RANCHI : राजधानी रांची में अब 'दिन में भी तारे जमीं' पर दिखेंगे। मार्च से यह हकीकत साकार होने जा रहा है। जी हां ! चिरौंदी में साइंस सिटी के पास तारामंडल लगभग बनकर तैयार है.साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन काउंसिल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जीएसपी गुप्ता ने बताया कि तारामंडल का काम अब अंतिम चरण में है। इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है। विदेशों से मंगाए गए सभी जरूरी इक्विपमेंट्स असेंबल हो चुके हैं। विभाग और काम करने वाली एजेंसी ने तय किया है कि मार्च महीने से इस तारामंडल को आम लोगों के लिए शुरू कर दिया जाए।

26 करोड रूपए खर्च

चिरौंदी में बन रहे इस तारामंडल की लागत 26 करोड़ रुपए है। 15 स्क्वॉयर मीटर में बन रहे इस तारामंडल का निर्माण नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम की देखरेख में हो रहा है। झारखंड सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट के अधिकारियों को कहना है कि तारा मंडल का सिविल वर्क का काम जल्द ही पूरा होने वाला है, गुंबद का निर्माण भी पूरा हो गया है।

कोलकाता तारामंडल की तर्ज पर निर्माण

रांची में बन रहा यह तारामंडल कोलकाता स्थित विश्व के दूसरे सबसे बड़े एमपी बिरला तारामंडल की तर्ज पर बन रहा है। यह एशिया का सबसे बड़ा तारामंडल है, इसी तारा मंडल की डिजाइन को लेकर रांची में तारामंडल बनाया जा रहा है। कोलकाता के इंजीनियरों की टीम इस काम को अंजाम दे रही है। इसमें एक साथ 160 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी।

एस्ट्रोनॉमी गैलरी होगी विशेष आकर्षण

रांची में बन रहे तारामंडल में अलग से एक एस्ट्रोनॉमी गैलरी भी बनाई जा रही है। जहां पर एस्ट्रोनॉमी से संबंधित चीजों को रखा जाएगा, यहां पर आकर लोग इसे देख कर कई जानकारी हासिल कर पाएंगे। तय समय में तारामंडल बन कर तैयार हो जाएगा। इसके बनने के बाद झारखंड के स्टूडेंट्स यहां रिसर्च भी कर पाएंगे। वहीं, लोगों को तारामंडल देखने के लिए कोलकाता जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

2014 में तारामंडल का हुआ था शिलान्यास

तारामंडल के निर्माण के लिए 2 फरवरी 2014 को नींव रखी गई थी। नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम के तहत इसका निर्माण कराया गया है। रांची में एक के अलावा, दो और तारामंडल स्थापित होने हैं, एक दुमका में और दूसरा देवघर में भी बनाया जाएगा।