- आतंकी नईम के पकड़े जाने के बाद लोकल इंटेलीजेंस की वर्किंग स्टाइल पर उठने लगे सवाल, गलियों में चल रहे गेस्ट हाउस और लॉज संदिग्धों के लिए बने महफूज - लोकल इंटेलीजेंस कभी नहीं करती विजिटर रजिस्टर चेक, कोई भी रुक जा रहा है गलियों के इन ठिकानों पर 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब लश्कर के आतंकी अब्दुल नईम शेख के पकड़े जाने के बाद ये साफ हो गया है कि बनारस की गलियां आतंकियों की पनहगार बन गई हैं। ये ऐसे ही नहीं कहा जा रहा क्योंकि इससे पहले पांच आतंकी धमाके झेल चुकी काशी में रेकी से लेकर स्लीपिंग मॉड्यूल तैयार करने के लिए आ चुके आतंकी भटकल और हेडली तक इन्ही गलियों में छिपकर रहते हुए अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने में जुटे हुए थे। सोर्सेज की मानें तो नईम भी गिरफ्तारी से पहले बनारस के नई सड़क से लेकर दशाश्वमेध के बीच के किसी ऐसे लॉज से रूका था, जो इन्हीं गलियों में घनी आबादी के बीच संचालित हो रहा है। जिसके बाद ये भी साफ हो गया है कि बनारस पुलिस से लेकर खुफिया विभाग तक सब बेखबर हैं। तभी नईम एक दो दिन नहीं बल्कि पूरे 15 दिन बनारस में रहकर यहां की नस पकड़ने की कोशिश की और लोकल खुफिया इससे बेखबर रही। रजिस्टर मेनटेन लेकिन चेक कौन करे बनारस में लॉज और गेस्ट हाउस सैकड़ों की तादाद में संचालित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा गेस्ट हाउस और लॉज की सुविधा गलियों में ही मिलती है। चौक, दशाश्वमेध, मीरघाट, बेनियाबाग, अस्सी, शिवाला जैसी गलियों में सैकड़ों गेस्ट हाउस और लॉज चल रहे हैं जो संदिग्धों और आंतकियों के लिए सबसे मुफीद हैं। इसके पीछे बड़ी वजह ये भी है कि यहां रुकने के लिए कोई भी आईडी प्रूफ बस नियम पूरा करने के नाम पर संचालक ले तो लेते हैं लेकिन इसकी पड़ताल करने वाले लोकल इंटेलीजेंस के लोग अपने काम को अंजाम ही नहीं देते। विजिटर रजिस्टर इन होटल और लॉज के दराज में पड़े-पड़े पुराने हो जाते हैं और फेक आईडी के बल पर यहां रुकने वाले नईम जैसे लोग अपने मंसूबे को पूरा कर यहां से निकल भी जाते हैं। लगातार फेल लेकिन - 200 से ज्यादा लॉज और गेस्ट हाउस चल रहे हैं गलियों में - हेडली, यासीन भटकल जैसे शातिर कर चुके हैं बनारस में रेकी - इन्होंने भी दशाश्वमेध और हनुमान घाट जैसे इलाकों के लॉज या गेस्ट हाउस में ली थी पनाह - हुगली में नगर पालिका चेयरमैन की हत्या कर सात शूटर्स बनारस के गेस्ट हाउस से ही हुए गिरफ्तार - दाऊद का गुर्गा भी पिछले महीने कैंट स्थित एक लॉज से पकड़ा गया - दिल्ली में एक छेड़खानी का आरोपी भी बनारस के लॉज से दो साल पहले पकड़ा गया था 15 दिन रहा बनारस में - सोर्सेज के मुताबिक नईम 15 दिनों तक बनारस में रहकर यहां की रेकी की - नईम की गिरफ्तारी होने के बाद लोकल इंटेलीजेंस की बड़ी फेल्योर आई सामने - गेस्ट हाउस या लॉज के विजिटर रजिस्टर और रुकने वालों की आईडी का वेरिफिकेशन एलआईयू को करना होता है - डेली रिपोर्ट तैयार कर खुफिया विभाग गृह मंत्रालय को भेजता है, लेकिन बनारस के सेंसेटिव होने के बाद भी ये जांच नहीं होती यहां - सोर्सेज की मानें तो इसी का फायदा उठाकर नईम नाम बदलकर हिंदू आईडी से रहता था गेस्ट हाउस और लॉज में पांच बार दहल चुकी हैं काशी - 23 फरवरी 2005 दशाश्वमेध घाट पर विस्फोट, सात लोगों की मौत, आधा दर्जन घायल - 7 मार्च 2006 संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर विस्फोट, गोदौलिया पर बम बरामद, इस आतंकी घटना में 17 लोगों की मौत, 100 घायल। - 23 नवंबर 2007 कचहरी में बम ब्लास्ट, नौ वकीलों और वादकारियों की मौत, 42 घायल। - 7 दिसम्बर 2011 शीतला घाट पर बम विस्फोट, एक बच्ची की मौत, दो दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी - 29 जुलाई 2005 बनारस से चली श्रमजीवी एक्सप्रेस में जौनपुर में बम विस्फोट, दस लोगों की मौत। बनारस सेंसेटिव प्लेस है। यहां सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। इसलिए गेस्ट हाउस और लॉज में हर आने जाने वाले की डिटेल रखने को कहा जाता है। इसकी जांच भी होती है। फिर भी अगर कोई इसमे लापरवाही कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। बी महापात्रा, एडीजी शहर की सुरक्षा के लिए तमाम कदम उठाये जाते हैं। नईम या इससे संबधित कोई भी जानकारी हमारे पास नहीं है। केन्द्रीय जांच एजेंसियां इस मामले को हैंडल कर रही हैं। हमसे जो मदद मांगी जायेगी हम देंगे। योगेश्वर राम मिश्र, डीएम नईम के बनारस से पकड़े जाने के बारे में कोई जानकारी अब तक नहीं मिली है। कार्रवाई एनआईए ने की है। उनकी ओर से कुछ साफ हो सकता है। हमसे रिपोर्ट मांगी गई है। इसे तैयार करके एनआईए को भेजा जायेगा। आरके भारद्वाज, एसएसपी