- आगरा यूनिवर्सिटी की वेरीफिकेशन से खुलासा

- जेडी ने सभी को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

LUCKNOW : राजकीय स्कूल्स में शिक्षकों के खाली पदों के लिए 2012 में शुरू हुई एलटी ग्रेड भर्ती प्रक्रिया बंद होने के बाद भी विवाद उसका पीछा नहीं छोड़ रहे है। इस भर्ती प्रक्रिया में फर्जी मा‌र्क्सशीट्स के सहारे छह शिक्षक नौकरी पाने में सफल हो गए हैं। विभाग की ओर से कराए गए जांच में इन शिक्षकों के अंडर ग्रेजुएट कोर्स की मार्कशीट फर्जी पाई गई हैं। यह सभी मार्कशीट्स डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी आगरा की हैं। जिसकी वेरीफिकेशन रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। मामले को गंभीरता से लेते हुए मंडलीय चयन समिति के अध्यक्ष एवं संयुक्त शिक्षा निदेशक दीप चंद ने इन छह शिक्षकों को मंडे को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। एक बार जवाब आने के बाद विभाग ने सभी शिक्षकों पर आगे की कार्रवाई शुरू करेगा।

2014 में हुई थी भर्ती

साल 2012 में 216 एलटी ग्रेड भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जिसके तहत चार फरवरी 2014 को इनमें छह कैंडीडेट्स को ज्वाइंनिंग कराई गई थी। इसके लिए मंडलीय समिति की ओर से विभिन्न विषयों एवं कैटेगरी के अनुसार आवेदन करने वाले कैंडीडेट्स की वरीयता सूची के अनुसार अनंतिम चयन कर मेरिट जारी कर दिया गया था। जिसके बाद 17 और 18 फरवरी को काउंसिलिंग भी हुई। जिसके बाद इन सभी को ज्वाइनिंग लेटर जारी कर कार्यभार भी ग्रहण करा दिया गया। जुलाई 2014 से राजकीय स्कूल्स में पढ़ा रहे इन शिक्षकों के डॉक्यूमेंट की जांच के लिए मार्कशाीट्स डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी आगरा भेजा गया। जहां से भेजी गई रिपोर्ट में छह मार्कशीट्स और फर्जी पाइर्1 गई है।

कैंडीडेट्स के डॉक्यूमेंट फर्जी

डॉक्यूमेंट की वेरीफिकेशन रिपोर्ट में कौशलेंद्र सिंह ने बीए-2004, अशोक कुमार सिंह ने बीए-2004, सचेंद्र सिंह ने बीए-2005, शैलेंद्र प्रताप सिंह ने बीए-2007, सतेंद्र सिंह ने बीए-2007 के मार्कशीट्स को यूनिवर्सिटी ने फर्जी पाए गए। वहीं शिक्षक मनोज कुमार ने बीए-2006 ने जो मार्कशीट लगाई है, उसके मा‌र्क्स और यूनिवर्सिटी के मा‌र्क्स में अंतर पाया गया है। इस मामले में बीते 21 जनवरी को इन शिक्षकों को नोटिस देकर जवाब भी मांगा गया। लेकिन किसी ने भी अपना स्पष्टीकरण नहीं दिया। अब दोबारा से नोटिस जारी कर अंतिम मौका दिया गया है। इसके बाद चयन समिति में मामले को रखकर निस्तारित ि1कया जाएगा।

पहले भी छह शिक्षकों को किया गया था बर्खास्त

जुलाई 2014 से राजकीय स्कूल्स में पढ़ाने वाले इन शिक्षकों के शैक्षिक डॉक्यूमेंट की जांच के लिए मार्कशीट्स डॉ। राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी फैजाबाद भेजे गए थे। डॉक्यूमेंट के वेरीफिकेशन की रिपोर्ट में यदुवीर सिंह की जगह यूजी मार्कशीट्स में गिरीश चंद्र तथा पिता का नाम सुभाष चंद्र शुक्ल मिला। वहीं एमए और बीएड के मार्कशीट में उक्त नाम, पिता का नाम व रोल नंबर ही अंकित नहीं था। नीरज कुमार के यूजी(बीएससी) के रोल नंबर पर चंद्र प्रकाश गुप्ता तथा पिता का नाम बच्चू लाल गुप्ता अंकित है। मनोज कुमार के मार्कशीट्स की जांच में भी किसी दूसरे का नाम, पिता का नाम व रोल नंबर अंकित है। इसी तरह संजीव कुमार के बीएससी, बीएड, एमएससी के डॉक्यूमेंट की जांच रिपोर्ट में न तो उनका नाम, पिता का नाम मिला और न ही रोल नंबर। लालजीत अरुण के यूजी, एमए व बीएड के डॉक्यूमेंट की जांच में भी उनका नाम, पिता नाम व रोल नंबर अंकित नहीं मिला। इसी तरह पुष्पेंद्र कुमार के यूजी व एमएससी के डॉक्यूमेंट की जांच में भी उनका नाम व पिता का नाम नहीं मिला। मामले में इन शिक्षकों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा गया, जिसमें इनमें से कईयों ने यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक का पत्र लगाकर मार्कशीट्स सही होने का दावा किया। लेकिन जांच में यूनिवर्सिटी ने साफ किया कि उनकी ओर से कोई भी लेटर जारी नहीं किया गया। जिस पर जेडी दीप चंद ने इन शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया था।