने अपनी बात सिलसिलेवार ढंग से रखी। इस दौरान मुद्दों के हिसाब से स्टूडेंट्स के तेवर और अंदाज बदलते रहे। लेकिन फंडा सबका साफ था कि अगले चुनाव में साथ उसी का जो करेगा मुद्दे की बात

कड़क मुद्दा

पेपर आउट पर सरकार ने नहीं दिखाई संजीदगी
टी-प्वॉइंट डिस्कशन के दौरान सबसे हॉट टॉपिक रहा पेपर आउट का। सभी स्टूडेंट्स ने एक सुर में पेपर आउट की घटनाओं पर नाराजगी जताई। युवाओं का साफ कहना रहा कि सरकार ने पेपर आउट की घटनाओं को लेकर वह संजीदगी नहीं दिखाई, जिसकी अपेक्षा उससे की जाती है। जब प्रदेश में नई सरकार बनी थी तब तमाम दावे किए गए थे कि पेपर आउट करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाएगा। लेकिन तब से अब तक कई घटनाएं हो चुकी हैं और कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

क्या सबको पता है क्या है एजुकेशन प्लानिंग
युवाओं ने कहा कि यूपी लोक सेवा आयोग से लेकर एसएससी और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड तक की परीक्षाओं में जब भी प्रकरण सामने आया। ऐसा लगा कि सरकार युवाओं के प्रतिरोध को हर बार कुचलने का काम कर रही है। एक प्रकार से पिछले कुछ समय से स्वीकृत भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है। बात घूमी तो आम बजट में शिक्षा के लिए निर्धारित किए बजट पर आकर टिक गई। सवाल उठा कि चर्चा में शामिल प्रत्येक छात्र को क्या बजट में शिक्षा के लिए किए गए प्रावधानों की संपूर्ण जानकारी है ? इसपर एकमत तरीके से कहा गया कि जब तक हम एजुकेशन प्लानिंग को खुद नहीं जानेंगे? हम सरकार से सवाल भी मजबूती से नहीं उठा पाएंगे।

मेरी बात
पीएम के स्वच्छता अभियान का अनुपालन गांवों में सही तरीके से नहीं हो रहा। शहर में भी शौचालयों की काफी कमी है। जहां शौचालय हैं भी, वहां साफ-सफाई का घोर अभाव है। इसके निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी काफी खराब है। इसको लेकर सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।
-पंकज पांडेय, प्रतियोगी परीक्षा विशेषज्ञ

रोजगार का सवाल अभी भी वहीं का वहीं है। सरकार ने रोजगार को लेकर जो सपने दिखाए। वह काम अभी भी अधूरा है। इससे हमें बेहद निराशा हुई है। जो मन लगाकर पढ़ रहे हैं। उनके लिए सरकार ने मन से सोचा ऐसा लगता नहीं।
-विवेकानंद शुक्ला, प्रतियोगी

ब्लैक मनी को वापस लाने के लिए सरकार ने जो वादे किए थे। कहीं से नहीं लगा कि सरकार ने इसके लिए कुछ किया भी। उल्टा बड़ी आसानी से कुछ लोग विदेश भाग गए और अब उन्हें वापस लाने की जद्दोजहद में भी पैसा बहाया जा रहा है।
- सौरभ दुबे, प्रतियोगी

डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का अच्छा असर देखने को मिल रहा है। कम से कम अब लोगों ने इसके बारे में सोचना तो शुरू किया है। फिर भी इसमें बहुत सारे सुधार और तेजी की जरूरत है।
- कुमारी राधिका, प्रतियोगी

पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वह बात सही है कि इनके दामों का निर्धारित होना हमारे आयात पर निर्भर करता है। फिर भी हमारी पॉलिसी में बहुत कमी है। अलग-अलग शहरों में तेल के दाम अलग अलग होते हैं।
- श्री नारायण यादव, समाजसेवी

गैस सिलेंडर घरेलू आवश्यकता की चीज है। रोजमर्रा की जिंदगी में जरुरी गैस के दामों में जिस तरह से वृद्धि हो रही है। उससे सरकार के विजन का स्पष्ट आंकलन किया जा सकता है। बाकी योजनाओं की बात क्या करें ?
- शिव शंकर, प्रतियोगी

जीएसटी से देश को लाभ हुआ है। इसका लांग टर्म इफेक्ट देखने को मिलेगा। जीएसटी से कुछ चीजों का दाम कम भी हुआ है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं। वह वही लोग हैं जिन्हें ट्रांसपैरेंट सिस्टम में काम करने का अनुभव कम है।
- जया सिसोदिया, सिविल एस्पिरेंट

आरक्षण ने सभी वर्गो को अब एक ही मंच पर ला दिया है। अब कोई किसी की काबिलियत पर सवाल नहीं उठा सकता। समाज के सबसे नीचे तबके को ऊपर लाने के लिए आरक्षण आवश्यक कदम है।
- ओम प्रकाश शुक्ला, युवा समाजसेवी

नोटबंदी ने देश को पीछे ले जाने का काम किया। आने वाले समय में इसका गंभीर दुष्प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था में देखने को मिलेगा। नोटबंदी का निर्णय सरकार द्वारा बिना व्यापक विमर्श के लिया गया।
- अशोक पांडेय, प्रतियोगी परीक्षा विशेषज्ञ