तालिबान का कहना है कि यह कुत्ता बीते साल दिसम्बर में पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में लड़ाई के दौरान पकड़ में आया था.

तालिबान ने इस कुत्ते का फ़ुटेज भी जारी किया है जिसमें उसे 'कर्नल' कहकर पुकारा जा रहा है.

चरमपंथी संगठन का कहना है कि इस कुत्ते में एक  जीपीएस ट्रेकिंग डिवाइस लगा हुआ था. साथ ही एक टॉर्च और छोटा सा कैमरा भी था.

अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि वह तालिबान के इस दावे की पड़ताल कर रहे हैं.

संवाददाताओं के मुताबिक़ यह पूरा वाक़या अमरीकी फ़ौज को शर्मसार करने वाला हो सकता है.

काबुल स्थित बीबीसी संवाददाता डेविड लॉयन का कहना है कि यह कुत्ता आकार में छोटा है, उसका रंग लाल-भूरा सा है और फ़ुटेज बनाने के लिए उसकी कैमरामेन के सामने परेड कराई गई है.

कुत्ते और हथियार

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि इस कुत्ते को बीते साल दिसम्बर में पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के लाघमान इलाक़े में रात के वक़्त एक कार्रवाई के दौरान पकड़ा गया था.

 तालिबान ने इस कुत्ते के अलावा उन हथियारों को भी दिखाया है जिनका इस्तेमाल आमतौर पर अमरीकी फ़ौज करती है.

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि स्थानीय मीडिया में कुछ हफ़्ते पहले आई ख़बरों में कहा गया था कि तालिबान के एक वरिष्ठ कमांडर को एक 'विदेशी कुत्ते' के साथ देखा गया.

लेकिन यह पहला मौका है जब यह कुत्ता वीडियो में नज़र आया है.

अफ़ग़ानिस्तान में तैनात गठबंधन बल विदेशी नस्ल के कुत्तों, ख़ासतौर पर जर्मन शेफर्ड, लेब्राडोर या स्पेनियल कुत्तों का इस्तेमाल करते रहे हैं.

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