इस समय ब्रिटेन में विभिन्न बैंकों की 66 हज़ार 134 एटीएम मशीनें काम कर रही हैं. भारत में इनकी संख्या क़रीब एक लाख 24 हज़ार है.

ब्रिटेन में एमटीएम पहली बार 1967 में मुख्य सड़कों पर नज़र आए थे.

विशेषज्ञों का कहना है कि  भुगतान का तरीका डिजीटल होता जा रहा है. इसलिए अब  एटीएम को भी उन मशीनों से अलग बनाने की जरूरत है जिनके प्रयोग के हम आदी हैं.

मुख्य चुनौती स्मार्टफ़ोन की ओर से आ रही है. मोबाइल बैंकिंग उपभोक्ता को खाते की जांच, भुगतान करने, दोस्तों और रेस्टोरेंट में तेज़ी से भुगतान जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराती है.

स्मार्टफ़ोन की चुनौती

ऐसे में अब स्मार्टफ़ोन जैसा एटीएम बनाने की बात चल रही है.

हाल ही में लंदन में एक एटीएम उत्सव का आयोजन किया गया. इसमें स्मार्टफ़ोन या टैबलेट से बड़ी. लेकिन उनके जैसी ही दिखने और लगने वाली  एटीएम के प्रोटोटाइप प्रदर्शित किए गए.

सुरक्षा और साफ़्टेवेयर कंपनी डाइबोल्ड ने एक नई कैश मशीन बनाई है. इसमें टैबलेट कंप्यूटर की ही तकनीक का उपयोग किया गया है.

यह आकार में एक आम एटीएम की केवल दो तिहाई है. इसमें टचस्क्रीन कीपैड लगा है. इसे ब्राडबैंड कनेक्शन से ही चलाया जा सकता है. इसका मतलब यह हुआ कि इसका उपयोग अधिक से अधिक जगहों और  उपभोक्ता की सुविधा के मुताबिक़ किया जा सकता है.

इसमें लगे कैमरे से इसका उपयोग करने वाला यह देख सकता है कि उसके पीछे क्या हो रहा है.इसके वीडियो के जरिए धोखेबाजों को पकड़ा जा सकता है.

इस मशीन में किसी व्यक्ति के चेहरे से उसके खाते का मिलान किया जाएगा और इसकी स्क्रीन को उपभोक्ता के स्मार्टफ़ोन से जोड़ा जा सकता है.

मशीन का भविष्य

यह मशीन उपभोक्ता को अग्रिम नकद निकासी की सुविधा उपलब्ध कराएगी. यह माता-पिता को इस बात की सुविधा देगा की जब उनका बच्चा छुट्टियां मना रहा हो या कॉलेज से बाहर हो तो किसी आपात स्थिति में वह एक कोड के जरिए पैसे निकाल सके.

डाइबोल्ड के ब्राहिम केसाची कहते हैं कि मशीन अभी प्रदर्शन के दौर में है. लेकिन एक से डेढ़ साल में वह बैंकों की शाखाओं या दुकानों के लिए तैयार हो जाएगी.

कैसा होगा भविष्य का एटीएम ?

यह इस बात का संकेत है कि मुख्य सड़कों पर आम हो चुके जर्जर स्क्रीन और मैले-कुचैले कीबोर्ड वाली मशीनों की विदाई हो जाएगी.

विंकर निक्सडॉर्फ के मुख्य तकनीकी अधिकारी रीनहार्ड राबेंसटीन के मुताबिक़ तेज़ रफ़्तार इंटरनेट के इस युग में यह ठीक बात नहीं है कि कोई मशीन लोगों से यह कहे कि जब तक आपका पैसा गिना जा रहा है तब तक, कृपया थोड़ा इंतजार करें.

यही वजह है कि नगदी देने वाली मशीन की नई नस्ल मोबाइल फ़ोन की तरह पतली और स्मार्ट है.

राबेंसटीन के कंपनी की मशीन के नए मॉडल में कार्ड डालने पर उपभोक्ता का व्यक्तिगत प्रोफ़ाइल दिखाई देता है. इसमें उनके पसंदीदा लेनदेन, स्थानीय सेवाओं और उनके खाते के लिए चुनाव का विकल्प दिखता है.

जैसे कि अगर कोई व्यक्ति अक्सर मशीन से पाँच सौ रुपए निकालता है तो यह विकल्प प्रमुखता से स्क्रीन पर दिखाई देगा.

इसका फ़ायदा बैंकों को यह होगा कि उनके यहाँ काउंटर पर लगने वाली लाइन छोटी हो जाएगी और कर्मचारी भुगतान करने की जगह बैंक के अन्य उत्पाद बेच सकेंगे.

विकलागों की शिकायत रही है कि एटीएम तक उनकी पहुँच मुश्किल होती है. ऐसे में कैश मशीन में ऐसी सुविधा है कि उसे व्हीलचेयर तक झुकाया भी जा सकता है.

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