-71 हजार विद्यालयों में गणित और साइंस के टीचर्स की कमी

-जो विषय विशेषज्ञ नहीं हैं उन्हें भी कहा जाता है पढ़ाने के लिए

क्कन्ञ्जहृन्: एक ओर खेल को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार लगातर प्रयासरत है वहीं दूसरी ओर प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत फिजिकल टीचर से साइंस और गणित विषय पढ़ाने को कहा जा रहा है। जो अध्यादेश 1960 के खिलाफ है। इस अध्यादेश के तहत स्कूल से लेकर इंजीनियरिंग मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की फिजिकल ट्रेनिंग के लिए टीचर रखना है। लेकिन बिहार के हजारों टीचर जो विषय विशेषज्ञ नहीं है फिर भी शिक्षा विभाग के दवाब में पढ़ाने को कहा जा रहा है। आज दैनिक जागरण आई नेक्सट की स्पेशल स्टोरी में पढि़ए फिजिकल टीचर का सच।

विषयवार शिक्षकों की है कमी

राज्य के 71 हजार प्राथमिक और मध्य विद्यालय में गणित और साइंस विषय के टीचर्स की कमी है। ऐसे में स्टूडेंट्स की समस्या को देखते हुए स्कूल के प्राचार्य पैरेंट्स से बचने के लिए फिजिकल टीचर को गणित

और साइंस पढ़ाने मे लगा देते हैं जो नियम के विरुद्ध है। डीजे आई नेक्स्ट से बात करते हुए फिजिकल टीचर मुकेश कुमार ने बताया कि दबाब में आकर बच्चों के क्लास ले रहे हैं। क्लास से पहले खुद पढ़ना पड़ता है।

क्योंकि साइंस के विषय में उतना जानकारी नहीं है।

कॉपी चेक करने की अनुमति नहीं

उल्लेखनीय है कि भले फिजिकल टीचर क्लास ले लेते हैं लेकिन बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक और इंटर एग्जाम में कॉपी चेक करने की अनुमति इन्हें नहीं मिलती है। अधिकारियों की मानें तो फिजिकल टीचर को दूसरे विषय का जानकारी नहीं होती इसलिए उन्हें कॉपी चेक करने को नहीं दिया जाता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि इन टीचर्स को क्लास में अन्य विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी क्यों दी जाती है?

क्या है नियम

शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अध्यादेश 1960 पारित किया था। जिसमें कहा गया है कि स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान स्टूडेंट्स को शारीरिक शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए 13 हजार 800 फिजिकल टीचर्स की बहाली की गई। लेकिन टीचर्स को फिजिकल शिक्षा देने के बजाय साइंस शिक्षा देने में लगा दिया गया है। ऐसे में स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है क्योंकि फिजिकल टीचर साइंस के विशेषज्ञ नहीं होते हैं।

स्कूलों में टीचर की कमी होने पर फिजिकल टीचर से हेल्प लिए गए होंगे। ऐसा नहीं है कि फिजिकल टीचर को परमानेंट तौर पर अन्य विषय पढ़ाने के लिए बोला गया होगा। इस व्यवस्था में सुधार किया जाएगा।

-विनोदानंद झा,

ओएसडी, शिक्षा विभाग