-10 सीजीपीए पाने वाले स्टूडेंट्स 12वीं में साबित हो रहे फिसड्डी

- इस साल 12वीं में 35 पर्सेट स्टूडेंट्स का रिजल्ट आया लो

BAREILLY: हाईस्कूल में क्0 सीजीपीए हासिल कर इंटरमीडिएट में फिसड्डी साबित होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या इस साल सीबीएसई के रिजल्ट में बढ़ी है। सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि लो मा‌र्क्स पाने वाले इन स्टूडेंट्स की संख्या भ्-क्0 नहीं बल्कि फ्भ् पर्सेट है, जो कि चिंताजनक है। वैसे इसकी वजहों को जानने की कोशिश की गई तो कई बातें सामने आई, जिनमें स्टूडेंट्स का लापरवाह या फिर ओवर कॉन्फि डेंट होना पाया गया। दूसरा, सीजीपीए सिस्टम में इंटर्नल मार्किग व्यवस्था, जिसमें टीचर्स की मिजाजपुर्सी कर कुछ स्टूडेंट सफलता का शार्टकट तो लगाते हैं, लेकिन नॉलेज लेवल वीक ही रह जाता है। इंटरमीडिएट में जब इनका ब्रॉड सिलेबस से वास्ता पड़ता है तो ये हाई मा‌र्क्स लाने में पिछड़ जाते हैं।

फ्भ् फीसदी बन रहे सीजीपीए विक्टिम

शहर के अमूमन हर सीबीएसई स्कूल में क्ख्वीं का रिजल्ट प्रभावित हुआ है। टेन्थ में क्0 सीजीपीए लाने वाले स्टूडेंट्स से स्कूल इस साल टॉप मा‌र्क्स लाने की आशा कर रहा था,

लेकिन औसतन फ्भ् पर्सेट इंटेलीजेंट स्टूडेंट्स के रिजल्ट में गिरावट आई है। कई स्कूलों में तो ये रेट ब्0 से ब्भ् पर्सेट तक पहुंच गया है। अचानक डाउन हुए रिजल्ट पर स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स भले भौचक हैं, लेकिन टीचर्स इस स्थिति को साफ तौर पर सीजीपीए विक्टिम बता रहे हैं। बीबीएल के टीचर आरएम सक्सेना का मानना है कि टेन सीजीपीए लाकर स्टूडेंट खुद को ब्रिलियंट समझने लगते हैं, इसलिए क्क्वीं में सही विषयों का चुनाव नहीं करता। बच्चे का परिवार भी टेन सीजीपीए आने के बाद ओवर कांफिडेंस का शिकार हो जाता है, यही स्थिति गंभीर रूप लेकर रिजल्ट डाउन कर रही है।

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यूपी बोर्ड में भी हालत बराबर

सीबीएसई स्कूल में जहां सीजीपीए सिस्टम लागू होने से स्टूडेंट के क्ख्वीं के रिजल्ट में गिरावट आई है, वहीं यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट का रिजल्ट भी हाईस्कूल का एग्जाम सरल बनाने से प्रभावित हुआ है। इस बाबत साहू गोपीनाथ स्कूल की प्रिंसिपल मीरा प्रियदर्शनी कहती हैं कि हाईस्कूल के प्रैक्टिकल और इंटर्नल मा‌र्क्स जोड़कर मार्किंग सिस्टम आसान बनाने से स्टूडेंट अच्छे मा‌र्क्स तो पा जाते हैं, लेकिन उसकी नॉलेज लेवल में इंप्रूवमेंट नहीं होता। इसी कारण इन स्टूडेंट्स का परफार्मेस क्क्वीं क्लास में डाउन होने लगती है। होम एग्जाम में ये जैसे-तैसे पास तो हो जाते हैं, लेकिन इंटरमीडिएट के बोर्ड एग्जाम में स्टूडेंट फेल हो जाता है या फिर रिजल्ट लो आता है।

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यह रीजन निकल कर आए सामने

-स्टूडेंट्स थोड़ा ओवर कॉफिडेंट हो जाता है। जिसका हाईस्कूल के बाद उसकी स्टडी पर पड़ता है।

-स्टूडेंट्स में बोर्ड एग्जाम का प्रेशर हैंडल करने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती है।

-इंटरनल मार्किंग का भी उनकी स्टडी पर पड़ता है अच्छा खासा असर।

क्या है सीजीपीए

कैमुलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज यानि सीजीपीए टेन्थ एग्जाम में स्टूडेंट द्वारा सभी विषयों में प्राप्त किए ग्रेड प्वाइंट्स का औसत है। ये व्यवस्था सीबीएसई ने ख्0क्ख् से लागू की है। इसके तहत स्टूडेंट्स को एग्जाम में मा‌र्क्स ग्रेडिंग के रूप में दिए जाते हैं।

स्कूल अपना रिजल्ट बेहतर करने के लिए लो परफार्मेस व फेल स्टूडेंट्स के इंटरनल एग्जाम में कई कई बार री-एग्जाम कराते हैं। इस तरह स्टूडेंट जैसे-तैसे पास तो हो जाता है। फिर उसका सीजीपीए भी अच्छा बनता है, लेकिन क्क्वीं के वाइड सिलेबस को वह संभाल नहीं पाता और इसी का सीधा रिजल्ट क्ख्वीं के रिजल्ट में देखने को मिलता है।

- अभिषेक, टीचर, इकोनॉमिक्स

सीसीई व सीजीपीए सिस्टम अच्छा है, लेकिन अमूमन स्कूल इसको इंप्लीमेंट कराने का सही तरीका नहीं जानते, जो प्रिंसिपल इसे सही तरह से लागू करा पाए हैं, उनके टेन सीजीपीए वाले छात्रों ने क्ख्वीं में भी अच्छा परफार्म किया है।

- अनुरोध चित्रा, प्रिंसिपल

टेन सीजीपीए लाने वाले बच्चे और उनका परिवार भी इनका सही असेस्मेंट नहीं कर पाता। साथ ही कई स्कूल क्0वीं में अपना रिजल्ट सुधारने के लिए बच्चे के इंटर्नल मा‌र्क्स को बढ़ा कर भी देते हैं। क्0वीं और क्ख्वीं के कोर्स में बहुत अंतर होता है। क्0वीं की बोर्ड परीक्षा सरल हो जाने से बच्चा क्क्वीं में पहुंचकर भी उतना मेहनती नहीं बन पाता है। सिलेबस और कॉम्पिटीशन एग्जाम का ये बर्डन क्ख्वीं तक पहुंचने पर उसे लो परफॉर्मर में तब्दील कर देता है।

- इंजी। गीत सूरी, टीचर, फिजिक्स