आग़ा ख़ान विश्वविद्यालय ने कनाडा की एक संस्था के सहयोग से यह शोध किया है.शोध के मुताबिक़ 20 प्रतिशत अध्यापक 20 मिनट से ज़्यादा और 10 प्रतिशत पांच मिनट से भी कम समय तक पढ़ाते हैं। यह शोध चौथी और पाँचवीं कक्षा के छात्रों पर किया गया है।

आग़ा ख़ान विश्वविद्यालय का कहना है कि इस शोध का उद्देश्य शिक्षा की स्थिति, प्रशिक्षण और प्रशासन की जानकारी हासिल करना है.शोध में बताया गया है कि विज्ञान, अंग्रेज़ी और सामाजिक विज्ञान के छात्रों की परिक्षा ली गई जिसमें 17 प्रतिशत छात्र कामयाब हुए, जिसमें से छात्राओं की प्रदर्शन बहतर देखा गया।

शोध से यह बात भी सामने आई है कि 56 प्रतिशत छात्र प्रतिदिन स्कूल जाते हैं जबकि 44 प्रतिशत लगातार अनुपस्थित रहते हैं। 'अध्यापकों के लिए अलग विभाग बने'

सरकार को बताया गया है कि अध्यापकों की प्रतिभा संतोषजनक नहीं है और उनको प्रशिक्षण की भी ज़रुरत है। सरकार को सुझाव दिया गया है कि अध्यापकों के लिए एक अलग विभाग बनाया जाए।

सिंध में शिक्षा के सुधार के लिए विश्व बैंक सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने प्रांतीय सरकार की मदद की है। इस समय भी यूरपीय संघ ने तीन करोड़ 90 लाख यूरोज़ दिए हैं।

आग़ा ख़ान विश्वविद्यालय के डॉक्टर मोहम्मद मेमन ने बीबीसी को बताया कि अध्यापकों को प्रशिक्षण देना बहुत ही ज़रुरी है और इस समय ऐसे अध्यापक नहीं हैं कि वह स्कूल संभाल सकें।

शिक्षा क्षेत्र के जानकार असग़र सूमरो का कहना है कि अध्यापकों की नियुक्तियाँ मेरिट पर नहीं की जाती है इसलिए अध्यापक स्कूल से ग़ैर हाज़िर रहते हैं।

ग़ौरतलब है कि अध्यापकों की नियुक्तियों की प्रक्रिया भी हमेशा आलोचना का निशाना बनती रही है इसलिए वर्तमान सरकार ने नियुक्तियों के लिए परीक्षा भी ज़रुरी कर दी है।

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