- टीचर्स डे मौके पर सीसीएसयू वीसी और एएसपी संकल्प शर्मा ने ने बांटे अनुभव

- सीडीओ नवनीत सिंह चहल, सोमेंद्र तोमर और सीसीएसयू प्रवक्ता ने प्रशांत ने बताया उनके जीवन में टीचर का महत्व

Meerut : जिंदगी में गुरु का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हीं की बातों को लेकर हम आगे बढ़ते हैं। जिंदगी को ऐसे मुकाम पर ले जाते हैं, जहां पर पहुंचने के लिए टीचर्स की बातों का एक अहम रोल होता है। आज हम आपके सामने पांच ऐसे लोगों की कहानी लेकर आ रहे हैं जिनके जीवन को सफल बनाने में टीचर्स का एक अहम रोल रहा है।

मां ने ही दिखाई जिंदगी की राह

मुझे मेरी मां ने ही जिंदगी को जीने और जिंदगी में आगे बढ़ने की राह दिखाई। मेरी मदर प्रवीण चहल पानीपत में हिस्ट्री की टीचर रही हैं। उन्होंने मेरी एजुकेशन से लेकर मोरल एजुकेशन तक में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज मैं एक आईएएस ऑफिसर हूं, जिसमें उन्होंने मेरी काफी हेल्प करने के साथ मेरी उन तमाम बातों और सवालों का ख्याल रखा। जो मैं उनसे कहता भी नहीं था। वह अपने आप ही समझ जाया करती थी कि मैं किस उलझन में हूं। मेरे जीवन में उनसे बेहतर कोई गुरु नहीं रहा।

- नवनीत सिंह चहल, सीडीओ, मेरठ

सिखाया प्रतिभाओं को कैसे पहचाना जाए?

मुझे सबसे अधिक प्रेरित मेरे डीएन कॉलेज के प्रोफेसर दर्शन लाल अरोड़ा, प्रो। जेसी पंत और प्रो। बीडी गुप्ता ने किया। मैनें वर्ष 1974 में बीएसई और 1976 में एमए किया है। उन्होंने में मुझे हरदम सिखाया कि अपने स्टूडेंट की प्रतिभाओं को पहचानकर उनका विकास करना काफी जरूरी है। टीचर्स डे पर मैं अपने इन तीनों को ही बहुत याद करता हूं।

- प्रोफेसर एनके तनेजा, वीसी, सीसीएस यूनिवर्सिटी

मां की तरह ट्रीट करती थी टीचर

वर्ष 1999 में नाइंथ क्लास में था। उस वक्त हमारी टीचर मिस आभा हुआ करती थीं। मैं पढ़ने में बहुत ज्यादा अच्छा नहीं था, लेकिन टीचर हमेशा मुझपर मां जैसा प्यार लुटाती थी। टीचर ने मेरी छोटी-मोटी गलतियों को हमेशा नजरअंदाज किया। उनकी बताई हर एक बात आज भी जहन में बैठी हुई है। उनकी बातों से प्रेरणा लेकर मन कुछ करने की बाते आती थी। सन 2000 में दसवीं की परीक्षा फ‌र्स्ट क्लास से पास की। उसके बाद आभा मैडम की बताई गई बातों को ध्यान में रखकर कुछ करने की ठान ली और 2012 में आईपीएस चुना गया। वास्तव जब भी टीचर्स डे आता है तो अखबारों में खबर देखकर आभा मैडम की याद जरूर आती है।

- संकल्प शर्मा, एएसपी

टीचर से मिली दूसरों की मदद करने की प्रेरणा

मैं अपने इंटर के हिंदी के टीचर सतपाल को ही अपना आदर्श मानता हूं। उन्होंने मुझे मोटिवेट किया है और मुझे दूसरों को मोटिवेट करना जैसी सकारात्मक सोच दी है। वह हरदम दूसरों की मदद करते थे, जिससे मुझे भी दूसरों की मदद करने की प्रेरणा मिली है। उनके अनुसार कॉपरेटिव नेचर ही डेवलपमेंट का अच्छा रास्ता है। इसी रास्ते पर चलकर अच्छा और सफल टीचर निकलता है। उन्हीं से प्रेरणा लेकर आज मैं एक प्रोफेसर बना पाया हूं।

- डॉ। प्रशांत कुमार, प्रवक्ता, पत्रकारिता एवं जनसंचार डिपार्टमेंट, सीसीएस यूनिवर्सिटी

जहां हूं अपने गुरु के आशीर्वाद से हूं

मैं बचपन से ही थोड़ा खुराफाती था। क्लास में बैठकर टीचर को पढ़ाते वक्त शरारत करना मेरी आदत थी। इसको लेकर समय-समय पर टीचर की बहुत सारी डांट पड़ी, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। इन्हीं आदतों को लेकर सीसीएस यूनिवर्सिटी में एमएससी में एडमिशन ले लिया। लेकिन इस क्लास मेरी जिंदगी की सबसे अहम क्लास बन गई। सन् 2003 में फिजिक्स का पीरियड था। क्लास के सभी बच्चे अपनी-अपनी बुक खोलकर पढ़ाई कर रहे थे। उसी वक्त मेरे दिमाग में एक शरारत सूझी मैंने बोर्ड के पास से चॉक उठाया और एक बच्चे के गंजे सिर में मार दिया। ऐसा करते टीचर डॉ। बीरपाल ने मुझे देख लिया और मुझे अपने केबिन में बुलाया। मुझे लगा था आज कुछ न कुछ सजा जरूर मिलेगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा। उन्होंने करीब आधा घंटे तक मुझे जिंदगी जीने की ऐसी बातें बताई कि चेहरे से हंसी व शरारत के सारे भाव उड़ गए। उसके बाद जीवन गंभीरता की ओर चल पड़ा। उनकी उसी आधे घंटे की क्लॉस ने मुझे एमएससी में टॉप कराया। उसके बाद एमफिल और फिर पीएचड़ी में टॉप किया। उसके बाद कैंपस में ही नौकरी भी मिल गई थी, लेकिन मेरा मन बिजनेस में था। इसके बाद मैंने चार डिग्री कॉलेज बनाए। जिनमें आज हजारच्ें बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बस गुरुजी की उस डांट से जिंदगी के इस मुकाम पर पहुंचा हूं।

- डॉ। सोमेंद्र तोमर, चेयरमैन रुद्रा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन