RANCHI: राज्य सरकार की निरक्षरता मिटाओ अभियान को बल देते हुए रांची और जमशेदपुर डीसी ने अपने-अपने जिले की निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए नई पहल करने का निर्णय लिया है। इसके अनुसार अब शिक्षकों को अपनी इच्छा से कम से कम 10 निरक्षर महिलाओं को शिक्षित करने का दायित्व सौंपा गया है। रांची में पारा टीचर्स और अल्पसंख्यक स्कूलों के शिक्षकों को मिलाकर कुल 7106 टीचर्स हैं, जबकि जमशेदपुर में यह संख्या 5000 के करीब है। इस तरह इस नायाब पहल से राज्य की करीब एक लाख बीस हजार महिलाओं को साक्षर करना संभव हो पाएगा। नि:शुल्क शिक्षा की ज्योत जलाने वाले इन शिक्षकों को टीचर्स डे के अवसर पर सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।

छुट्टी में भी कर रहे काम

इस निर्देश के बाद स्टेट के शिक्षक अवकाश के दौरान भी काम कर रहे हैं। अपनी फुलपैक्ड दिनचर्या के बावजूद रविवार या अन्य छुट्टियों के दिन शिक्षकों का प्रयास रहता है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को शिक्षा से रूबरूकिया जाए। उल्लेखनीय है कि राजधानी में होने के बावजूद भी आसपास के कई रूरल एरियाज की महिलाओं में शिक्षा का भारी अभाव है।

वूमेन इम्पावरमेंट पर फोकस

राज्य की महिलाओं को सशक्त बनाने पर फोकस किया जा रहा है। महिलाओं के लिए केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गयी योजनाओं उज्ज्वला, कन्या समेत अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जरूरी है कि महिलाएं पूरी तरह शिक्षित हों। इस मुहिम को बल देने के लिए शिक्षकों को इससे सीधे तौर पर जोड़ा जा रहा है।

स्कूलों में लग रहे एलईडी व फैन

शिक्षकों के इस मुहिम से जुड़ने के बाद स्कूलों को भी रात्रि पाठशाला व अन्य सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। स्कूलों में एलईडी व फैन लगाए जा रहे हैं। स्कूल की छुट्टी होने के बाद भी आसपास की ग्रामीण महिलाओं को साक्षर बनाने का प्रयास किया जा सके।

वर्ज

शिक्षकों को अवसर दिया जा रहा है कि वे लोग अपनी इच्छा से कम से कम 10 महिलाओं को शिक्षा से जोड़ें। इस मुहिम से शिक्षकों के जुड़ने के बाद शिक्षा का प्रचार-प्रसार तेजी से किया जा सकता है। अधिक से अधिक महिलाओं को इसका लाभ दिलाना ही हमारा लक्ष्य है।

आर महिमापत रे, डीसी, रांची