- दैत्याकार ट्रक ने स्कूल संचालिका को रौंदा, मौत

- गुरु के ताल गुरुद्वारा के पास की घटना

- लोकल हेलमेट हुआ चकनाचूर

आगरा। इयरफोन लगाकर गाड़ी चलाना एक स्कूल संचालिका के लिए बेहद खतरनाक साबित हुआ। उन्हें एक वाहन ने ठोकर मार दी। उनकी गर्दन के ऊपरी हिस्से को कुचलता हुआ निकल गया। टीचर की दर्दनाक मौत हो गई। उनके कान में इयर फोन था और हेलमेट चकनाचूर हो गया था। इसी इयरफोन के चलते कुशीनगर में स्कूली वैन में सवार 13 बच्चों की मौत हो चुकी है। भावना बैजल पत्नी प्रियांक बैजल सिकंदरा स्थित केके नगर के निवासी हैं। वे दयालबाग स्थित बचपन प्लेगु्रप के डायरेक्टर हैं। रोज की तरह भावना मंगलवार की सुबह घर से स्कूल के लिए स्कूटर से निकली। सुबह लगभग सवा से साढ़े सात के बीच गुरु के ताल गुरुद्वारा के पास एक भारी वाहन ने भावना को चपेट में ले लिया। उनके सिर को बुरी तरह कुचलते हुए चालक वाहन लेकर फरार हो गया। महिला की मौके पर ही मौत हो गई। आसपास के लोग मदद के लिए दौड़े। उन्होंने तत्काल पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची। महिला के गर्दन के ऊपर का धड़ बुरी तरह कुचल गया था। कान में लीड लगी हुई थी। लोकल हेलमेट पूरी तरह से चकनाचूर हो गया था। चेहरे से शिनाख्त करना मुश्किल हो गया था। महिला के पर्स में आई कार्ड से पहचान हुई। मोबाइल से पति प्रियांश को घटना की जानकारी दी गई। सिकंदरा पुलिस के अनुसार टक्कर मारने वाले वाहन की पहचान नहीं हो सकी है। वह टक्कर मारकर फरार हो गया। अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।

हेलमेट के उड़े परखच्चे

प्रत्यक्षदर्शियों के मुंह से उफ निकल गई। ऐसा दर्दनाक हादसा नहीं देखा था। चेहरा बुरी तरह कुचल गया था। हेलमेट के परखच्चे उड़ गए थे। बताया जा रहा है कि हेलमेट लोकल कंपनी का था।

इस घटना ने जिला कुशीनगर के दुदही बाजार के पास बहपुरवा मानवरहित क्रॉसिंग की दर्दनाक घटना की याद ताजा कर दी। 26 अप्रैल को स्कूल वैन का ड्राइवर स्कूली बच्चों को लेकर जा रहा था। रेलवे क्रॉसिंग के पास बच्चों ने ट्रेन की आवाज सुनकर ड्राइवर को रोकना चाहा। उसे चिल्लाकर बताया, पर कान में लीड के कारण ड्राइवर सुन नहीं पाया और ट्रेन की टक्कर से वैन के परखच्चे उड़ गए। इसमें 13 बच्चों की मौत हो गई थी।

एनएच के कट हैं जानलेवा

शहर के भीतर नेशनल हाईवे (एनएच) के गुजरना ही खतरे को बढ़ाता है। वहीं एनएच में जगह-जगह कट से हादसों का ग्राफ बढ़ गया है। इस ओर प्रशासन का उदासीन रवैया बरकरार है।