Overall smartness

प्रेजेंटे टाइम में टीचर्स हर वो साजोसामान से लैस हैं जो उन्हें प्रेजेंटेबल बनाता है। चाहे वो लुक्स की बात हो या फिर अपने सब्जेक्ट में अपगे्रडेशन की। इंटरनेट की अनलिमिटेड पॉवर का यूज वे अपने नॉलेज को अपग्रेड करने में लगा रहे हैं। फिर अपने इंट्रेस्टिंग टीचिंग मैथड से वे अपग्रेड नॉलेज को स्टूडेंट्स के बीच डिलिवर कर रहे हैं। यही नहीं टीचिंग का एनवायरमेंट भी टू वे कम्यूनिकेशन पर बेस्ड होता है। जहां किसी भी तरह का हेजीटेशन नहीं होता। टीचर्स का मानना है कि टीचिंग में टेक्नोलॉजी को इनवॉल्व करने से ट्रेडिशनल वे ऑफ टीचिंग से स्विच ओवर करने में काफी मदद मिली है। इसने स्टूडेंट्स और टीचर्स के बीच एक फ्रेंडली एनवायरमेंट क्रिएट करने में काफी मदद की है। जहां टीचर्स के प्रति सम्मान उतना ही बरकरार है। वहीं टीचर्स का यह भी मानना है कि स्टूडेंट्स के ओवरऑल पर्सनैलिटी को ग्रूम करने से पहले अपने आप को प्रेजेंटेबल बनाना बहुत जरूरी हो गया है। आखिरकार बॉडीलैंग्वेज और कम्यूनिकेशन स्किल्स तो उन्हें टीचर्स से ही सीखने को मिलता है। इस क्वालिटी के बिना स्टूडेंट महज डिग्री लेकर ही रह जाता है।

Students को करते हैं motivate

टीचर्स खुद को अपग्रेड रहने के लिए कई सोर्सेज का सहारा तो ले ही रहे हैं साथ ही वे स्टूडेंट्स को भी मोटिवेट करते रहते हैं कि वे भी इन रिसोर्सेज का भरपूर यूज करें। इससे नॉलेज तो मिलेगा ही साथ ही अपने स्किल्स को बेहतर से बेहतर ढंग से प्रेजेंट कर सकेंगे। यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज में इस तरह का कॉन्सेप्ट स्टूडेंट्स के बीच खूब अडॉप्ट किया जा रहा है। जहां वे बिल्कुल अलग नए टॉपिक पर रिसर्च कर उसे मॉर्डन मैथड जैसे प्रोजेक्टर व पावरप्वांट के जरिए प्रेजेंट करते हैं। उनके समक्ष बैठे टीचर्स उसी समय उनकी समीक्षा भी करते हैं। स्टूडेट्स का इससे कॉन्फिडेंट लेवल भी बढ़ता है।

ट्रेंड के साथ टीचिंग मैथेड बदला

बीसीबी के बीएड डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। आरके आजाद फ्यूचर टीचर्स की खेप तैयार करते हैं। ऐसी स्थिति में एक स्टूडेंट क्या एक्सपेक्ट करता है और उसके अनुसार एक टीचर को किस तरह से डिलीवर करना चाहिए, दोनों सिचुएशन से वे वाकिफ हैं। अपने 12 वर्ष की टीचिंग एक्सपीरिएंस में उन्होंने बदलते ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए अपने टीचिंग मैथड में काफी एक्सपेरिमेंट किया, जिससे फ्यूचर्स टीचर्स को टॉपिक उबाउ न लगे और कम समय में ज्यादा से ज्यादा कोर्स कवर हो सके। इसके लिए वे घंटो इंटरनेट पर टाइम स्पेंड करते हैं। स्टूडेंट्स को डिलिवर करने वाले लेक्चर्स के लेटेस्ट टॉपिक पर इंफॉर्मेशन जुटाते हैं और यू ट्यूब की मदद से उसे प्रेजेंट करने के लिए मॉर्डन तरीके ढूंढते रहते हैं। पावरप्वाइंट की मदद से वे ज्यादा से ज्यादा टॉपिक को स्लाइड में कनवर्ट करते हैं। साथ ही स्टूडेंट को भी ऐसे ही मैथड को अपनाने के लिए मोटिवेट करते हैं। डा। आजाद का मानना है कि इससे स्टूडेंट्स का ध्यान नहीं भटकता और 15 से 20 टॉपिक के लेक्चर्स महज 3 घंटे की क्लास में ही कवर हो जाते हैं।

