कुछ ऐसी है जानकारी
अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा हुआ कैसे, तो बता दें कि दवाओं के मूल्य नियंत्रण करने वाली सरकारी एजेंसी ने कुछ जरूरी दवाओं की नई मूल्य सीमा तय कर दी है. हाल ही में नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने इन जरूरी दवाओं की नई मूल्य सीमा को जारी किया है. बताते चलें कि NPPA ही वह सरकारी एजेंसी है, जो हर तरह की जरूरी दवाओं के मूल्य को निर्धारित करती है.
पहले भी कीमतों में आ चुकी है गिरावट
वैसे बात करें दवाओं की कीमतों में गिरवाट की तो केंद्र में नई सरकार के आ जाने के बाद बीते एक साल में दवाओं की कीमतों में काफी गिरवाट आ चुकी है. वो बात और है कि अप्रैल के महीने में रेग्युलेटर ने थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर जरूरी दवाओं की कीमतों में 3.8 फीसदी बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी थी, लेकिन आमतौर पर देखें तो दवाओं की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी. अब NPPA ने अपने लेटेस्ट ऑर्डर में इस बात को भी साफ किया है कि अगर किसी दवा की कीमत रेग्युलेटर की ओर से निर्धारित सीमा से भी कम है, तो इस तरह की दवा बेचनी वाली कंपनियां मौजूदा या सबसे कम खुदरा कीमतों को चार्ज कर सकती हैं.
कुछ और भी नियम किए गए हैं जारी
इसको लेकर दवा कंपनियों के लिए यह नियम भी जारी किया गया है कि कंपनियां फायदा उठाने के लिए कहीं भी नई पैकेजिंग या कम्पोजिशन में दवा लॉन्च न करें, जिससे वे मूल्य नियंत्रण के दायरे में न आएं. अब इस बात को लेकर भी रेग्युलेटर की ओर से हिदायत जारी कर दी गई है. इसके विपरीत अगर ऐसी स्थिति आ भी जाती है कि तो कंपनियों को सरकार से पूर्व मंजूरी लेनी बेहद जरूरी होगी. यही नहीं फार्मास्यूटिकल कंपनियों को इन दवाओं के प्रॉडक्शन को कम करने या बंद करने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.
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