- यूपी एटीएस की गिरफ्त से फरार हुए अजहर को भी कानपुर से दबोचा गया

- एयरफोर्स का रिटायर्ड एयरमैन हैं गौस, कानपुर में पहचान छिपाकर रह रहा था

- खुरसान गु्रप के सात सदस्य हो चुके हैं अरेस्ट, तस्कर रॉकी रानावत है फरार

LUCKNOW :आईएस से प्रेरित हो खुरसान ग्रुप बनाकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले सरगना गौस मोहम्मद खां उर्फ जीएम खां को यूपी एटीएस और एसटीएफ ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया है। उसे राजधानी के पीजीआई इलाके से पकड़ा गया। जांच एजेंसियां लखनऊ में उसके ठिकानों का पता लगा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक लखनऊ में मारे गये आईएस आतंकी सैफुल्लाह को गौस मोहम्मद ही हथियारों और विस्फोटक मुहैया करा रहा था। वह सैफुल्लाह के एनकाउंटर से एक दिन पहले उससे मिलने लखनऊ भी आया था। वहीं एनकाउंटर के दौरान भी वह लखनऊ में ही मौजूद रहकर पल-पल की जानकारी ले रहा था। गौस इंडियन एयरफोर्स का कर्मचारी भी रह चुका है। वर्ष 1978 से 1993 के बीच वह एयरमैन (कारपोरल) के पद पर काम कर चुका है। उसके साथ एटीएस ने कानपुर से फरार हुए आईएस आतंकी अजहर को भी दबोच लिया है। वह भी हथियार मुहैया करा रहा था। उसने सैफुल्लाह को पांच पिस्टल लाकर दी थी। आज वह अपने परिजनों से मिलने आया था, इसकी सूचना मिलने पर एटीएस की टीम ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया।

करन खत्री रख लिया नाम

एटीएस के मुताबिक आर्मी से रिटायर होने के बाद गौस मोहम्मद कानपुर आ गया 226म्/209 मकदूमनगर, जाजमऊ इलाके में रहने लगा। उसने जूते का कारोबार कर दिया लेकिन उसका झुकाव आतंकी संगठनों की तरफ होने लगा। आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के बाद उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपना नाम करण खत्री रख लिया ताकि उस पर किसी को शक न हो। कानपुर के सैफुल्लाह और उसके चचेरे भाई उसके संपर्क में आए तो उसने उन्हें खुरसान ग्रुप बनाने की सलाह दी। गौस इस ग्रुप का सबसे उम्रदराज शख्स था। कानपुर के लड़कों में उसे सैफुल्लाह सबसे तेज नजर आया जिसके बाद उसे लखनऊ में ठिकाना बनाने को कहा। सैफुल्लाह ने इसके बाद हाजी कॉलोनी में किराए का कमरा लिया और गौस की मदद से बम आदि बनाने लगा। वहीं गौस ने उसे हथियार भी मुहैया कराए ताकि किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिया जा सके। एटीएस के सूत्रों की माने तो गौस मोहम्मद इस पूरे नेटवर्क की सबसे अहम कड़ी है जिसे गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। वह सैफुल्लाह के एनकाउंटर के दौरान लखनऊ में ही मौजूद था। एटीएस को मिली उसके मोबाइल की लोकेशन से यह साबित हो गया है। यूपी एटीएस ने गौस मोहम्मद के आईएस लिंक का कोई सुबूत मिलने से इंकार कर किया लेकिन अधिकारियों के मुताबिक वह काफी खुराफाती प्रवृत्ति का है। वह खुरसान ग्रुप में कम उम्र के युवाओं को शामिल कर आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के लिए उकसाता था।

इमरान को मिली राहत

वहीं सैफुल्लाह के चचेरे भाई इमरान को एटीएस ने राहत देते हुए छोड़ दिया है। इमरान को उसके सगे भाई फैजल के साथ एटीएस ने कानपुर से पकड़ा था। छानबीन में सामने आया कि इमरान लगातार फैजल और सैफुल्लाह को आतंकी गतिविधियों में लिप्त न होने को कह रहा था। उसने अपने मोबाइल से फैजल को मैसेज भी किए थे कि आप लोग गलत रास्ते पर जा रहे हो। एटीएस ने इमरान के तमाम मैसेज की जांच करके और उसके बारे में गहन मालूमात करने के बाद उसे छोड़ने का फैसला लिया। हालांकि उसे कुछ दिनों तक पुलिस राडार पर रखा जाएगा।

खुरसान ग्रुप के सात गिरफ्तार

खुरसान ग्रुप के सात सदस्यों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से तीन सदस्यों आतिफ मुजफ्फर, दानिश अख्तर उर्फ जफर और सैयद मीर हुसैन को मध्य प्रदेश एटीएस और फैजल, फखरे आलम, जीएम खान और अजहर को यूपी एटीएस ने पकड़ा है। वहीं इस ग्रुप को हथियार बेचने वाले शैलेंद्र सिंह को भी यूपी एटीएस गिरफ्तार कर चुकी है जबकि उसका दूसरा साथी रॉकी रानावत अभी फरार है। एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी ने दावा किया कि खुरसान ग्रुप के सारे सदस्य दबोचे जा चुके हैं। केवल एक आर्म सप्लायर रॉकी के अलावा किसी की गिरफ्तारी करना शेष नहीं है। मालूम हो कि सैफुल्लाह, फैजल, इमरान और दानिश एक ही परिवार के हैं।

बच्चों पर रखें नजर

इस खुलासे के बाद एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए युवाओं के गुमराह होने का मामला ताजा हो गया। एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी ने आम जनता से अपील की है कि वे अपने बच्चों के सोशल मीडिया एकाउंट पर नजर रखें। उन्होंने यह अपील सभी धर्म के लोगों के लिए जारी की है क्योंकि तमाम ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें मुस्लिम के अलावा दूसरे धर्मो के युवा भी आतंकी संगठनों से प्रेरित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस साइबर कैफे पर भी कड़ी निगाह रखने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सभी साइबर कैफे में वीडियोग्राफी को अनिवार्य किया जा सकता है।