140 से अधिक पोस्ट खाली

यूनिवर्सिटी के विभिन्न डिपार्टमेंट्स में कुल मिलाकर 347 पोस्ट सैंक्शंड हैं जिसमें से 140 से अधिक पोस्ट इस समय वेकेंट हैं। टीचर्स की कमी की वजह से वैसे तो पिछले कई सालों से पढ़ाई एफेक्टेड हो रही है, लेकिन पिछले 2 साल से मानदेय टीचर्स भी हटने की वजह से यह प्रॉब्लम और बढ़ गई है। 2010-11 और 11-12 सेशन में तो यह कंडीशन रही कि बहुत से सब्जेक्ट्स के स्टूडेंट्स को बिना कोर्स कम्प्लीट किए ही एग्जाम देने पड़े। अधिकतर साइंस और कॉमर्स के बहुत से स्टूडेंट्स ने तो प्राइवेट कोचिंग्स के सहारे अपना कोर्स कम्प्लीट किया।

report by: Shailesh Arora

आर्ट्स फैकल्टी में सर्वाधिक प्रॉब्लम

टीचर्स की कमी से वैसे तो सभी फैकल्टी में है, लेकिन इसमें सबसे अधिक प्रॉब्लम आर्ट्स फैकल्टी में है। इसमें भी उर्दू और होम साइंस डिपार्टमेंट के हालात तो बहुत ही खराब हैं। इन डिपार्टमेंट्स में मात्र एक-एक टीचर है। उर्दू डिपार्टमेंट में एक टीचर पर जहां बीए फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड इयर के साथ एमए फर्स्ट और सेकेंड इयर की जिम्मेदारी है वहीं होम साइंस में भी एक टीचर को बीए फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड इयर की क्लासेज अकेले ही देखनी होती हैं।

60 दिन क्लास में भी प्रॉब्लम

लास्ट इयर यूनिवर्सिटी ने होम साइंस में गेस्ट फैकल्टी का अरेंजमेंट तो किया था लेकिन सेशन शुरू होने के कई मंथ्स बाद। लगभग 3-4 मंथ्स तक तो यह कंडीशन रही कि इस डिपार्टमेंट में स्टूडेंट्स की क्लासेज ऑल्टरनेट डेज पर होती थीं। इसमें भी अगर किसी वजह से टीचर नहीं आईं तो छुट्टी। यूजीसी की गाइडलाइन्स के अनुसार स्टूडेंट्स की क्लासेज 180 दिन चलनी चाहिए, लेकिन यहां पर तो 60 दिन क्लास चलाने में भी प्रॉब्लम होती है।

नहीं क्लियर होते टॉपिक

लॉ डिपार्टमेंट की बात करें तो कई बार ऐसा हुआ कि एक टीचर ने एक साथ 160 स्टूडेंट्स की क्लास ली। ऐसे में स्टूडेंट्स और टीचर में कितना इंटरेक्शन होना पॉसिबल है यह कोई भी समझ सकता है। स्टूडेंट्स ने खुद इस बात को माना था कि अगर कोई टॉपिक उनको क्लियर नहीं होता तो वह कई बार पूछ भी नहीं पाते।