- एएसपी बीपी अशोक की पत्नी ने डीजीपी मुख्यालय को लिखा पत्र

- हालिया भारत बंद में हिंसा के बाद की थी सशर्त इस्तीफे की पेशकश

LUCKNOW : दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान कई जगहों पर हुई हिंसा से व्यथित एएसपी बीपी अशोक द्वारा डीजीपी मुख्यालय को पत्र भेजकर वीआरएस लेने के मामले में नया मोड़ आ गया है। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो बीपी अशोक की पत्नी ने डीजीपी मुख्यालय को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पति ने तनाव में आकर इस तरह का पत्र लिखकर भेज दिया था। इसलिए पत्र में उनके द्वारा वीआरएस लिए जाने के प्रस्ताव पर शासन द्वारा विचार न किया जाए। हालांकि सूत्रों की मानें तो शासन ने बीपी अशोक की पुलिस महकमे से छुट्टी करने का मन बना लिया है। जल्द ही उन्हें वीआरएस दिया जा सकता है।

सशर्त इस्तीफे की पेशकश की थी

दरअसल भारत बंद के दौरान हुई हिंसक घटनाओं से निपट रही पुलिस पर उसके ही एक अफसर ने लेटर बम फोड़कर हड़कंप मचा दिया था। पुलिस प्रशिक्षण मुख्यालय में एएसपी डॉ। बीपी अशोक ने अपना सशर्त इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि वर्तमान में देश में ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गयी हैं जिससे मुझे गहरा आघात पहुंचा है। कुछ बिंदुओं को आपके संज्ञान में लाकर मैं अपने जीवन का कठोर निर्णय ले रहा हूं। मेरी इन संवैधानिक मांगों को माना जाए या मेरा त्यागपत्र स्वीकार किया जाए। उन्होंने पत्र में पूरे देश में आक्रोशित युवाओं से शांति की अपील भी की। हालांकि बाद में डीजीपी मुख्यालय को भेजे अपने पत्र में उन्होंने इस्तीफा देने के बजाय वीआरएस लेने के लिए आवेदन किया था।

ये मांगें रखी थी

बीपी अशोक ने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में मांग की थी कि एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है। संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए। रूल ऑफ जज, रूल ऑफ पुलिस के स्थान पर रूल ऑफ लॉ का सम्मान किया जाए। महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व अभी तक नहीं दिया गया है। महिलाओं, एससी-एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों को उच्च न्यायालयों में अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। प्रोन्नतियों में भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। श्रेणी चार से एक तक साक्षात्कार युवाओं में आक्रोश पैदा करते है, इसे खत्म किया जाए। उन्होंने अपने पत्र में जाति के लिए स्पष्ट कानून बनाने की मांग भी की है।