-गोरखपुर विश्वविद्यालय में पिछले दो हफ्ते में दग चुके हैं चार ट्रांसफॉर्मर, स्टूडेंट्स कर रहे हैं प्रोटेस्ट

-तत्कालीन एफओ ने तीन बार टेंडर निकाले जाने के बाद भी नहीं फाइनल किया ट्रांसफॉर्मर सप्लाई का टेंडर

GORAKHPUR: जिस बिजली की समस्या को लेकर डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन और स्टूडेंट आमने-सामने हैं, उसे खुद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जानबूझकर बढ़ाया है। जांच में यह बात सामने आ रही है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ऐसी कंपनी को ट्रांसफॉर्मर सप्लाई का ठेका दे दिया है, जिसके पास कोई अनुभव नहीं था। इस कारण यूनिवर्सिटी में लगे ट्रांसफॉर्मर लगातार दग रहे हैं, जिससे न सिर्फ घंटों बिजली गुल रह रही है, बल्कि जिम्मेदारों को लॉ एंड ऑर्डर मेनटेन करने में भी पसीने छूट जा रहे हैं।

अनएक्सपीरियंस्ड है फर्म

गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने जिस कंपनी से ट्रांसफॉर्मर परचेज किया है, उस फर्म को पहले कभी ट्रांसफॉर्मर सप्लाई करने का कोई एक्सपीरियंस नहीं है। सोर्सेज की मानें तो कंपनी ट्रांसफॉर्मर बनाती भी नहीं है, बल्कि उन्होंने किसी थर्ड पार्टी से ट्रांसफॉर्मर खरीदकर यूनिवर्सिटी को सप्लाई की है। ऐसे में यूनिवर्सिटी की कारगुजारी पर भी सवाल उठने लगे हैं। खुद टीचर्स के बीच चर्चा है कि जब यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों को मालूम था कि फर्म अनएक्सपीरियंस्ड है, तो उन्होंने ऐसी कंपनी को ठेका क्यों दिया। जबकि, खुद बिजली विभाग ने उन्हें ट्रांसफॉर्मर सप्लाई के लिए प्रपोजल भी दिया था।

तीन बार निकला था टेंडर

यूनिवर्सिटी से जुड़े लोगों की मानें तो कंपनी के सेलेक्शन में तत्कालीन एफओ की वजह से परेशानी शुरू हुई है। उन्होंने जानबूझकर ऐसी कंपनी को ठेका दिलवा दिया, जिससे यूनिवर्सिटी को परेशान होना पड़ रहा है। सोर्सेज की मानें तो यूनिवर्सिटी में ट्रांसफॉर्मर की सप्लाई के लिए तीन बार टेंडर हुए, लेकिन तत्कालीन एफओ ने टेंडर को किसी तरह 15-20 दिन टालकर फिर कैंसिल कर दिया। ऐसा तीनों बार हुआ, जिसकी सूचना जब तत्कालीन वीसी को हुई, तो उन्होंने इसमें एंटरफेयर किया, लेकिन इस बार ऐसी फर्म को चुन लिया गया, जिसको पहले से ट्रांसफॉर्मर सप्लाई का एक्सपीरियंस ही नहीं है।

लोएस्ट रेट का तर्क

इस मामले में जब यूनिवर्सिटी के फायनेंस डिपार्टमेंट में बात की गई, तो जिम्मेदारों को कहना है कि जब टेंडर हुआ, तो इस दौरान सिर्फ दो ही फर्म ने यूनिवर्सिटी में ट्रांसफॉर्मर की सप्लाई के लिए इंटरेस्ट दिखाया, इसमें भी जिस फर्म को ठेका दिया गया है, उसने लोएस्ट रेट कोड किया था, जिसकी वजह से नियमानुसार उसे ठेका दे दिया गया। जबकि इस मामले में कुछ लोग यह आरोप भी लगा रहे हैं कि जानबूझकर यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों ने तीन बार टेंडर निरस्त किया और आखिर में अनएक्सपीरियंस्ड फर्म को ठेका दिला दिया।

कमेटी गठित

बढ़ते बवाल को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने प्रॉब्लम को प्वाइंट आउट करने के लिए कमेटी फॉर्म की है, जो बिजली और पानी से जुड़ी सभी प्रॉब्लम्स को प्वाइंट आउट कर उनकी वजह तलाशेगी और मंगलवार तक यूनिवर्सिटी में अपनी रिपोर्ट सब्मिट करेगी।

वर्जन

यूनिवर्सिटी में ट्रांसफॉर्मर सप्लाई के लिए दो बार टेंडर निकाला गया, लेकिन इस दौरान सिर्फ एक ही फर्म सप्लाई के लिए आई, इसलिए टेंडर निरस्त करना पड़ा। वहीं तीसरी बार तीन फर्म ने इंटरेस्ट दिखाया, इसमें जिसका लोएस्ट था, उसे ठेका दे दिया गया। पिछले दिनों में जो ट्रांसफॉर्मर जले या खराब हुए हैं, उसमें एक ट्रांसफॉर्मर बिजली विभाग का था, वहीं गुरुवार को जो बिजली कटौती हुई थी, वह केबल जलने की वजह से हुई थी।

- शत्रोहन वैश्य, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू