उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए उठाए कदम
16 अक्टूबर, 2015 को दूरसंचार उपभोक्ता सुरक्षा के सम्बन्ध में संशोधन किया गया था। जिसमे एक और नियम जोड़ा गया। इसके अनुसार यदि नेटवर्क में दिक्कत होने के कारण कॉल कट या ड्रॉप हो जाता है तो ऐसी स्थिति में कंपनियां उपभोक्ताओं को हर्जाना देगी। लेकिन सभी कंपनियां इसको मानने को तैयार नहीं हैं। उनकी दलील है की अगर इस सम्बंध में उनपर जुर्माना लगाया जाता है तो कंपनियों को करीब 1,000 से 1,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा, जो उन पर बहुत बड़ा बोझ होगा।

एक साल के लिए लागू किया जाएगा
ट्राई द्वारा इस नियम को एक साल के लिए चलाया जाएगा, जिसमें 800  करोड़ रुपये का खर्च होगा। इस नियम के अनुसार तकनीकी वजहों से कॉल ड्राप होने कि स्थिति में उपभोक्ताओं को प्रति कॉल ड्राप पर 1 रुपये हर्जाने के रूप में दिया जाएगा। इसी नियम के विरुद्ध 21 टेलीकॉम कंपनियों ने हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है की ऐसी सर्विसेस देना नामुमकिन है जिसमें कॉल ड्राप एकदम ना हों। फिलहाल ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट में है जिस पर 6 जनवरी को सुनवाई होंगी।
उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए उठाए कदम
16 अक्टूबर, 2015 को दूरसंचार उपभोक्ता सुरक्षा के सम्बन्ध में संशोधन किया गया था। जिसमे एक और नियम जोड़ा गया। इसके अनुसार यदि नेटवर्क में दिक्कत होने के कारण कॉल कट या ड्रॉप हो जाता है तो ऐसी स्थिति में कंपनियां उपभोक्ताओं को हर्जाना देगी। लेकिन सभी कंपनियां इसको मानने को तैयार नहीं हैं। उनकी दलील है की अगर इस सम्बंध में उनपर जुर्माना लगाया जाता है तो कंपनियों को करीब 1,000 से 1,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा, जो उन पर बहुत बड़ा बोझ होगा।

 

एक साल के लिए लागू किया जाएगा

ट्राई द्वारा इस नियम को एक साल के लिए चलाया जाएगा, जिसमें 800  करोड़ रुपये का खर्च होगा। इस नियम के अनुसार तकनीकी वजहों से कॉल ड्राप होने कि स्थिति में उपभोक्ताओं को प्रति कॉल ड्राप पर 1 रुपये हर्जाने के रूप में दिया जाएगा। इसी नियम के विरुद्ध 21 टेलीकॉम कंपनियों ने हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है की ऐसी सर्विसेस देना नामुमकिन है जिसमें कॉल ड्राप एकदम ना हों। फिलहाल ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट में है जिस पर 6 जनवरी को सुनवाई होंगी।


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