- चारू चंद दास ट्रस्ट ने अस्पताल शुरू करने के लिए एयरफोर्स के पास दान की थी जमीन
- अस्पताल में बनना था सौ बेड वाला टीबी वार्ड के साथ ही जनरल वार्ड
GORAKHPUR: पूर्वाचल में टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए एयरफोर्स के समीप 22 करोड़ रुपये की लागत से अस्पताल खोलने का निर्णय शासन ने लिया। अस्पताल में सौ बेड वाला टीबी वार्ड व जनरल वार्ड बनाया जाना था। वर्ष 2014 में पूर्व कमिश्नर के रविंद्र नायक ने इसकी आधार शीला रखी थी। ठेका कार्यदायी संस्था सीएमडीएस को दिया गया। पांच माह पहले ही कार्यदायी संस्था को इस बिल्डिंग को विभाग को हैंडओवर कर देना था लेकिन अभी तक काम ही पूरा नहीं हुआ है। इसमें यह भी गौर करने वाली बात है कि इस बिल्डिंग के लिए चारू चंद दास ट्रस्ट ने जमीन दान दी ताकि लोगों को सस्ते दर पर इलाज मिल जाए लेकिन मरीजों के साथ ही ट्रस्ट की उम्मीदों पर भी विभाग पानी फेर रहा है।
बिजली का काम ही अधूरा
अस्पताल में मशीनों के चलने से लेकर दवाओं को फ्रिज में रखने तक हर काम में बिजली की जरूरत होगी लेकिन अभी तक बिल्डिंग में बिजली का काम नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, अस्पताल तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं बन पाई है। इसी तरह निर्माण की रफ्तार रही तो अभी इस साल भी शायद ही यह अस्पताल शुरू हो सके।
तीन हजार हैं मरीज
जिले में टीबी के मरीजों की संख्या काफी अधिक है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक अभी रोगियों की संख्या करीब तीन हजार है। वहीं इस सर्वे में निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले कितने ही पेशेंट्स का आंकड़ा नहीं जुट पाया है। इस तरह यदि ठीक से सर्वे कराया जाए तो यह संख्या दोगुना तक जा सकती है।
हो गए हेल्थ एंप्लाइज तैनात
क्षय रोग सह सामान्य चिकित्सालय की बिल्डिंग भले ही बनकर तैयार नहीं हो पाई हो, अन्य विभागीय तैयारियां सही समय पर हैं। यानी, यदि बिल्डिंग सही समय पर बन जाती तो अस्पताल शुरू हो सकता था। अस्पताल के लिए कुछ हेल्थ एंप्लाइज की तैनाती कर ली गई है। वहीं उपकरण और मैनपावर के लिए डिमांड भेज दिया गया है। जरूरत के हिसाब से काफी सामान आ भी गए हैं।
मेहनत से मिली जमीन, अब कद्र नहीं
- पूर्व कमिश्नर के काफी प्रयास के बाद जमीन मिली।
- एक बार काफी कोशिश के बाद जमीन नहीं मिली थी।
- दूसरी बार कोशिश रंग लाई, गोरखनाथ में अस्पताल बनना तय हुआ।
- तीसरी कोशिश में एयर फोर्स के पास खाली जमीन को किया गया फाइनल
अस्पताल चालू करने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अभी तक कार्यदायी संस्था ने अस्पताल को हैंडओवर नहीं किया है। इस वजह से समस्या आ रही है।
- डॉ। रवींद्र कुमार, सीएमओ