लगातार बढ़ रहे हैैं पेशेंट्स

हेल्दी कहे जानेवाले इस सीजन में जरा सी लापरवाही बीमारियों को न्योता दे सकती है. आज कल अकेले केवल अपोलो में डॉ देवनीश खेस के पास डेली 25 पेशेंट्स अॅर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के पहुंच रहे हैैं. रिम्स और सदर हॉस्पिटल को जोड़ा जाए, तो यह डेटा 75 के आसपास पहुंचता है. इसमें नए के साथ-साथ पुराने पेशेंट्स भी शामिल हैैं. एक्सपट्र्स के अनुसार पुराना मर्ज अब फिर से लोगों को परेशान करने लगा है.

सर्दी-खांसी से परेशानी
मौसम मेंं आ रहे बदलाव और टेंप्रेचर में हो रहे चेंजेस का सबसे ज्यादा असर बच्चों में दिखाई दे रहा है. डिहाइड्रेशन और फीवर की चपेट में आनेवाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. इनमें जरा सी भी लापरवाही से बच्चों की जान जा सकती है. सिटी के डिफरेंट हॉस्पिटल्स में डेली 50 से अधिक बच्चे हैैं, जो इनकी जकड़ में हैैं. रिम्स के मेडिसीन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ संजय कुमार सिंह ने बताया कि रिम्स में इन दिनों मौसमी बदलाव से एलर्जी, सर्दी-खांसी, बंद नाक, ब्रोंकायल अस्थमा के डेली लगभग 50 पेशेंट्स आ रहे हैं. बच्चों में भी नाक बंद होने के केसेज आ रहे हैं, इसलिए ऐसे मौसम में पहले बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए. इसके बावजूद अगर ठंड लग जाए और नाक बंद हो जाए, तो नेजल स्प्रे की जगह टैŽलेट का यूज करके उनकी नाक खुलवाने की कोशिश करना चाहिए. ऐसे मौसम में माताएं बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं और उनका हरसंभव ध्यान रखें.

खांसी न रुके तो निमोनिया
सर्दियों में बच्चों को निमोनिया का खतरा सता रहा है. रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ राजेश कुमार ने बताया कि आज कल बच्चों में निमोनिया का सीजन चला हुआ है. हॉस्पिटल के ओपीडी में डेली 20-20 केसेज बच्चों में निमोनिया के आ रहे हैैंं. वहीं करीब 30 बच्चे हॉस्पिटल में निमोनिया की वजह से भर्ती हैैं.

सांस लेने में प्रॉब्लम
ऐसे में अगर बच्चे में निमोनिया के लक्षण दिखे जैसे उसे सांस लेने में तकलीफ हो, उसका होंठ और चेहरा नीला पड़ रहा हो, वह खाना नहीं खा पा रहा हो, तो पहले उसे खूब लिक्विड फूड दें और फिर डॉक्टर से कंसल्ट करके उसका ट्रीटमेंट कराएं. ऐसे मौसम में बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अगर बच्चों की खांसी यदि नहीं थम रही है तो लापरवाही नहीं बरतें.  यह निमोनिया का पहला लक्षण है. निमोनिया होने पर जरा सी लापरवाही किए जाने पर बच्चे की जान भी जा सकती है.

यूथ को हो रहा पेन
हेक्टिक लाइफ में लोग मार्निंग वाक और एक्सरसाइज अवॉयड करने लगे हैैं. इससे लोगों को ज्वाइंट पेन और अर्थराइटिस अपना शिकार बना रही है. यूथ भी ज्वाइंट पेन का शिकार हो रहे हैैं. सिटी के डिफरेंट हॉस्पिटल्स की ओपीडी में आठ से दस केसेज ऐसे आ रहे हैैं, जिनमें यूथ को अर्थराइटिस की प्रॉŽलम हो रही है. एक्सपर्ट के मुताबिक यदि डेली धूप में बैठा जाए और विटामिन डी ली जाए, तो इन सभी प्रॉŽलम्स से बचा जा सकता है.