स्कूल से छुट्टी के बाद दोपहर में घर लौटने वाले मासूमों का इस तरह का कमेंट इन दिनों सुनाई देना बेहद कॉमन है। कारण है धूप जो आलमोस्ट जला देने वाला एहसास करा रही है। पारा वेडनसडे को 43 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया। दिन में घर से निकलने की सोचना भी कठिन होने लगा है।

43 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचा पारा

-एक सप्ताह से 40 के आसपास ही मंडरा रहा है दिन का तापमान

-न्यूनतम तापमान भी राहत देने के मूड में नहीं, 25 तक पहुंच चुका है इस दौरान

-धूप और लू झुलसा देने वाला एहसास देते हैं दिन में

<स्कूल से छुट्टी के बाद दोपहर में घर लौटने वाले मासूमों का इस तरह का कमेंट इन दिनों सुनाई देना बेहद कॉमन है। कारण है धूप जो आलमोस्ट जला देने वाला एहसास करा रही है। पारा वेडनसडे को ब्फ् डिग्री सेल्सियस के पार चला गया। दिन में घर से निकलने की सोचना भी कठिन होने लगा है।

ब्फ् डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचा पारा

-एक सप्ताह से ब्0 के आसपास ही मंडरा रहा है दिन का तापमान

-न्यूनतम तापमान भी राहत देने के मूड में नहीं, ख्भ् तक पहुंच चुका है इस दौरान

-धूप और लू झुलसा देने वाला एहसास देते हैं दिन में

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: पार्किंग के लिए स्पेश न मिलने पर गलती से भी घंटा भर गाड़ी धूप में खड़ी रह गई तो उसमें बैठना मुश्किल है। बाइक धूप में खड़ी रह गई तो न क्लच पकड़ने का मन करता है और न ही सीट पर बैठने का। धूप के चलते दोनों छू भर लेने पर जलने जैसा एहसास कराने लगे हैं। इसके बाद भी न तो स्कूलों की टाइमिंग चेंज हुई है और न ही प्रशासन ने बच्चों को राहत देने की कोई पहल की है। स्कूल मैनेजमेंट को कोर्स पूरा कराने की टेंशन है तो उसने छुट्टियों के चलते पिछड़े कोर्स को मई में ज्यादा दिन स्कूल खोलकर पूरा कराने के मूड में है। झेल रहे हैं बेचारे बच्चे और उनके पैरेंट्स।

दोपहर में सड़कों पर होता है सन्नाटा

चुनाव का पीक समय शुरू हो चुका है। खेत कट चुके हैं और दंवाई का काम भी आलमोस्ट पूरा हो चुका है। इससे किसान भी फ्री हैं। इसके बाद भी बमुश्किल ही प्रत्याशी दिन में कोई सभा करने का साहस बटोर पा रहे हैं। गर्मी इतनी है कि पब्लिक बहुत जरूरी न होने पर घर से निकलने में कतरा रही है। दोपहर क्ख् बजे के बाद तो सबसे हेवी ट्रैफिक शहर की सड़कों पर उसी वक्त दिखता है जब स्कूलों में छुट्टी का समय होता है। खास बात यह है कि स्कूलों की छुट्टी का वक्त भी वही होता है जब सूरज की किरणें आग बरसा रही होती हैं। क्लास रूम में तो फिर भी हवा के आने-जाने से थोड़ी राहत होती है लेकिन कैंपस से बाहर निकलते ही सड़कों से आंच आने जैसा महसूस होता है। इसके बाद फिर से सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। लोग शापिंग के लिए निकलने से भी कतराते हैं, इसका असर बिजनेस पर भी है।

बच्चों की दशा देख पैरेंट्स परेशान

तपती दुपहरी में बच्चों को स्कूल से कलेक्ट करना टॅफ टास्क है। बसों में बच्चे ठूंसकर भरे जाते हैं। इससे स्कूल से निकलने के चंद मिनट बाद ही वे पसीना-पसीना नजर आने लगते हैं। रिक्शे में और बुरा हाल होता है। सीधे आंच का असर चेहरे पर आता है। बाइक से बच्चों को लेने वाले पैरेंट्स पहले छाए का स्थान देखते हैं वहां गाड़ी कुछ देर के लिए खड़ी कर देते हैं ताकि सीट थोड़ी ठंडी हो जाए। अन्यथा की स्थिति में बच्चों को बैठा लेने पर बच्चा चीख सा उठता है और सीट जलने के बारे में बताता है।

डीएम का आदेश हो तो कदम उठाएं

इस मामले में पूछे जाने पर स्कूल मैनेजमेंट का कोई भी सदस्य सीधे सामने आने के लिए तैयार नहीं हुआ। उसने उल्टे कहना शुरू कर दिया कि। सीबीएसई ने सेशन शुरू करने का टाइम बढ़ा दिया है। दूसरे इलेक्शन में गाडि़यों को अधिग्रहित कर लिए जाने के चलते वैसे भी स्कूल पांच से आठ तक बंद रहेंगे। हमें फ‌र्स्ट युनिट टेस्ट भी कराना है। हमारी मजबूरी है कि स्कूल को क्भ् मई बाद भी कुछ दिनो के लिए खोलकर रखें। इसके साथ ही यह तर्क देने से नहीं चूके कि गवर्नमेंट के प्राइमरी स्कूल तो फ्क् मई तक खुले रहते हैं। साथ ही यह जोड़ा कि डीएम गर्मी के चलते स्कूलों को बंद करने या टाइम कम करने जैसा कोई आदेश दे देते हैं तो इस पर जरूर विचार किया जाएगा।

पीक पर हैं सारे काम

गर्मी का असर तो पीक की ओर बढ़ रहा है, संयोग से काम का भी यह पीक समय है। मसलन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में यूजी के आफलाइन फॉर्म खरीदने और जमा करने की प्रक्रिया क्0 मई तक चलेगी। नेट के आवेदन करने वालों के लिए चालान जमा करने की अंतिम तिथि सात मई है। जेईई मेंस का कटऑफ फ्राइडे को जारी होने वाला है, इसके बाद छात्र एडवांस्ड की तैयारी में लग जाएंगे। मेडिकल इंट्रेंस के फॉर्म भरने का प्रॉसेस चल रहा है। स्कूलों में युनिट टेस्ट या तो शुरू हो चुके हैं या शुरू होने वाले हैं। ऑफ कोर्स लोकसभा चुनाव का भी पीक समय चल रहा है। शादी विवाह का सीजन साथ-साथ चलने की वजह से यहां भी पीक समय चल रहा है।

पिछले एक सप्ताह का तापमान

दिनांक अधिकतम न्यूनतम

ख्9.ब्.क्ब् ब्ख्.0 ख्ख्.0

ख्8.ब्.क्ब् ब्0.8 ख्ख्.7

ख्7.ब्.क्ब् फ्9.म् ख्भ्.भ्

ख्म्.ब्.क्ब् ब्क्.क् ख्ख्.9

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गंगा के मैदानी इलाकों का कंकरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है। शहरों और गांव में अत्याधुनिक विकास से प्रकृति को जो नुकसान पहुंच रहा है वह अत्यधिक गर्मी का कारण है। फिलहाल तो जो हालात हैं बहुत जल्द टेम्परेचर पैंतालीस डिग्री को छू लेगा। लोगों को सलाह है कि वे लू से बचने के सभी उपाय करें। वरना उनका बीमार पड़ना तय है।

-डॉ। एसएस ओझा,

ज्योग्राफी डिपार्टमेंट इलाहाबाद यूनिवर्सिटी