ओथ सेरेमनी से उभरी तस्वीर

यूं तो स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के लिए होने वाले नॉमिनेशंस के दौरान ही हंगामे का दौर शुरू हो गया था, पर इलेक्शन के बाद बीसीबी में तो ओथ सेरेमनी को लेकर हंगामा शुरू हो गया था। आलम यह कि कॉलेज में पहली बार तीन बार शपथ ग्रहण समारोह ऑर्गनाइज किया गया। वहीं, आरयू में भी ओथ सेरेमनी में उपाध्यक्ष ने बॉयकाट किया।

खाई जेल की हवा

स्वच्छ छवि के साथ स्टूडेंट्स के रिप्रेजेंटेटिव बनने का दावा करने वाले उम्मीदवारों ने बीसीबी और आरयू दोनों के ही छात्र संघ अध्यक्ष ने जेल की हवा खाई। आरयू के  स्टूडेंट्स यूनियन प्रेसीडेंट अरविंद पटेल को जहां मारपीट के आरोप में हवालात में जाना पड़ा, वहीं बीसीबी के स्टूडेंट्स यूनियन प्रेसीडेंट को रंगदारी मांगने के आरोप में जेल जाना पड़ा। वहीं, अन्य पदाधिकारी भी तमाम आरोपों में घिरे हुए नजर आए। इतना ही नहीं, बीसीबी के पदाधिकारियों पर तो कैंपस में अय्याशी करने और फंड का गोलमाल करने के गंभीर आरोप भी लगते रहे।

इनके भी महज चुनावी दावे

स्टूडेंट्स यूनियन के पदाधिकारियों ने चुनाव के दौरान स्टूडेंट्स से तमाम लुभावने वादे किए पर कोई भी वादा पूरा करने में नाकाम साबित हुए, ना तो वह स्टूडेंट्स को पढ़ाई का बेहतर माहौल दे सके, ना ही उन्हें प्लेसमेंट के अवसर। बीसीबी में जहां पदाधिकारियों ने बेहतर लाइब्रेरी, इंटरनेट की फैसिलिटी के लिए दावा किया, उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ। जबकि आरयू में प्लेसमेंट ही चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा जो सिरे से खारिज होता दिखाई दिया। स्टूडेंट्स यूनियन के इलेक्शन के बाद जहां प्रोफ्रेशनल कोर्सेस के स्टूडेंट्स में प्लेसमेंट की एक उम्मीद जगी थी, पर पूरी तरह धराशायी हो गई।

और दोष college को

आई नेक्स्ट ने जब कैंपस के पदाधिकारियों से बात की तो वह पहले तो छोटी-छोटी उपलब्धियां गिनाने में ही जुटे रहे, पर जब उनके ही किए गए वादों के बारे में पूछा तो पहले तो वह कुछ नहीं बोले पर बाद में उन्होंने इसका ठीकरा कॉलेज पर ही फोड़ दिया। उनका कहना है कि कॉलेज प्रशासन के सहयोग ना करने की वजह से ही वह स्टूडेंट्स से वादे पूरे नहीं कर पाए। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि जब तक छात्र संघ के नए पदाधिकारी शपथ नहीं ले लेते हैं, वह छात्रों के प्रतिनिधि के रूप में काम करते रहेंगे।

माहौल पर हावी रही नेतागीरी

बीसीबी और अवंतीबाई में तो स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन होने के बाद से ही बवालों की बाढ़ सी आ गई। कभी स्टडेंट्स यूनियन में होने वाले आपस के टकराव मुसीबत बने तो कभी टीचर्स और कॉलेज प्रशासन में नोक-झोंक। कुल मिलाकर स्टूडेंट्स को पढ़ाई का बेहतर माहौल देने का वादा करने वाले इन पदाधिकारियों के बवालों से उल्टा पढ़ाई का नुकसान हुआ। फिर चाहे वह बाइक्स कॉलेज में लाने का मुद्दा हो, लैब में स्टूडेंट्स यूनियन के पदाधिकारियों के पहुंचने का बवाल या फिर चीफ प्रॉक्टर के सामने होने वाले झगड़े हो।

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स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन को लेकर यूनिवर्सिटी व कॉलेज पर लागू की गईं लिंग्दोह कमेटी की सिफारिश के मुताबिक स्टूडेंट्स यूनियन के पदाधिकारियों का कार्यकाल शैक्षिक सत्र खत्म होने के साथ ही खत्म हो जाएगा। इसके बाद वह स्टूडेंट्स यूनियन के पदाधिकारियों को मिलने वाले किसी भी विशेषाधिकार का प्रयोग नहीं कर सकते हैं।