- बॉलीवुड तड़के के बिना अधूरी है राजनीति की चाल

- लोकसभा से लेकर विधान सभा तक हर बार होती है फिल्मी चमक

- तमाम पार्टियों के लिए पहली पसंद हैं फिल्मी कलाकार

- पब्लिक को जोड़ने और भीड़ बढ़ाने के लिए बनाते हैं प्रत्याशी

- गिनती के कलाकारों को छोड़कर राजनीति में फेल हुए बाकी सितारे

- इस बार भी वेस्ट यूपी में सितारों से भरा है मैदान

deepak.sharma@inext.co.in

Meerut : सपनों के पलक पर चमकने वाले सितारे राजनीति के मैदान में हैं। राजनीति से सिनेमा का रिश्ता नया नहीं है। सिनेमा के ग्लैमर को राजपथ की राह हमेशा से भाती रही है। या यूं कहें कि तमाम राजनीतिक दलों के लिए सिने सितारों से गठजोड़ रास आता रहा है। वो बात दूसरी है कि कई सिने सितारे अपनी पहली पारी के बाद राजपथ की धूल में कहां गुम हो गए आजतक पता नहीं चल सका। कारण जो भी हों पर यह रिश्ता कुछ कहता है।

इतिहास कुछ कहता है

सिनेमा जगत से राजनीति के राह पकड़ने वालों में कई नाम आते हैं। जिन्होंने सिनेमा ही नहीं राजनीति के कई मंझे हुए खिलाडि़यों तक को धूल चटा दी। इनमें नाम आता है बालीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का। जिन्होंने क्98ब् में 8वीं लोकसभा का इलाहाबाद से चुनाव लड़ा और अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व मुख्यमंत्री एचएम बहुगुणा को धूल चटा दी। हालांकि तीन साल बाद बोफोर्स केस में नाम आने के बाद उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली। ऐसे क्ब्वीं लोकसभा में गोविंदा ने पूर्व केबिनेट मंत्री रामनाईक को संसद से बाहर का रास्ता दिखा दिया। सुनील दत्त, जयाप्रदा, धर्मेंद्र ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को राजनीति के अखाड़े से ही बाहर कर दिया।

पार्टी बदली, सीट बदली

फिल्म अभिनेता राजबब्बर का राजनीतिक क रियर काफी अच्छा रहा है। साल क्99ब् में पहली बार सपा से राज बब्बर राज्य सभा सदस्य चुने गए। क्999 में क्फ्वीं लोकसभा के लिए मनोनीत होने के बाद ख्00ब् में आगरा से ही सांसद चुने गए। इसके बाद साल ख्009 में राज फिरोजाबाद से सांसद चुने गए। अब गाजियाबाद से कांग्रेस ने राज बब्बर को लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है।

चमक पड़ गई फीकी

कई ऐसे सितारे भी रहे जो बालीवुड के आसमान पर तो चमके, लेकिन राजनीति के पथ पर लंबी पारी नहीं खेल सके। इनमें अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना और गोविंदा रहे। जो राजनीति में जितने जोश और जज्बे के साथ उतरे, उतनी ही तेजी से गायब भी हो गए।

जब छापने पड़े पोस्टर

अब बात करें बालीवुड के हीमैन धर्मेंद्र की। जिन्होंने भाजपा के टिकट पर क्ब्वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा। बीकानेर से चुनाव जीत कर संसद तक पहुंचे। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों को उनके दर्शन तक नसीब नहीं हुए और लोगों को अपने लापता सासंद के लिए गुमशुदा के पोस्टर तक छपवाने पड़े। ऐसे एक और सांसद रहे हैं नीतिश भारद्वाज, महाभारत के कृष्ण जो जमशेदपुर से चुनाव जीतने के बाद लोगों के लिए लापता हो गए।

अछूता नहीं रहा हॉलीवुड

ऐसा नहीं है कि सिर्फ बालीवुड के सितारों को ही राजनीति रास आई है। अगर पश्चिम की तरफ नजर करेंगे तो हमें कई हॉलीवुड के सितारे दिखेंगे, जो राजनीति के आसमान पर खूब चमके। इनमें नाम आता है जॉर्ज मर्फी, रोनाल्ड रेगन, क्लिंट ईस्टवुड, फ्रड ग्रेंडी, बेन जॉनस, सनी बॉनो, जेसी, आर्नोल्ड, फ्रेड थॉम्सन और अल फ्रेंक आदि रहे।

विधानसभा में भी चमके

लोकसभा ही नहीं विधानसभा भी सिने जगत के सितारों से खूब रोशन रही है। इनमें नाम आता है जयललिता तमिलनाडू की मुख्यमंत्री, एमजी रामचंद्रन पूर्व सीएम, एनटी रामाराव पूर्व सीएम आंध्र प्रदेश, केबी गणेश कुमार केरल के केबिनेट मंत्री, नेपोलियन मंत्री तमिलनाडू, बाबू मोहन पूर्व विधायक, विजयकांत आदि।

पिछले चुनाव में जीते

वर्तमान यानी क्भ्वीं लोकसभा में सिनेमा जगत से छह फिल्मी सितारे संसद पहुंचे थे। इनमें राज बब्बर, शत्रुघन सिन्हा, जयाप्रदा, बांग्ला फिल्मों के सितारे शताब्दी रॉय, तपस पॉल और कन्नड़ फिल्म अभिनेत्री रामया।

इस बार मैदान में

राजबब्बर, शत्रुघन सिन्हा, नगमा, जयाप्रदा, मुनमुन सेन, किरण खेर, गुल पनाग, हेमा मालिनी, रामया, मनोज तिवारी, रवि किशन, कुणाल सिंह, चिराग पासवान, महेश मांजरेकर, कमाल खान, शताब्दी रॉय, चिरंजीवी, परेश रावल आदि।

बॉलीवुड में राजनीति

राजनीति में फिल्मी कलाकारों की हमेशा ही मांग रही है। लेकिन बॉलीवुड में भी राजनीति फिल्मकारों को पसंदीदा विषय रहा है। राजनीति पर तमाम फिल्में बन चुकी हैं। लेकिन कुछ खास फिल्में ही दर्शकों की पंसद पर खरी उतरी है। इनमें आंधी, इंकलाब, आज का एमएलए, नायक, लोफर, राजनीति, सत्ता आदि फिल्मों का नाम लिया जा सकता है।

वर्जन

अभिनेता भी अच्छा जनसेवक हो सकता है। इसके तमाम उदाहरण है। पब्लिक भी अपने नायक में अपने सपनों को जीती है।

- राज बब्बर, सांसद

फिल्मी कलाकार पब्लिक के दिलों से जुडे़ होते हैं, ऐसे में पब्लिक का दर्द कलाकार से बेहतर कौन समझ सकता है। पब्लिक के दर्द को दूर करने के लिए ही चुनाव मैदान में उतरी हॅू।

-नगमा, कांग्रेस प्रत्याशी, मेरठ

आम पब्लिक की नजर में फिल्मी कलाकार उनके हीरो होते हैं, ऐसे में कलाकारों की जिम्मेदार पब्लिक के लिए काफी बढ़ जाती है। कलाकार राजनीति के मैदान में हर बार खुद को साबित करते रहे हैं।

- जया प्रदा, सांसद