- 25 मार्च को टैक्स विभाग में घुस कर फाइलें फाड़ने का मामला

- आग के बाद धुआं निकलने के लिए खोला गया था रोशनदान

GORAKHPUR: नगर निगम के टैक्स विभाग में लगी आग के बाद वहां बंदरों का उपद्रव भी संदेह के घेरे में आने लगा है। ये तो पता नहीं कि बंदर रोशनदान से अंदर घुसे थे या उन्हें किसी ने अंदर घुसाया था, लेकिन अफसरों और कर्मचारियों के तर्क बंदरों की प्रवृत्ति जानने वालों को खटक रहे हैं। सवाल ये है कि आग लगाकर और बंदरों से फाइल फड़वाकर कहीं किसी को बचाने या किसी घोटाले को दबाने की कोशिश तो नहीं की जा रही।

उलटे तर्क दे रहे अधिकारी

नगर निगम के अधिकारी कह रहे हैं कि रोशनदान खुला होने से बंदर अंदर घुस गए हैं जबकि मौके पर रोशनदान खुले होने के कोई निशान नहीं दिखे। वहीं वन विभाग के जानकारों की मानें तो ऐसे बंद कमरे में बंदर तभी जा सकते हैं, जब किसी ने उन्हें अंदर घुसाने की कोशिश की हो। टैक्स विभाग ऑफिस को अगर बंद कर लाइट बुझा दी जाए, तो वहां पूरी तरह अंधेरा हो जाता है। ऐसे में अगर उस दिन ऑफिस बंद था और वहां अंधेरा था तो बंदर अंदर कैसे जा सकते हैं। वन विभाग के जनार्दन शर्मा ने बताया कि बंदरों का नेचर बहुत ही अलग होता है। वे वहीं उत्पात मचाते हैं जहां पब्लिक हो। अगर कोई घर खाली पड़ा हो तो वहां बंदर जाएंगे, लेकिन सामान आदि नहीं तोड़ेंगे। उन्हें घर के अंदर बुलाया जाए और छेड़ा जाए तभी वे सामान को नुकसान पहुंचाएंगे।

इन बिंदुओं पर हो रहा संदेह

धुआं निकलने के लिए रोशनदान खुला था तो वह काला क्यों नहीं हुआ?

रोशनदान खुला तो बंद क्यों नहीं किया गया?

बंदरों को भगाने के लिए अभियान क्यों नहीं चला?

एक माह से रोशनदान खुला था तो शनिवार को ही क्यों घुसे बंदर?

अधिकारियों ने आखिर क्यों नहीं की जांच?

चार दिन बाद भी नुकसान का नहीं लगा हो सका आंकलन?

सीसीटीवी फुटेज में दिखा था कि विभाग मे बंदर घुसे थे और फाइलों को फाड़ा था। विभाग को बहुत अधिक नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन जांच चल रही है कि किसकी लापरवाही से बंदर अंदर घुसे थे।

रबीस चंद, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम