- मास्टमाइंड रमेश शाह ने एटीएस की पूछताछ में किया खुलासा

- युवाओं को लालच देकर एजेंट के जरिए खुलवाता था बैंक अकाउंट

- एनजीओ की रकम बताकर एजेंट देते हैं खाताधारकों को मोटा कमीशन

इनका नेटवर्क फैलता चला गया
Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: टेरर फंडिंग के मामले में यूपी एटीएस के हत्थे चढ़े मास्टरमाइंड रमेश शाह का नेटवर्क उसके जेल जाने के बाद भी चल रहा है। गोरखपुर से लेकर देश के विभिन्न शहरों में उसके एजेंट अभी भी दिन दिन-रात काम कर रहे हैं। हालांकि यह सही है कि रमेश के लिए काम करने वाले अधिकांश एजेंट्स को यह नहीं पता होता है कि वह जो काम कर रहे हैं, उसके पीछे का मकसद क्या है। यानी कि एजेंट्स को रमेश सिर्फ अधिक से अधिक युवाओं को अपने जाल में फंसाकर बैंक खाते खोलने की जिम्मेदारी देता था। इसके लिए वह खाताधारकों को बताते थे कि एनजीओ का पैसा बैंक खाते में आएगा और इसके एवज में 10 से 25 प्रतिशत तक कमीशन खाताधारक को मिलता था। पैसों के लालच में तमाम लोग उनके झांसे में आते गए और इसी तरह देश भर में इनका नेटवर्क फैलता चला गया।

रमेश को गोरखपुर लाएगी एटीएस
आईजी एसटीएस असीम अरुण के मुताबिक रमेश की गिरफ्तारी के बाद एसटीएस को उसके सात दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड मिल गई है। शनिवार को एटीएस उसे कस्टडी में लेकर पूछताछ शुरू करेगी और टेरर फंडिंग से जुड़े राज उगलवाएगी। रिमांड के दौरान ही एटीएस टीम ने रमेश को लेकर गोरखपुर आने की तैयारी भी शुरू कर दी है। यहां टीम रमेश के ठिकानों और उसके प्रतिष्ठानों से सबूत जुटाएगी और उसके मददगारों से भी पूछताछ करेगी। इसके साथ ही टीम इस बात की भी जानकारी जुटा रही है कि मार्च से फरार चलने के बाद इन तीन महीनों के दौरान रमेश कब और कहां गया। तीन महीनों तक उसे शरण देने वाले उसके मददगार कौन थे और इस दौरान तीन महीनों के दौरान उसने किन-किन लोगों से संपर्क किया।

खुलेगा हर राज
आईजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि पुलिस कस्टडी रिमांड में लेने के बाद रमेश से गहन पूछताछ की जाएगी। यह पता करने की कोशिश की जाएगी कि इसके अलावा क्या कोई अन्य व्यक्ति भी है, जो विदेशी हैंडलर्स से सीधे संपर्क में हो? वहीं, यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि रमेश ने कहां-कहां से कितना धन हासिल किया और वह धन कहां-कहां गया। इसके अलावा उसके पास से मिले दस्तावेजों व मोबाइल से मिली जानकारी के आधार पर अन्य लोगों के संबंध में जानकारी की जाएगी, जिससे और अपराधियों के पकड़े जाने की संभावना है।

रमेश को हुआ था डेंगू
बता दें, रमेश को पुणे से ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाने के बाद गुरुवार को ही एटीएस ने उसे कोर्ट में पेश किया था। साथ ही टीम ने उसके पुलिस कस्टडी रिमांड के लिए कोर्ट में अर्जी भी दी थी। कोर्ट ने रमेश की रिमांड की स्वीकृति तो दे दी, लेकिन चूंकि उसे कुछ दिनों पहले डेंगू हुआ था, इसलिए वह बीमार चल रहा है। ऐसे में उसके मेडिकल फिटनेस के बाद ही उससे टीम पूछताछ कर सकेगी। एटीएस के मुताबिक शनिवार को उसे रिमांड पर लेकर टीम लखनऊ स्थित एटीएस दफ्तर लाएगी और इसके बाद उसे गोरखपुर लाया जाएगा।

इंटरनेट कॉल से विदेशी एजेंट से करता था संपर्क
वहीं, एटीएस के मुताबिक पाकिस्तान व मध्य पूर्व के देशों से रमेश का सीधा संपर्क था। साथ ही विभिन्न बैंक खातों में पैसा आने पर रमेश को ही इंटरनेट कॉल से इसकी जानकरी दी जाती थी। रमेश ही विदेश से मोटी रकम लेकर फिर उन पैसों को देश भर के विभिन्न बैंक खाता धारकों को उनका हिस्सा देकर पैसा निकलवाता था। इतना ही नहीं, इसके बाद रमेश टेरर फंडिंग की इस रकम को देश के विभिन्न राज्यों में वितरित करता था। जिससे आतंक की नापाक साजिश अंजाम दी जाती है।

टेरर फंडिंग से जुड़ी जानकारियां जुटाई जाएंगी
रमेश शाह की सात दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मिल गई है। चूंकि उसे डेंगू हुआ था, इसलिए शनिवार को मेडिकल फिटनेस मिलने के बाद ही उससे पूछताछ शुरू की जाएगी। रिमांड के दौरान रमेश को गोरखपुर के अलावा उसके अन्य ठिकानों पर ले जाकर टेरर फंडिंग से जुड़ी जानकारियां जुटाई जाएंगी।
- असीम अरुण, आईजी, यूपी एसटीएस