e journals की मदद से रहते हैं आगे

आरयू के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष शंखवार का मानना है कि चॉक और ब्लैकबोर्ड की इंपोर्टेंस को आज भी नकारा नहीं जा सकता, लेकिन दिन ब दिन बदलती टेक्नोलॉजी के एरा में एक इंजीनियरिंग टीचर और स्टूडेंट दोनों को ही हाइटेक तरीके से अपग्रेड रहना पड़ता है। नहीं तो जो मार्केट और इंडस्ट्री की डिमांड है उसे पूरा नहीं किया जा सेकेगा। डिमांडेड नॉलेज को जब तक हम डिलीवर नहीं कर पाएंगे तो स्टूडेंट्स कैसे स्किल्ड हो सकते हैं। आशीष बताते हैं कि टेक्नोलॉजी के बदलते ट्रेंड के लिए हमें इंटरनेट और ई जर्नल्स के माध्यम से रिसर्च पेपर्स से इंफॉर्मेशन गैदर करते हैं। स्लाइड और पीपीटी के जरिए स्टूडेंट्स को डिलीवर करते हैं। लैब में एक्सपेरिमेंट के नए फंडे तैयार किए जाते हैं। साथ ही स्टूडेंट्स को मोटिवेशन के साथ पूरा मौका दिया जाता है कि वे इन ट्रेंडी मैथड््स को अपने बिहेवियर में उतार लें। हर स्टूडेंट को अलग-अलग टॉपिक पर लेटेस्ट इंफॉर्मेशन गैदर करने के लिए कहा जाता है। फिर वे उसी तरह से पावरप्वाइंट और प्रोजेक्टर के माध्यम से डिलिवर करते हैं जैसे टीचर डिलीवर करते हैं। इससे स्टूडेंट का न केवल नॉलेज अपग्रेड होता है बल्कि इसे अपने बिहेवियर में भी लाते हैं।

नॉलेज एंड प्रेजेंटेबल स्किल्स हैं जरूरी

बीसीबी के कॉमर्स डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष शर्मा को महज 3 वर्ष का टीचिंग एक्सपीरिएंस है। अपनी यंग पर्सनैलिटी, कम्यूनिकेशन स्क्ल्सि और वे ऑफ प्रेजेंट की क्वालिटी की वजह से वे स्टूडेंट्स के बीच काफी चर्चित भी हैं। उनका मानना है कि स्टूडेंट की ओवरऑल पसैनैलिटी को ग्रूम करने के लिए जितना टेक्नोलॉजी मददगार साबित होता है उतना ही उनके लुक्स भी। स्टूडेंट्स के लिए सबसे जरूरी है नॉलेज के साथ प्रेजेंटेबल स्किल्स की। आशीष कहते हैं कि मेरे लिए पसैनैलिटी का 'पी' का मतलब है फिजिक। जब तक मैं पूरी तरह से वेल ग्रूम्ड नहीं रहूंगा तो स्टूडेंट्स को कैसे ग्रूम करुंगा। उनकी इसी क्वालिटी की वजह से बीसीबी के करियर काउंसलिंग एंड प्लेसमेंट सेल का इंचार्ज भी बनाया गया है। बीकॉम और एमकॉम के स्टूडेंट्स को बिजिनेस कम्यूनिकेशन समेत कई सब्जेक्ट्स की जटिलता को सरलता से समझाने के लिए वे बुक्स के अलावा इंटरनेट के तमाम आर्टिकल्स और स्पेसिमेन का सहारा लेते हैं। वे बताते हैं कि बुक्स में वो लेटेस्ट इंफॉर्मेशन नहीं मिलती जिस वजह से स्टूडेंट्स उनसे लेटेस्ट आर्टिकल्स की डिमांड करते हैं। मुहैया तो कराते ही हैं साथ ही स्टूडेंट्स को वो जरिया भी बाताते हैं कि कैसे और कहां से वे खुद ही अपने आप को अपग्रेड कर सकें। करियर काउंसलिंग सेल में विडीयो और ऑडियो सेशन की मदद से स्टूडेंट्स की बॉडीलैंग्वेज, कम्यूनिकेशन स्किल्स समेत सभी प्रेजेंटेबल स्किल्स को निखारने का काम अब उनके जिम्मे है।

इंट्रेक्टिव एंड टू वे कम्यूनिकेशन इज बेटर

आरयू के ईआई डिपार्टमेट के असिस्टेंट प्रोफेसर अजय यादव जबरदस्ती की शिक्षा में विश्वास नहीं रखते। टीचर आए और लेक्चर देकर चला जाए। ये जाने बिना कि स्टूडेंट को समझ में आया की नहीं। अजय अपनी क्लास को इंट्रेक्टिव और टू वे कम्यूनिकेशन बनाने में ज्यादा विश्वास रखते हैं। वे कहते हैं कि बुक्स में तो केवल बेसिक नॉलेज होता है लेकिन बदलते ट्रेंड में उसे एप्लिकेशन में कैसे लाते हैं, इसकी मदद हमें इंटरनेट टेक्नोलॉजी से मिलती है। उन एप्लिकेशन को नए एक्सपेरिमेंट के साथ लैब में यूज करते हैं। अजय बताते हैं इंजीनियरिंग कंटीन्यूअस चेंजिंग फील्ड है। इसके लिए हमें लगातार इंटरनेट रिसोर्सेज के टच में रहना पड़ता है। जिन जरियों से हम इंफॉर्मेशन गैदर करते हैं उनही जरियों को इस्तेमाल करने की विधि स्टूडेंट्स को भी बताते हैं। स्टूडेट्स को एप्लीकेशन को समझाने के लिए बुक्स के अलावा कभी लैपटॉप तो कभी प्रोजेक्टर तो कभी लैब में मशीनों का सहारा लेना पड़ता है।

Report by-abhishek singh