1- सर सैयद अहमद ख़ान अलीगढ़ में मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएण्टल कालेज की स्थापना की जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

2- सर सैयद अहमद ख़ान अपने समय के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेता थे। उनका विचार था कि भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश सरकार के प्रति वफ़ादार नहीं रहना चाहिये। सर सैयद ने ही उर्दू को भारतीय मुसलमानों की सामूहिक भाषा बनाने पर ज़ोर दिया था।

3- 1842 में भारत के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने उन्हें जवद उद दाउलाह उपाधि से सम्मानित किया। 
जब एक अखबार बांटने वाले ने बनाई मिसाइल

4- 1857 के गदर की असफलता के चलते सर सैयद का घर तबाह हो गया उनके परिवार के कई लोग मारे गए और उनकी मां को जान बचाने के लिए करीब एक सप्ताह तक घोड़े के अस्तबल में छुपे रहना पड़ा। इसके बाद ही वे पूरी तरह अंग्रेजों और उनके शासन के खिलाफ हो गए और पक्के राष्ट्रवादी बन गए। 

5- उन्होंने मुस्लिम कौम को अंग्रेजों के प्रभाव से निकालने के लिए काम करना शुरू किया और लोगों को बताया कि अंग्रेज शासक उनका कभी भला नहीं करेंगे। 

6- अपने काम के लिए उन्हें सबसे सही माध्यम शिक्षा लगी और इसीलिए उन्होंने मुस्लिम समाज को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। इसी क्रम में सर सैयद ने 1858 में मुरादाबाद में आधुनिक मदरसे की स्थापना की और 1863 में गाजीपुर में भी एक आधुनिक स्कूल की स्थापना की।
इन्होंने लड़कर दिलवाया अधिकार नहीं तो ब्रिटेन में महिलाएं नहीं कर सकती थीं मतदान

7- समाज को जागरुक करने के लिए उन्होने "साइंटिफ़िक सोसाइटी" की स्थापना की, जिसने कई शैक्षिक पुस्तकों का अनुवाद प्रकाशित किया। साथ ही उर्दू और अंग्रेज़ी में द्विभाषी पत्रिका निकाली।

8- सर सैयद ने 1886 में ऑल इंडिया मुहमडन ऐजुकेशनल कॉन्फ़्रेंस का गठन किया, जिसके वार्षिक सम्मेलन मुसलमानों में शिक्षा को बढ़ावा देने तथा उन्हें एक साझा मंच उपलब्ध कराने के लिए देश भर में आयोजित किया जाते थे।

9- 1906 में उन्होंने मुस्लिम लीग की स्थापना की जो उस समय भारतीय इस्लाम मानने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख राष्ट्रीय मंच बन गया था। बाद में यही मंच ऑल इंउिया मुस्लिम लीग के नाम से मशहूर हुआ। 
शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण आत्मनिर्भरता के नानाजी

10- मई 1875 में सर सैयद अहमद खाने ने अलीगढ़ में 'मदरसतुलउलूम' नाम से एक मुस्लिम स्कूल स्थापित किया। इसके बाद 1876 में रिटायर होने के बाद उन्होने इसे कॉलेज में बदलने की शुरूआत की। हालांकि कई रूढ़िवादी मुस्लिम उनके विरोध में थे, इसके बावज़ूद कॉलेज कामयाब रहा और यही संस्था 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बदल गई और आज तक कायम है। 

1- सर सैयद अहमद ख़ान अलीगढ़ में मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएण्टल कालेज की स्थापना की जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

 

2- सर सैयद अहमद ख़ान अपने समय के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेता थे। उनका विचार था कि भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश सरकार के प्रति वफ़ादार नहीं रहना चाहिये। सर सैयद ने ही उर्दू को भारतीय मुसलमानों की सामूहिक भाषा बनाने पर ज़ोर दिया था।

 

3- 1842 में भारत के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने उन्हें जवद उद दाउलाह उपाधि से सम्मानित किया। 

जब एक अखबार बांटने वाले ने बनाई मिसाइल

 

4- 1857 के गदर की असफलता के चलते सर सैयद का घर तबाह हो गया उनके परिवार के कई लोग मारे गए और उनकी मां को जान बचाने के लिए करीब एक सप्ताह तक घोड़े के अस्तबल में छुपे रहना पड़ा। इसके बाद ही वे पूरी तरह अंग्रेजों और उनके शासन के खिलाफ हो गए और पक्के राष्ट्रवादी बन गए। 

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 10 बातें

5- उन्होंने मुस्लिम कौम को अंग्रेजों के प्रभाव से निकालने के लिए काम करना शुरू किया और लोगों को बताया कि अंग्रेज शासक उनका कभी भला नहीं करेंगे। 

 

6- अपने काम के लिए उन्हें सबसे सही माध्यम शिक्षा लगी और इसीलिए उन्होंने मुस्लिम समाज को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। इसी क्रम में सर सैयद ने 1858 में मुरादाबाद में आधुनिक मदरसे की स्थापना की और 1863 में गाजीपुर में भी एक आधुनिक स्कूल की स्थापना की।

इन्होंने लड़कर दिलवाया अधिकार नहीं तो ब्रिटेन में महिलाएं नहीं कर सकती थीं मतदान

 

7- समाज को जागरुक करने के लिए उन्होने "साइंटिफ़िक सोसाइटी" की स्थापना की, जिसने कई शैक्षिक पुस्तकों का अनुवाद प्रकाशित किया। साथ ही उर्दू और अंग्रेज़ी में द्विभाषी पत्रिका निकाली।

 

8- सर सैयद ने 1886 में ऑल इंडिया मुहमडन ऐजुकेशनल कॉन्फ़्रेंस का गठन किया, जिसके वार्षिक सम्मेलन मुसलमानों में शिक्षा को बढ़ावा देने तथा उन्हें एक साझा मंच उपलब्ध कराने के लिए देश भर में आयोजित किया जाते थे।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 10 बातें

9- 1906 में उन्होंने मुस्लिम लीग की स्थापना की जो उस समय भारतीय इस्लाम मानने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख राष्ट्रीय मंच बन गया था। बाद में यही मंच ऑल इंउिया मुस्लिम लीग के नाम से मशहूर हुआ। 

शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण आत्मनिर्भरता के नानाजी

 

10- मई 1875 में सर सैयद अहमद खाने ने अलीगढ़ में 'मदरसतुलउलूम' नाम से एक मुस्लिम स्कूल स्थापित किया। इसके बाद 1876 में रिटायर होने के बाद उन्होने इसे कॉलेज में बदलने की शुरूआत की। हालांकि कई रूढ़िवादी मुस्लिम उनके विरोध में थे, इसके बावज़ूद कॉलेज कामयाब रहा और यही संस्था 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बदल गई और आज तक कायम है। 

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