- यूनिवर्सिटी ने नहीं मंगाई एमएड की डिजरटेशन

- प्रैक्टीकल न होने से स्टूडेंट्स परेशान

AGRA। डीबीआरएयू की मनमानी और लापरवाही से स्टूडेंट्स को टेंशन रहती है। अब यह टेंशन एमएड स्टूडेंट्स को हो रही है। एमएड के एग्जाम तो हो गए लेकिन स्टूडेंट्स को अधर में लटका रखा है। नौकरी मिलने वाली है, लेकिन नौकरी कर नहीं सकते। क्योंकि यूनिवर्सिटी ने एक पेंच फंसा रखा है। एक प्रैक्टीकल और डिजरटेशन की वजह से स्टूडेंट्स टेंशन में हैं।

दो साल की एमएड तीन साल में

अगस्त ख्0क्ख् में एग्जाम्स होने के बाद स्टूडेंट्स ने समय से डिजरटेशन कॉलेज में जमा कर दिए। लेकिन यूनिवर्सिटी डिजरटेशन मंगाना भूल गई। इससे प्रैक्टीकल्स रुक गए। अब स्टूडेंट्स को इंतजार है कि जल्द प्रैक्टीकल हों और वे नौकरी के लिए अप्लाई करें। स्टूडेंट्स का कहना है कि दो साल की एमएड तीन साल में हो रही है। न तो रिजल्ट आ रहा है और न ही प्रैक्टीकल हो रहे हैं।

कल है पीजीटी की लास्ट डेट

स्टूडेंट्स की परेशानी इसलिए बढ़ी हुई है क्योंकि पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स के आवेदन की अंतिम तिथि ख्भ् फरवरी है। इधर, अभी तक रिजल्ट न आने से स्टूडेंट्स को परेशानी है कि उन्हें नौकरी कैसे मिलेगी।

क्या है डिजरटेशन?

डिजरटेशन एक तरह का प्रोजेक्ट होता है जो एग्जाम्स के बाद स्टूडेंट्स को दिया जाता है। स्टूडेंट्स संबंधित विषय पर अपना डिजरटेशन तैयार कर कॉलेज में जमा करते हैं। जिसे यूनिवर्सिटी अपने यहां मंगाती है। इसके बाद स्टूडेंट्स का वाइवा कंडक्ट कराया जाता है। फिर वाइवा के नंबर्स के साथ रिजल्ट एनाउंस कर दिया जाता है।

'अगस्त ख्0क्ख् में एग्जाम हुए थे। प्रैक्टीकल हों तो नौकरी की जाए। हम तो बुरे फंसे.'

शशांक, स्टूडेंट

'कई बार यूनिवर्सिटी में बात की। लेकिन हर बार कॉलेज की ओर टहला दिया जाता है.'

पंकज, स्टूडेंट

'प्रैक्टीकल न होने से रिजल्ट रुका है। विवि की हालत में सुधार नहीं हो सकता.'

सनी जैन, स्टूडेंट

'विवि कॉलेज पर डाल देती है और कॉलेज विवि पर। ऐसे में स्टूडेंट्स क्या करें.'

गणेश शर्मा, स्टूडेंट

'कॉलेजों से डिजरटेशन मंगाई जा रही हैं। जल्दी स्टूडेंट्स के प्रैक्टीकल करा दिए जाएंगे.'

बीके पांडेय, रजिस्ट्रार