आंध्र प्रदेश राज्य एक बड़े राजनीतिक संकट की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। अलग तेलंगाना राज्य के मुद्दे पर तेलूगुदेशम के 36 विधायकों ने त्यागपत्र दे दिया है। कांग्रेस के विधायकों और सांसदों ने भी इस्तीफ़े की बात कही है।

इसी तरह इस क्षेत्र के 15 में से 12 मंत्री भी त्यागपत्र देने की बात कह रहे हैं। हैदराबाद में तेलंगाना विधायक विधानसभा में उप सभापति भट्टी विक्रमारका से भेंट कर अपने त्यागपत्र उन्हें सौंप देंगे।

इसी तरह विधान परिषद के भी 10 सदस्य अध्यक्ष चक्रपाणी से भेंट करेंगे और त्यागपत्र उनके हवाले करेंगे। ठीक उसी समय दिल्ली में तेलंगाना से कांग्रेस पार्टी के सांसद स्पीकर मीरा कुमार से भेंट कर अपने इस्तीफ़े देंगे। राज्यसभा के भी दो सदस्य भी त्यागपत्र दे देंगे।

इस बात पर लोगों का ध्यान है कि क्या केंद्रीय मंत्री एस जयपाल रेड्डी भी त्यागपत्र देंगे या नहीं। रविवार को तमाम तेलंगाना सांसदों ने उनसे भेंट कर ज़ोर दिया था की वे भी त्यागपत्र दे दें। एक सांसद के राजगोपाल रेड्डी ने कहा कि जयपाल रेड्डी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे भी त्यागपत्र दे देंगे।

मांग

इन सबकी मांग है कि केंद्र सरकार तुरंत तेलंगाना राज्य की स्थापना की घोषणा करे। आंध्र प्रदेश में 294 सदस्यों वाले विधानसभा में तेलंगाना क्षेत्र से कांग्रेस के 50 और तेलुगूदेशम के 36 सदस्य हैं।

अब तक केवल उप मुख्यमंत्री दामोदर रजा नरसिम्हा और दो मंत्री दान नगेंदर और मुकेश गौड़, विधानसभा के उपाध्यक्ष भट्टी विक्रमारका और एक-दो विधायक ही त्यागपत्र न देने के मूड में हैं।

तेलंगना के एक वरिष्ठ मंत्री के जाना रेड्डी ने कहा कि तमाम तेलंगाना कांग्रेसी विधायक त्यागपत्र दे देंगे। जहाँ तक तेलुगूदेशम का सवाल है, उसमें से एक गुट ने तो रविवार को ही अपने इस्तीफ़े की घोषणा कर दी। इनमें पार्टी से निलंबित नेता एन जनार्दन रेड्डी और उनका समर्थन करने वाले जोगु रमन्ना, वेणुगोपाल चारी और हरीश्वर रेड्डी शामिल हैं।

जबसे तेलंगाना के प्रतिनिधयों ने इस्तीफ़े की घोषणा की है, कांग्रेस आला कमान ने उन्हें समझाने-बुझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन इन प्रतिनिधयों ने किसी भी बातचीत से इनकार कर दिया है।

उनका कहना है कि वो त्यागपत्र देने के बाद ही आला कमान से बात करेंगे और उन्हें तेलंगाना राज्य की घोषणा से कम कोई चीज़ स्वीकार्य नहीं होगी।

स्वागत

तेलंगाना संयुक्त संघर्ष समिति और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने त्यागपत्र के फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जो लोग अब इस्तीफ़ा नहीं देंगे, उन्हें तेलंगाना की जनता के कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा और जो इस्तीफ़ा देंगे उनका पूरा सम्मान किया जाएगा।

दूसरी और आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों से संबंध रखने वाले विधायक भी जवाबी क़दम उठाने पर विचार कर रहें हैं। उनमें से कुछ त्यागपत्र देने पर विचार कर रहे हैं, ताकि केंद्र को तेलंगाना राज्य के पक्ष में कोई फ़ैसला करने से रोका जाए।

इससे आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के संकट में पड़ जाने के आसार हैं और अभी से ऐसे संकेत मिलने लगे हैं की अगर हालात ज़्यादा ख़राब हुए, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है।

इन राजनीतिक घटनाओं के बाद तेलंगाना में तनाव बढ़ गया है। जिन मंत्रियों ने इस्तीफ़ा न देने का फ़ैसला किया है उनके घरों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

संवेदनशील इलाक़ों में केंद्रीय सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया है।

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