एक्जीक्यूटिव ऑर्डर का सहारा
इस कानून के संशोधन के लिए सरकार संसद की सहमति की जगह एक्जीक्यूटिव ऑर्डर का सहारा लेगी। हालांकि, मसौदा विधेयक को अभी कैबिनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है। एजेंडे में शामिलदत्तात्रेय ने कहा कि यह हमारे एजेंडे में शामिल है। यह बिल मानसून सत्र में आ सकता है। जल्द ही यह कैबिनेट की मंजूरी के लिए जाएगा। पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी एक्ट में संशोधन के बाद संगठित क्षेत्र के कर्मचारी 20 लाख रुपये तक की टैक्स फ्री ग्रैच्युटी पा सकेंगे। इससे पहले फरवरी में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने श्रम मंत्रालय के साथ इस विषय पर हुई चर्चा में अपनी सहमति जताई थी।

कम से कम पांच साल की सेवा
हालांकि, यूनियनों ने मांग की थी कि ग्रैच्युटी के भुगतान के लिए किसी प्रतिष्ठान में न्यूनतम 10 कर्मचारी होने और कम से कम पांच साल की सेवा की शर्तों को हटाया जाना चाहिए। वर्तमान में, पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी एक्ट के अनुसार, किसी कर्मचारी को ग्रैच्युटी की राशि पाने के लिए न्यूनतम पांच साल काम करना जरूरी होता है। यह कानून उन प्रतिष्ठानों पर लागू होता है जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 हो।

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