- जनपद के बाल संपे्रक्षण गृह में सजा काट रहे हैं 34 किशोर

- रेप, मर्डर, छेड़खानी और झगड़े के आरोप में हैं निरुद्ध हैं

- संप्रेक्षण गृह में मेरठ के अलावा बागपत के भी हैं बाल बंदी

Meerut : रेप के बाद हत्या जैसे जघन्य अपराध का आरोपी महज तीन साल की सजा पाकर रिहा हो गया। निर्भया केस के बाद देशभर में एक चर्चा जोर पड़ रही थी कि जुवेनाइल मुजरिम को इस गंभीर अपराध की क्या सजा मिलेगी? लंबी बहस के बाद रिजल्ट आपके सामने है। सुप्रीम कोर्ट ने वही सजा मुकर्रर की जो कानून की किताब में लिखी है। सजा के लिए किशोरों की उम्र में संशोधन की मांग पूरे देश में उठ रही है। इस संबंध में आई नेक्स्ट टीम ने रविवार को जिला संप्रेषण गृह का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।

मेरठ के 22 बंदी

वर्तमान में शहर के बाल संप्रेक्षण गृह में कुल 34 किशोर हैं। जिसमें से 22 मेरठ के हैं और 12 बागपत जिले के हैं। इनमें अधिकांश हर तरह के आपराधिक घटनाओं में लिप्त किशोरों को रखा गया है। जो अमूमन इस उम्र में अंजाम दे रहे हैं। लूट, चोरी, मारपीट की घटनाओं में लिप्त किशोर तो हैं ही साथ ही रेप, मर्डर, छेड़खानी जैसे गंभीर आरोपों के भी किशोरों को यहां पर रखा गया है।

गंभीर अपराधों वाले

बाल संप्रेक्षण गृह में जितने भी किशोर हैं उनमें सबसे ज्यादा गंभीर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर आए हैं। धारा 376, 302 और पॉस्को एक्ट के तहत सबसे ज्यादा किशोर यहां निरुद्ध हैं। 34 में से करीब डेढ़ दर्जन किशोर रेप, मर्डर और छेड़खानी के आरोप में लाए गए हैं। लूट और चोरी के भी डेढ़ दर्जन और बाकी मारपीट के हैं।

कुछ तथ्य

- मेरठ के बाल संपे्रक्षण गृह में 34 किशोर हैं।

- 22 किशोर मेरठ के, जबकि 12 बागपत के हैं।

- रेप, मर्डर और छेड़खानी के करीब 16 हैं 'संप्रेषण गृह' में।

- लूट और चोरी के करीब 15 प्रकरण।

- तीन अन्य प्रकरण के आरोपी।

तीन वर्ष से ज्यादा सजा नहीं

भारतीय दंड संहिता आईपीसी के तहत जो किशोर आपराधिक घटनाओं में लिप्त होते हैं उनके सजा के लिए अलग ही एक्ट है। भारतीय कानून के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु वाले किशोर कहलाए जाते हैं। ये किसी भी गंभीर आपराधिक घटनाओं में क्यों न लिप्त हों, इन्हें अधिकतम तीन वर्ष से ज्यादा की सजा नहीं दी जा सकती। इन्हें जेल में नहीं रखा जा सकता। इन्हें बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है। संप्रेषण गृह को 'बच्चा जेल' कहने तक से एतराज करने वाला कानून यह जानता है कि इन आपराधिक प्रवृत्ति के किशारों के क्रियाकलाप समाज विरोधी हैं। बेशक कुछ सुधरते हैं तो ज्यादातर कि लिए ये एक ट्रेनिंग कैंप भी है।

मिलिए मेरठ के 'कब्र खोदा' से

कब्र खोदा, अरे! ये नाम है भई। 11 सितंबर 2013 को सिविल लाइन्स थाना क्षेत्र के राकेश कौशिक के इकलौते बेटे करन कौशिक का हत्यारा है जुवेनाइन ताज मोहम्मद उर्फ सोनी उर्फ कब्र खोदा। सनसनीखेज हत्याकांड के मुख्य आरोपी ताज ने हत्याकर शव को कब्र में दफना दिया था, तब से ही उसे कब्र खोदा का खिताब मिला। जिस समय ताज ने हत्याकांड को अन्जाम दिया उस समय उसकी उम्र 17 साल 9 माह थी। शनिवार को ही ताज बालिग हुआ है। मेरठ में ऐसे कई 'बाल कैदी' है जो पुलिस की नाक में दम किए हैं। राजा भइया और ताज की जोड़ी का राज चलता है जुवेनाइल हाउस पर। नशेबाजी से लेकर नियमित अपराधों में ये बाल कैदी लिप्त हैं।