-पूर्णागिरी जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा-सुविधा को लेकर सजग नहीं है उत्तराखंड सरकार

-टनकपुर के सरकारी अस्पताल में नहीं थी जरूरी सुविधाएं, जिसके चलते दो श्रद्धालुओं को रेफर करना पड़ा

बरेली: टनकपुर के बेचई में सड़क हादसे के बाद घायल श्रद्धालुओं को इलाज के लिए संयुक्त चिकित्सालय ले जाया गया। गंभीर रूप से जख्मी श्रद्धालुओं को यहां इलाज नहीं मिल सका। नतीजा, यह रहा कि दो घायल की इलाज के इंतजार में मौत हो गई। ऐसे में, बड़ा सवाल उत्तराखंड सरकार पूर्णागिरी मेले को लेकर इमरजेंसी के कोई इंतजाम नहीं किए थे। यही वजह है कि सरकारी अस्पताल में सामान्य सुविधाएं तक मौजूद नहीं हैं।

नहीं थे आर्थोपेडिक सर्जन

हादसे में श्रद्धालुओं को इलाज के बाबत जब डीएम अहमद इकबाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिस वक्त 11 घायल श्रद्धालु पहुंचे उनमें से 9 की पहले ही मौत हो गई थी। जबकि दो गंभीर रूप से घायल थे। इनमें एक घायल को हल्द्वानी और एक को बरेली हॉयर सेंटर रेफर किया गया, इसकी बड़ी वजह सरकारी अस्पताल में जरूरी सुविधाओं और डॉक्टर्स की कमी बनी। हॉस्पिटल में आर्थोपेडिक सर्जन हीं नहीं है, ऐसे में ऑक्सीजन और इलाज मिलने की बात तो दूर की बात है। डीएम की इस बात से यह जाहिर होता है कि उत्तराखंड सरकार पूर्णागिरी जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को लेकर गंभीर नहीं है।

सड़क पर प्रतिबंधित नहीं है ट्रैफिक

पूर्णागिरी जाने वाले श्रद्धालुओं को लेकर उत्तराखंड सरकार की लापरवाही का आलम यह है कि इस मार्ग पर ट्रैफिक प्रतिबंधित नहीं है। श्रद्धालु नेशनल हाईवे 125 से पूर्णागिरी जाते हैं। इसमें स्थानीय प्रशासन ने वन लेन ट्रैफिक ऑपरेट करने की जहमत नहीं उठाई। डीएम का तर्क था कि नेशनल हाईवे के अपने नियम होते हैं। इसलिए हम ट्रैफिक को बाधित नहीं कर सकते थे। हालांकि, वाराणसी-इलाहाबाद नेशनल हाईवे को सावन में एक लेन प्रतिबंधित होने की बात पर डीएम चुप हो गए। उन्होंने यह कहकर लापरवाही को स्वीकार किया कि पहले पूर्णागिरी मेला एक माह चलता था, अब 115 दिन चलता है। इस बीच चारधाम यात्रा शुरू होने से पुलिस बल की भी कमी हो गई है। ट्रैफिक को प्रतिबंधित करने में पुलिस को यह भी एक बाधा आई होगी।