RANCHI : झारखंड में प्रस्तावित बिजली बिल बढ़ोत्तरी को लेकर विरोध का सिलसिला जारी है। झारखंड स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (जेसिया) का आरोप है कि झारखंड बिजली वितरण निगम ने बिजली दर में वृद्धि को लेकर जो प्रतिवेदन जमा किए हैं, उसमें कई गलतियां हैं, लेकिन इसे नजरअंदाज करते हुए झारखंड स्टेट रेगुलेटरी कमीशन ने जन सुनवाई की कवायद पूरी कर ली। यह कहीं से जायज नहीं है, लेकिन कभी भी झारखंड के बिजली कंज्यूमर्स को बढ़े हुए टैरिफ का झटका लग सकता है।

क्या है गड़बड़ी

जेसिया का आरोप है कि सात मार्च को रेगुलेटरी कमीशन की अंतिम जन सुनवाई के दौरान झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के एमडी राहुल पुरवार ने यह स्वीकार किया था कि कैग का रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराया गया है, जबकि इसे उपस्थित करना कराना कानूनी बाध्यता है। इस वजह से अंतिम जन सुनवाई में अकाउंट से रिलेटेड कमेंट कोई भी कंज्यूमर नहीं दे सका, क्योंकि इससे संबंधित जानकारी उनके पास नहीं थी। ऐसे में सवाल उठता है कि अकाउंट से जुड़ी जानकारी पूरी थी ही नहीं तो बिजली दर में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव कैसे तैयार किया गया। अगर इस स्तर पर झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम ने गलती की तो नियामक आयोग ने अंतिम जनसुनवाई कैसे पूरी कर ली।

हाईकोर्ट जाने की तैयारी में जेसिया

जेसिया के सेक्रेटरी अंजय पचेरीवाला, वाइस प्रेसिडेंट दीपक मारू, एसके अग्रवाल और विनोद नेमानी ने बताया कि अगर टैरिफ एक्ट के प्रावधानों को नजर अंदाज करते हुए बिजली दर में इजाफा किया तो वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने कहा कि झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के समक्ष नियम का अनुपालन सही तरीके से टैरिफ एवं दस्तावेज का सही तरीके से जांच करने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाए।