जब मैंने थोड़ा आगे का सोचा

गाजियाबाद के एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहे जयदीप ने आईनेक्स्ट से बात करते हुए बताया कि साल 2011 में मेरा एक एक्सीडेंट हो गया था जिसकी वजह से मैं करीब 6 महीने घर पर ही थाउस वक्त मैंने एक रिपोर्ट पढ़ी कि दुनिया भर के एनर्जी रिसोर्स 2032 तक खत्म हो जाएंगेमैंने उसके आगे की साची और यहीं से मेरी नॉवेल की शुरुआत हुई, जिसे मैंने फाइनली 2013 में खत्म किया

किताब के बारे में बोले

अपनी नॉवेल के प्लॉट के बारे में बात करते हुए जयदीप ने बताया कि मेरी नॉवेल का प्लाट 2026 का है, जब दुनिया भर में एनर्जी के रिसोर्स खत्म हो रहे होंगे और तब एक ऐसी टेक्नोलॉजी बनती है जिससे एनर्जी की समस्या खत्म हो सकती हैलेकिन कुछ बड़ी कम्पनियां और पॉलीटीशिंस उस एनर्जी को रोकने के लिए कांसपिरेसी रचते हैं ताकि उनकी कमाई और भ्रष्टाचार पर कोई असर न पड़ेफिर जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, कहानी का हीरो एलेक मर्सर भी आगे बढ़ता है

जो मैंने ख्वाब में देखा था

अपनी दूसरी प्रिंट में जल्द ही जाने वाली ये नॉवेल काफी चर्चा में है, जयदीप बताते हैं कि उन्हें इस कहानी कि प्रेरणा अपने एक ख्वाब से मिली जिसमें उन्होंने देखा था कि दुनिया में एनर्जी के सोर्स खत्म हो चुके हैं ओर वो बुराइयों से लड़ रहे हैंवो बताते हैं कि मैंने अपने सपने में जो देखा था उसी से मुझे अपनी नॉवल का प्लॉट मिलामैंने पूरी कोशिश की है कि मेरी बुक का कवर कुछ उसी तरह हो जो मंजर मैंने अपने ख्वाब में देखा था

दूसरी की भी तैयारी

अपनी पहली नॉवेल से ही सक्सेज स्टोरी लिख चुके इस इंजीनियर इन मेकिंग ने करीब-करीब अपनी दूसरी नॉवेल भी कंप्लीट कर ली है, लेकिन फिलहाल वो प्रॉयारिटी अपनी पढ़ाई को देना चाहते हैंजयदीप के अनुसार, मेरी पहली नॉवेल की सक्सेज से मैं काफी एक्साइटेड हूं और लगभग अपनी दूसरी नॉवेल कंप्लीट करने वाला हूंये एक फैंटसी रोमांटिक एडवेंचर नॉवेल होगीफिलहाल मेरा ध्यान मेरी पढ़ाई पर है, और वक्त मिलते ही मैं अपनी दूसरी नॉवेल भी खत्म कर लूंगा