सीबी नॉड मशीन से होगी जांच, 18 बेड के वार्ड में होगा इलाज, नहीं जाना होगा लखनऊ

BAREILLY:

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बरेली में खतरनाक एमडीआर टीबी का मुफ्त इलाज मुहैया होने की राह तैयार हो चुकी है। मल्टी ड्रग रजिजस्टेंस या एमडीआर टीबी ऐसी बीमारी है, जिसमें टीबी के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा डॉट्स मरीज के काम नहीं आती। जिससे मरीज की जान को खतरा हो जाता है। वहीं एमडीआर मरीज के अन्य लोगों के संपर्क में आने और उन्हें भी बीमार कर देने के खतरे बढ़ जाते है। बरेली डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एमडीआर वार्ड तैयार होने के बाद ऐसे मरीजों को शहर में ही इस बीमारी का मुफ्त व बेहतर इलाज हो सकेगा। हॉस्पिटल में बने आइसोलेशन वार्ड में इस हफ्ते से ही एमडीआर मरीजों को इलाज व जांच की सुविधा मिलने लगेगी।

नहीं जाना पड़ेगा लखनऊ

बरेली में हर महीने करीब 40-50 मरीज एमडीआर टीबी के डायग्नोज होते है। मंडलीय हॉस्पिटल होने के चलते रामपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, आंवला व बदायूं के मरीज भी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचते थे, लेकिन इलाज न होने के चलते उन्हें लखनऊ जाना पड़ता था। वहीं जो मरीज निजी हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंचते उनकी एक दिन की दवा का खर्च ही करीब 250 रुपए तक पहुंचता है। एमडीआर वार्ड के शुरू होने पर बरेली मंडल के सभी टीबी व एमडीआर मरीजों को लखनऊ जाने की मुसीबत नहीं झेलनी पड़ेगी।

80 लाख की मश्ाीन से जांच

टीबी मरीजों में एमडीआर होने की जांच के लिए एमडीआर वार्ड में सीबी नॉड मशीन से जांच की सुविधा भी मुहैया है। करीब 80 लाख की लागत वाली मशीन से टीबी मरीज के एमडीआर होने की पुष्टि हो सकेगी। इसके बाद एमडीआर मरीजों को करीब 18 लाख की लागत से तैयार हुए एमडीआर वार्ड में करीब एक हफ्ते तक इलाज दिया जाएगा। पूरी तरह से आइसोलेटेड इस वार्ड में कुल 18 बेड हैं। हर बेड के बीच 6 फीट की दूरी रहेगी। वही दीवारों पर 9 फीट तक टाइल्स लगाई गई है।