- अव्यवस्थाओं के बीच शुरू हुए बेसिक स्कूलों की परीक्षाएं

- कई स्कूलों में पेपर कम पहुंचे, फोटोकॉपी कराकर दिये गये प्रश्नपत्र

LUCKNOW: बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में वार्षिक परीक्षाएं मंडे से शुरू हो गई। राजधानी में बेसिक शिक्षा परिषद के करीब 1800 से अधिक प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में यह परीक्षाएं आयोजित की गई। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से पहले दिन हिंदी विषय की परीक्षा आयोजित की गई। इस बार नई शुरुआत करते हुए विभाग ने छपे हुए प्रश्नपत्र और कॉपियां स्टूडेंट्स को मुहैया कराए। विभाग का निर्देश यह भी था कि परीक्षा में दूसरे स्कूलों के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाएगी। इसके बावजूद ज्यादातर स्कूलों में दूसरे स्कूलों के शिक्षक ड्यूटी के लिए नहीं पहुंचे। लगभग सभी स्कूलों में स्कूल के ही शिक्षकों ने परीक्षा करवाई।

वैसी स्थिति तो नहीं हुई

राजधानी के सभी प्राथमिक विद्यालयों में पास के स्कूल के शिक्षक को ड्यूटी के लिए आना था, पर ज्यादातर स्कूलों में परीक्षा वहीं के टीचर्स ने कराई। पहले दिन शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विभाग का यह निर्देश हवा-हवाई ही रह गया। हालांकि बच्चों के घर से कॉपी लाने और बोर्ड पर सवाल लिखवाने की स्थिति इस बार नहीं रही, जो परिषदीय स्कूलों की परीक्षा प्रणाली का बड़ा सुधार माना जा रहा है।

परीक्षा के दौरान दिखी खामियां

परीक्षा के पहले दिन कई प्राथमिक विद्यालयों में कक्ष निरीक्षकों की कमी रही तो कई में पर्चे कम पहुंचे। वहीं अव्यवस्थाओं में प्राथमिक विद्यालय मर्दनखेड़ा में बच्चे फटी हुई चटाई पर परीक्षा दे रहे थे। यहां की इंचार्ज शमा बेगम ने बताया कि प्रथम पाली में हिन्दी की परीक्षा में थी। इसमे कक्षा दो में दस, कक्षा चार में सात और कक्षा पांच में पांच प्रश्नपत्र कम निकले। वहीं, दूसरी पाली में संस्कृत की परीक्षा में कक्षा तीन में नौ, कक्षा चार में पांच और कक्षा पांच में सात प्रश्नपत्र कम निकले। प्रश्नपत्र की कमी होने के कारण बच्चों को फोटोकापी कराकर प्रश्नपत्र दिए गए। वहीं प्राथमिक विद्यालय हंसखेड़ा पारा में 106 बच्चे परीक्षा दे रहे थे। इंचार्ज बबिता सिंह ने बताया कि दूसरी पाली की संस्कृत परीक्षा में प्रश्नपत्र का सील बंद लिफाफा खाली निकला। जिसकी शिकायत बीआरसी पर की, तब प्रश्नपत्र विद्यालय पहुंचे।